मंगलवार, 30 सितंबर 2014

गाय का ज्योतिषीय महत्वः- ---गाय से संबंधित धार्मिक वृत व उपवासः-

गाय का ज्योतिषीय महत्वः-
1. नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय की विशेष भूमिका होती है कहा तो यह भी
जाता है कि गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं। शनि की दशा, अंतरदशा, और
साढेसाती के समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर देता है।
2. मंगल के अरिष्ट होने पर लाल वर्ण की गाय की सेवा और निर्धन ब्राम्हण को
गोदान मंगल के प्रभाव को क्षीण करता है।
3. बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतु गौवों को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता
नष्ट होती है।
4. गाय की सेवा, पूजा, आराधना, आदि से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और भक्तों
को सुखमय होने का वरदान भी देती हैं।
5. गाय की सेवा मानसिक शांति प्रदान करती है।
गाय से संबंधित धार्मिक वृत व उपवासः-
1. गोपद्वमव्रतः- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने
वाला है।
2. गोवत्सद्वादशी व्रतः- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।
3. गोवर्धन पूजाः- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति
होती है।
4. गोत्रि-रात्र व्रतः- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती
है।
5. गोपाअष्टमीः- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है।
6. पयोव्रतः- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान
प्राप्ति होती है।


शनिवार, 27 सितंबर 2014

बकरा ईद पर गोहत्या क्यों ?

मेरी पूरे देश के गौरक्षको से अपील है ईद के चलते सभी सतर्क रहे किसी भी कीमत पर गायों की क़ुर्बानी न होने दे | अगर हम गऊ माता पर हो रहे जुल्म को देख कर बर्दाश करते है तो जो सजा भागवान कृष्ण इन बुचड़ो को देंगे वही सजा के हक़दार हम भी बन जायेगे |

बकरीद में गौहत्या क्यूँ?
कल मुझे पहली बार यह पता चला कि मुसलमान बकरीद में गौहत्या करते हैं जिसे कुर्बानी कहते हैं । कल मुझे पहली बार ये अहसास हुआ कि हिन्दू-मुस्लिम कभी भाई-भाई नहीं हो सकते । १००० साल हिंदुस्तान की जमीं पर रहने के बाद जो मुसलमान ये नहीं समझ पाए कि हिन्दुओं में गाय को पवित्र मान कर उसकी पूजा की जाती है तो कम से कम उसकी कुर्बानी ना दे, वो मुसलमान भला हुन्दुओं के भाई कैसे हो सकते हैं । ये गाय की हत्या इसलिए नहीं करते कि इससे इनके अल्लाह खुश होंगे बल्कि इसलिए करते हैं ताकि ये हिन्दुओं को नीचा दिखा सके ।
भाई त्यौहार तो तुम्हारा बकरीद (बकरा ईद ) है ना कि गौइद ( गौ - ईद ) फिर गाय की हत्या क्यूँ ?
क्या तुम्हारा अल्लाह तुम्हे यही सिखाता है कि जिस जमीन पर रहो उसके ही संस्कारों की हत्या कर दो ?
हिंदुस्तान में गाय को तब से पवित्र माना जाता है जब से यहाँ सभ्यता ने जन्म लिया । इसमें हिन्दू या मुस्लमान होने जैसी बात नहीं । गाय की पूजा करना इस जमीन के संस्कार हैं ।
फिर गौ हत्या क्यूँ?
किसी भी जीव को पवित्र मान कर पूजा करना कोई बुरे संस्कार नहीं हैं जिसे बदला जाना चाहिए ।
तो फिर मुसलमानों को क्या ऐसा लगता है कि उनके ऐसे घिनौने काम से उनके अल्लाह खुश होंगे । मुझे तो नहीं लगता कि दुनिया का कोई भी भगवान इस ढंग से एक इंसान को दुसरे इंसान से लड़ाने वाले काम से खुश होगा और अगर वो खुश होता है तो निश्चित तौर पर वो भगवान नहीं हो सकता , वो सिर्फ शैतान ही हो सकता है ।
निवेदक आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
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सोमवार, 22 सितंबर 2014

