शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

"गौ"

मानवमात्र के लिए उपकारी होने से विभिन्न
मतों सम्प्रदायों और धार्मिक आस्थाओं के
प्रबुद्ध चिंतकों दार्शनिकों ने एक स्वर में
"गौ"
कि महिमा को उसकी उपयोगिता को उसके
दिव्य अनुदानों और प्रभावों को स्वीकारा है
तथा अपने-अपने धर्म सम्प्रदायों में प्रचार
प्रसार किया है। ऐसी स्थिति में
गौ का प्रश्न राष्ट्रिय एकता को सुदृढ़
आधार प्रदान करता है और मानव जीवन
मूल्यों का परिमार्जक होने से राष्ट्रिय
चेतना को भी जागृत करता है। इतिहास
प्रसिद्ध तथ्य है कि भारतीय
स्वतंत्रता आन्दोलन
का क्रांतिकारी सूत्रपाद गो चर्बी से
बनी कर्तूसों के विरोध से हुआ। मुग़ल काल में
भी गोहत्या वाम गो तोरास्कार के कारण
मुग़ल शासकों को विरोध
का सामना करना पड़ा। उन्हें
अपनी राजसत्ता कि स्थिरता के लिए
गौ को सम्मान देना पड़ा। आज के समय में
भी "गौ क्रांति-समग्र क्रांति" का सूत्र जब
जन मानस में जागेगा तब राष्ट्र कि सोई हुई
चेतना जागृत होगी, आर्थिक सामाजिक एवं
राजनैतिक परिदृश्य बदलेगा और
शांति,अहिंसा,समरसता,आर्थिक उदारीकरण
का वास्तविक स्वरुप राष्ट्र में परिदृश्य होने
लगेगा।


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