सोमवार, 18 अगस्त 2014

~~मन की बात या तो भगवान जानते हैं या गाय~~


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एक संत ने अपने प्रवचन में शास्त्रों से उद्धरण देकर बताया कि मन की बात दो ही जानते हैं, भगवान और गाय। 
मुझे मेरे एक परिचित महानुभाव की एक आपबीती घटना की याद आ रही है। वे अपने माता-पिता के साथ एक गांव में रहते थे। 
वे तथा उनके भाई नौकरी के लिए बाहर चले गए। माता-पिता वृद्ध हो गए थे। गाय का पालन उनके लिए कठिन हो गया था।
एक दिन उन्होंने अपनी गाय को नित्य की भांति चारा खिला और पानी पिलाकर हाथ जोड़कर मन-ही-मन कहा कि अब हम वृद्ध हो गए हैं, तुम्हारी सेवा करने योग्य नही रहे, अतः अब तुम कहीं चली जाओ। और गाय को खोल दिया।
गाय सांयकाल तक घूमघाम कर घर तो आ गयी, किन्तु बड़े संकोच के साथ।
अगले दिन वृद्ध दंपत्ति ने पुनः वही किया। अबकी बार गाय घर वापस नहीं आई।

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