चमड़ा उद्योग गौहत्या का बड़ा कारण

गोवंश विनाश में चमड़ा भी एक बड़ा कारण
कत्ल किये गोवंश का चमड़ा मुलायम व अधिक मूल्यवान है इससे निर्मित वस्तुओं अधिक कीमत मिलती है इस कारण देश में वैध व अवैध हजारों कत्लखाने खुलते जा रहे हैं जिसमें हमारे अमूल्य गोवंश को बड़े विभित्स रूप से काटकर चमड़ा निकाला जाता है। पशु मेलों में कसाई लोग अवैध रूप में अधिकांश गोवंश को खरीदकर सरकारी कानूनों की अवहेलना करते हुए इन कत्लखानों को ऊँची कीमत में बेच रहे हैं। इस चमड़े से महँगे पर्स, हैंड बैग, जूते, फैंसी कपड़े, खेल सामान व अन्य अनेक चीजें बनाई जाती हैं। जिन्हें संपन्न व धनाढ्य लोग बहुत ऊँची कीमत में खरीदते हैं। देश के अनेक प्रदेशों में निर्माण के हजारों छोटे-बड़े कारखाने चल रहे हैं। क्या हम अपने जीवन में काम आने वाली चमड़ी वस्तुओं का त्याग कर सकते हैं।

गुरुवार, 18 सितंबर 2014

भारत में गौ हत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं.... और कई आज भी जारी हैं, लेकिन किसी में भी कोई ख़ास कामयाबी हासिल नहीं हो सकी ?

भारत में गौ हत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं.... और कई आज भी जारी हैं, लेकिन किसी में भी कोई ख़ास कामयाबी हासिल नहीं हो सकी. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उन्हें जनांदोलन का रूप नहीं दिया गया. यह कहना क़तई ग़लत न होगा कि ज़्यादातर आंदोलन स़िर्फ अपनी सियासत चमकाने या चंदा उगाही तक सीमित रहे. अल कबीर स्लास्टर हाउस में रोज़ हज़ारों गाय काटी जाती हैं. कुछ साल पहले हिंदुत्ववादी संगठनों ने इसके ख़िलाफ़ मुहिम भी छेड़ी थी, लेकिन जैसे ही यह बात सामने आई कि इसका मालिक ग़ैर मुसलमान है तो अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जगज़ाहिर है, गौ हत्या से सबसे बड़ा फ़ायदा तस्करों एवं गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है.,,,, इनके दबाव के कारण ही सरकार गौ हत्या पर पाबंदी लगाने से गुरेज़ करती है. वरना क्या वजह है कि जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो, वहां सरकार गौ हत्या रोकने में नाकाम है....जरा सोचो की कमीया कहा रह जाती है ?????
आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
ज्वाइन us www.gokranti.com

शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

यह केवल एक लेख नही यह 100% सत्य है।

यह केवल एक लेख नही यह 100% सत्य है।
भारतीय गाय की तस्करी की रक्तरंजित दास्तान.........
वर्ष के कुछ दिनों में जैसे महावीर जयंती, गांधी जयंती और रामनवमी आदि जैसे दिवस पर बूचड़खाने बंद रखे जाने के सरकारी आदेश हैं।
विश्व में भारत मांस पूर्ति की सब से बड़ी मंडी है।
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने के पश्चात् अमेरिका, सऊदी अरब, जापान, कोरिया और ताईवान में मांस आयात करने वालों को इस बात का भय पैदा हो गया है कि भारत से अब मांस की पूर्ति होने में कठिनाई पैदा हो सकती है।
भारत गाय और भैंस की बड़ी मंडी है इसलिये वहां से यदि मांस की पूर्ति नहीं होगी तो मांसाहारियों के लिये और पशु पर आधारित तैयार होने वाली वस्तुओं के उत्पादन करने में भी भारी कठिनाइयां पड़ सकती है।
विदेशियों की दृष्टि में पशु धन कच्चा माल है लेकिन भारत में करोड़ों व्यक्तियों के लिये यह आस्था का सवाल है।
इसके बावजूद प्रतिदिन मांसाहार के लिये सैकड़ों पशुओं की हत्या होती रहती है।
मांसाहार के नाम पर भारत का पशुधन बड़ी बेदर्दी के साथ लोगों के पेट में चला जाता है अथवा डालर, दीनार और किसी न किसी मूल्यवान मुद्रा के लिये अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्यापार के लिये कच्चामाल हो जाता है।
यदि आप के सम्मुख एक ऐसी गाय का चित्र प्रस्तुत किया जाए जिसके मुंह को सुई धागे से किसी कपड़े की तरह सी दिया गया है जैसे कोई टेलर कपड़े को सीलता है।
उसकी आंखों में लाल मिर्ची को पीस कर उसका पाउडर डाल दिया गया है।
जब मुंह बंद होगा तो गाय, बैल और बछड़ा चीख नहीं सकता, बोल नहीं सकते और सभ्य भाषा में लिखूं तो वह रंभा नहीं सकते।
केवल उसकी आंखों में आंसू जारी रहते हैं।
आंखें इसलिये बंद है कि उसके छलकते आंसू कोई देख न सके।
भारत की सीमाएं अपने पड़ोस के सात देशों से मिलती हैं।
इसमें कुछ देश तो भगवान बुध्द के अनुयाई हैं और बांग्लादेश तथा पाकिस्तान इस्लामी देश हैं, वे मांस भक्षी हैं।
इसलिये भारतीय गौ वंश की तस्करी इन देशों में बड़े प्रमाण में होती हैं।
यह सिलसिला साल भर चलता है क्योंकि इन पशुओं का मांस जहां उदरपूर्ति के लिये उपयोग किया जाता है वही पशु के अन्य अव्यय किसी न किसी काम उपयोग किये जाते हैं।
यही कारण है कि उनकी मांग विदेशी बाजार में बनी रहती है।
ईद के समय इसकी संख्या दुगुनी हो जाती है।
कहने को तो सरकारी तौर पर प्रतिबंध है लेकिन पशुओं का स्मगल होना एक खुला रहस्य है।
भारत की वे नदियां जो बांग्लादेश और पाकिस्तान में जा कर अन्य नदियों में मिल जाती है।
अथवा पाक और बांग्लादेश अधिकृत सीमाएं पार कर समुद्र में विलीन हो जाती है।
इन नदियो के माध्यम से गायों की बड़ी तस्करी होती है।
चूंकि तस्करी का मामला जोखिम भरा होता है इसलिये वहां इसके दाम भी ऊंचे आते है।
तस्करी का रहस्य खुल न जाए इसलिए गाय, बैल और बछड़े के मुंह को सी दिया जाता है ताकि घबराहट में चीखने पर किसी को पता नही चले।
गाय-बैलों के सिले हुए मुंह और बंद आंखों से टपकते आंसू देख कर लोगों का दिल व्यथित हो जाता है।
लेकिन जो निष्ठुर हो कर इस खून के व्यवसाय में लिप्त हैं उन्हें तनिक भी अफसोस नहीं होता है।
पशु की जान लेना तो अधर्म है ही लेकिन इस प्रकार उसे तड़पा तड़पा कर मारना कहां का न्याय है?
क्या दुनिया में मानवता की दुहाई देने वाले और गौशाला के नाम पर लाखो रूपये हजम करने वाले लोग तथा उनके संगठन इस दिशा में कुछ काम करेंगे?
आज तो पैसों की झंकार और दौलत की चमचमाहट में उन्हें कुछ भी नहीं दिखलाई पड़ता है।
भारतीय सीमाओं पर तैनात हमारे सुरक्षा दल के कुछ सैनिकों ने जान की बाजी लगा कर इन पर निशाचों के विरुध्द कार्यवाही की जिसमें दो घुसपैठिये मारे गए।
इस कार्यवाही के बदले में हमारी सरकार ने चारों सैनिकों को निष्कासित कर दिया।
उन तस्करों के परिवारजन को एशियन ह्यूमन कमीशन द्वारा भारतीय सैनिकों के विरुध्द शिकायत के बहाने पांच-पांच लाख रुपये की सहायता प्रदान की।
सैनिकों को दंड और तस्करों और पुरस्कार यह है हमारी भारत सरकार का न्याय?
इस घटना से पाठकों की यह जानकारी मिल जाएगी कि अपनी जान की बाजी लगाने वालों के साथ सरकार का व्यवहार क्या होता है और तस्करों को किस प्रकार सम्मानित कर उन्हें अपनी अवैध गतिविधियों के लिये पुरस्कृत किया जाता है?
बोर्डर सिक्युरिटी फोर्स के कमांडर उत्तम
कुमार बंसल ने अपनी सेवानिवृत्ति के समय 2012 में सरकार से यह गुहार लगाई थी यदि सब कुछ ऐसा ही करना है तो तस्करी पर रोक लगाने के स्थान पर उन्हें वैधानिक रूप से यह अधिकार दे दिया जाए कि वे यह सब बंद कर के भारतीय गौवंश का निर्यात कर सकते हैं। इससे गौ माता का तो छुटकारा नहीं होगा लेकिन वे गौभक्त तो इन सरकारी अधिकारियों और तस्करों के अत्याचारों से छूट जाएंगे।
आज तो गौ की भी हत्या होती है और उनके भक्त जो उनको बचाना चाहते हैं उन्हें भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
उक्त प्रस्ताव का बांग्लादेश के वाणिज्य मंत्री ने बड़ी बेशर्मी के साथ स्वागत किया।
क्या इस प्रकार की कार्यवाही गौभक्तों के जले पर नमक छिड़कने समान नहीं है।
भारत सरकार की इस निष्क्रियता के कारण बकरी ईद के अवसर पर भारत का 40 लाख पशु धन जिसमें गाय, भैंस और बकरे बकरियां तथा भेेंडे थी वे बांग्लादेशियों की जीभ के हवाले कर दी गई।
बांग्लादेश के बड़े समाचार पन्नों ने अपने 13 अक्तूबर 2013 के अंक में यह सारी जानकारी प्रकाशित की है।
एक अत्यंत विश्वसनीय गैर सरकारी संस्था से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिदिन 81 हजार डालर के मूल्य का भारतीय पशुधन भारत से बांग्लादेश की सीमाओं में घुसा दिया जाता है।
यह प्रवेश खुले रहस्य जैसा है।
भारत सरकार को सब कुछ पता है लेकिन डालर की मार ने उनके प्रभावशाली लोगों को गूंगा, बहरा और अंधा बना दिया है।
बांग्लादेश में कटने वाली हर दूसरी अथवा तीसरी गाय भारतीय होती है।
इस पशुधन से उन्हें केवल चटखारे मार कर खाने वाला मांस ही नहीं मिलता।
पशु का हर अव्यय अब रुपये की टक्साल
है।
बाल, चमड़ा, हड्डी, सींग, खुर और आंत नोट छापने की मशीन है।
जब इतनी सरलता से लक्ष्मी मिल जाती है और वे धन्ना सेठ बन जाते हैं तो फिर उन्हें दूसरा व्यापार करने की आवश्यकता ही क्या है?
एक वैज्ञानिक के कथनानुसार इन वस्तुओं
से साढ़े चार हजार प्रोडक्टस तैयार होते हैं।
गाय और भैंस की आंत बड़ी लम्बी होती है उसके पाउडर से जंगल में लगी आग बुझाई जाती है।
ब्राजील के जंगलों में आग लग जाना एक सामान्य बात है।
इसलिये भारत और अन्य देश इसका पाउडर तैयार कर ऊंचे दामों पर बेचते हैं।
बांग्लादेशी खुले आम कहते हैं कि भारत का हर पशु हमारे यहां नोट छापने की मशीन है।
आपको घर बैठे टक्साल चाहिये तो बस भारतीय पशु को विदेश में स्मगल कर के रातों रात करोड़ पति बन जाइये।

