गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

मुझे कहता है -'माँ'और'माई'.!! ले जाएगा मुझे कोई कसाई..!!!

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मुझे कहता है -'माँ'और'माई'.!! 
ले जाएगा मुझे कोई कसाई..!!!

ग्वाला दूध दुह चुका था
और अब थन को,
बूंद- बूंद निचोड़ रहा था.
उधर खूंटे से बंधा बछड़ा भूख से बिलबिला रहा था.!!

इसे देखकर ममता ममताई
गाय कुछ कसमसाई.
उसकी ममता उभर आयी.
उसने अपना एक पैर उठाया,
ग्वाले ने पीठ पर डंडा चलाया.!!

भूखे बछड़े की आँखों में
तब गर्म खून उतर आया.
फिर संवेदनशील
गाय ने ही उसे समझाया,!!

बेटा! अब दूध की आस छोड़,
तू चारे से अपनी भूख मिटा.
यह मानव तो बहुत भूखा है..
दूध और अन्न की कौन कहे कभी-कभी,
बालू- सीमेंट- सरिया- पुल
और सड़क भी पचा जाता है.!!

फिर भी इसकी भूख नहीं मिटती, पेट नहीं भरता.
मुझे तो बुढापे तक सहनी है इसकी पिटाई.
जब हो जाउंगी अशक्त, ले जाएगा मुझे कोई कसाई.
फिर भी भूल जाती सबकुछ ,
जब यह पुचकारता है मुझे कहता है -'माँ'और'माई'.!!

'माँ'और'माई'.'माँ'और'माई'.'माँ'और'माई'...!!!




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