शनिवार, 6 सितंबर 2014

Cow Qoutes

Qoutes

Killing a bull is equivalent to killing a cow. 
(Jesus Christ)
Cow’s milk is tonic, its ghee is ambrosia and its meat is disease. 
(Hazarat Mohamed)
Cow is the source of progress and prosperity. In many ways it is superior to one’s mother.
(Mahatma Gandhi)
Cow protection is the eternal dharma of India
(Dr. Rajendra Prasad, 1st President of India)
One cow in its life time can feed 4,10,440 people once a day while its meat is sufficient only for 80 people.
(Swami Dayanand Saraswati)
Till cows are slaughtered, no religious or social function can bring its fruit.
(Devarah baba)
The first section of Indian Constitution should be on prohibition for Cow slaughter.
(Madan Mohan Malviya)
The pressure of Muslims for cow slaughter is the limit of foolishness. I have studied both Koran and Bible. According to both of them, to kill a cow even indirectly is a great sin.
(Acharya Vinoba Bhave)
Since the cruel killing of cows and other animal have commenced, I have anxiety for the future generation.
(Lala Lajpat Rai)
Kill me but spare the cow. 
(Lokmanya Tilak)
According to me under the present circumstances, there is nothing more scientific and intelligent act than banning cow slaughter.
(Jai Prakash Narayan)
Cow is the God even of God. 
(Shri Haridas Shastri)
We want to live in the world while being called as Hindus then we have to protect cows with all our might.
(Shri Prabhudata Brahmachari)
The offensive act of British Rule towards cows will go down in the history as an abominable deed.
(Lord Lonlithgo)
Cow is the foundation of our economy.
(Giani Zail Singh – Former President)
Neither Koran nor the Arabian Customs permit killing cow.
(Hakim Ajamal Khan)

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

गौ विश्वस्ये मातरम

गौ विश्वस्य मातरम
गौ न केवल हम सनातन धर्म की अपितु सम्पूर्ण विश्व
की माता है ऐसा गौ धेनु मनास में कहा गया है ये
सत्य भी है क्यों हमे जन्म देनी वाली माँ भले
ही केवल हमारा भरण पोषण करती है पर
गौ कभी ऐसा नहीं करती वो अपने दूध से
सभी का भरण पोषण करती है। गौ जिस घर में
रहती है कहा गया है वहा शुद्ध वातावरण
हो जाता है एक प्रकार की सकारात्मक
ऊर्जा निर्माण होती है ,गौ मूत्र ,गौ गोबर से
ईश्वर प्रसन्न होते है ये भी सर्वशुर्त है। पर आज
क्या हो रहा है गौ माता के साथ जिस धर्म में उसे
३३ कोटि का वास होने वाली माँ कहा है
उसी धर्म के लोग आज चंद रुपयो के लिए गौ को बेच
रहे है ,और कुछ लोग केवल अपने मुँह के चोचले पुरे करने
गौ हत्या कर रहे है। गौ किसी धर्म के हिसाब से दूध
नहीं देती उसके लिए सभी धर्म एक ही है पर बड़े शर्म
की बात है आज देश में एक धर्म को लज्जित करने
दूसरा धर्म गौ हत्या कर रहा है , २ ,२ हजार में
गौ वंश का नाश हो रहा है , सरेआम
गौ हत्या की जा रही है।
गौ हत्या गौ की हत्या नहीं इंसानियत
की हत्या होती है जो गौ हत्या में सहभाग
भी लेता है वो भी सम्पूर्ण इंसानियत का दोषी है।
गौ दूध से
जितना फायदा है ,शारीरिक ,मानसिक ,आर्थिक
उतना फायदा गौ हत्या में नहीं है ये बड़ी बात
कोई नहीं समझना चाहता।
गौ हत्या रोकने में हम सब सहभाग ले सकते है जैसे कुछ
बाते है जो हम आसानी से कर सकते है जैसे १) गौ दूध
की डिमांड बढ़ाना ,जैसे आर्टिफीसियल
(मिलावटी ) दूध के बजाये अगर हम गौ दूध की मांग
करे
२) खेती में अगर हम गोबर ,गौमूत्र से बने खाद
का उपयोग करे ,वैसे भी फर्टिलिज़ेर्स आज ज़हर बन रहे
है ,और गोबर गौमूत्र प्राकृतिक रूप से
खेती को फायदा ही पोहचाती है।
३) चमड़े से बने चीजो का पूर्ण तह त्याग करे ,मैं
कभी भी चमड़े से बानी कोई चीज का इस्तमाल
नहीं करती और मुझे चमड़े से ज्यादा अच्छी चीजे
मार्केट में मिल जाती है ,चमडे का कोई भी सामान
जैसे चमड़े के कपडे , जूते ,बेल्ट ,पर्स जब आप ख़रीदे तो एक
बार वो कैसे बना है जरूर सोचे के इस चमड़े के पीछे एक
जीव की हत्या हुई है फिर अगर
थोड़ी भी इंसानियत बची हो तो वो न ख़रीदे ,हम
जितना चमड़े के सामानो का त्याग करेंगे उतना एक
जीव बचेगा ये सोचे
४) एक और अहम बात उन लोगो के लिए जो गौ मॉस
कहते है या किसी भी अन्य प्राणी की हत्या करके
उसे खाते है उन सभी के लिए है एक बार उस जीव
की आँखों में देखे जिनकी आप हत्या करके उसे खा रहे
है। मांसाहार से कई ज्यादा पौष्टिक और
स्वादिष्ट शाकाहार भोजन है ,और दूसरी बात
आपको किसने ये अधिकार दिया के आप
किसी जीव की हत्या कर उसे खा सकते है ?
गौ मांस जो खाते है उन्हें ऐसा न करने आप प्रेरित कर
सकते है। हिन्दू या सनातनी जहा तक हो गौ मांस
नहीं खाते पर जो ऐसा करते है आप उन्हें प्रेरित कर
सकते है ऐसा न करने
५) हमेशा आर्थिक लाभ देखने के बजाये
थोड़ा प्राकृतिक लाभ ,धार्मिक लाभ ,स्वास्थ
लाभ , इंसानियत लाभ भी सोचे।
अगर आपको कही भी गौ पर
या किसी भी निष्पाप जीव पर अत्याचार होते
दिखे तो तुरंत पुलिस में
जानकारी दे ,या गौ रक्षा दल,हिन्दू सेना जो हर
शहर गाव में होती है उनसे संपर्क करे ,उसके लिए
आपको एक कदम उठाना है ऐसे कांटेक्ट नंबर अपने
मोबाइल में सेव करके रखना है।
गौ को माँ कहते हो न तो इतना तो कर सकते हो