शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014

गौ सेवा में थोङा लगा ले प्राणी ध्यान रे॥

॥ श्री गोमाता भजन ॥
गौ सेवा में थोङा लगा ले प्राणी ध्यान रे॥
झूठी जग की माया प्रभु का ही सच्चा नाम।
गौ माता की सेवा ही सबसे बढ़कर काम है।
गौ माता की सेवा से खुश होते भगवान रे॥
गौ सेवा में थोङा लगा ले प्राणी ध्यान रे....
मोटर बग्घी बंगला न साथ तेरे जा पाएँगे।
सखा भ्रात सुत नाती इस धन को व्यर्थ गवाएंगे।
इस दौलत को प्यारे तूँ क्यों करता बेकार रे॥
गौ सेवा में थोङा लगा ले प्राणी ध्यान रे....
न साथ में कुछ तूँ लाया, न साथ में कुछ ले जायेगा।
मुट्ठी बांधे आया है ओर हाथ पसारे जायेगा।
पूंछ पकङकर गौ की कर वैतरणी पार रे॥
गौ सेवा में थोङा लगा ले प्राणी ध्यान रे....
जनम मनुष्य का पाया, नेक काम कोई तूं कर ले।
कहता है ये गौ प्रेमी, तू नेह गऊ से कर ले।
गौ माता की सेवा से भरते हैं भण्डार रे॥
गौ सेवा में थोङा लगा ले प्राणी ध्यान रे....

हे गोमाता, तुम्हें प्रणाम ! (भजन)

हे गोमाता, तुम्हें प्रणाम !
मंगलदातृ हे गोमाता, हम सब करते तुम्हें प्रमाण।
दूध दही देती कल्याणी, औ असंख्य हैं तेरे नाम॥
कामधेनु है तु सुरभी है, विश्वरूप तू सुख का धाम।
सर्वरूप हैं तेरे जननी, तीर्थरूप रूप तू श्यामाश्याम॥
वेदों में है कीर्ति छा रही, अध्न्या भी है तेरा नाम।
परमपवित्र तेजमय तू है, तुष्टि तुष्टिमय तेरा धाम॥
वृन्दावन में कृष्ण कन्हैया, तुझे पालते आठों याम।
दूध दही मक्खन मिश्री से खेल खेलते हैं घनश्याम॥
देश हमारा तब कहलाता, सुखसमृद्वि का शोभाधाम।
घी दूध की नदिया बहतीं, नहीं गरीबी का था नाम॥
वही स्थिति फिर लाने को, गोसेवाव्रत लें अविराम।
गोरक्षा में जान लगादें, पूरण होंगे सारे काम॥
हे गोमाता तुम्हें प्रणाम !

"भजन"गोमाता की सेवा करना हर हिन्दू का कर्म है।

गोमाता की सेवा करना हर हिन्दू का कर्म है।
गोमाता की रक्षा करना हर हिन्दू का धर्म है।.धृ।.
सूखे तिनके खाकर भी जो दूध सभीको देती है।
शाकाहारी मूक बेचारी जो दे दो खा लेती है।
बछडोंका हमें दूध पिलाती ये दिलकी कितनी नर्म है।. १।.
बूढी और लाचारी गैया निशदिन काटी जाती है।
जीवन भर अमृत पिलवाती कैसी गति वो पाती है।
भारत हिन्दू देशमे होता ये कैसा अधर्म है।. २।.
हिन्दू एकता और शक्ति का गोमाता ही प्रतिक है।
राष्ट्र चिन्ह इसको बनवाओ बात ये बिलकुल ठीक है।
खून हमाराभी ठण्डा नहीं बतला दो ये गर्म है।. ३।.
हर नगर गाँव और देशमे गोशालाये बनवाओ।
हिन्दुओ की माताओको खुले आम ना कटवाओ।
जागो हिन्दू भाई बहनो बची अगर कुछ शर्म है।.४।.

गोविन्द को प्रिये बनाना है तो करो गोसेवा

सभी गौभक्तो को "श्री गोपाष्टमी" महापर्व की हार्दिक शुभकामनाये.....।

भगवान श्री कृष्ण गीता में अर्जुन से कह रहे है :-

"गो भिस्तुल्यं न पश्यामि धनं किचिदिहाच्युत"

अर्थात - हे अर्जुन ! मै इस संसार में गौ धन के समान और कोई धन नहीं देखता हूँ.

"सोना-चांदी और रत्न-मणि सब धन है केवल नाम का, यदि है कोई धन जगत में गोधन है बस काम का".

गौ स्वर्ग और मोक्ष की सीढी है.

जब भगवान कृष्ण मात्र 6 दिन के थे तब पूतना व्रज में आई थी,और भगवान ने उसका उद्धार किया था।

जब पूतना की विशाल देह को व्रजवासियो और गोपियों ने देखा तो वे बहुत डर गई और बाल कृष्ण को गौशाला में ले गई गाय के चरणों की धूलि लाला के मस्तक पर
लगायी और बारह अंगों में गोबर लगाया, गोमूत्र से बाल कृष्ण को स्नान कराया.
और फिर गाय की पूछ पकड़कर झाडा दिया और मंत्र बोलकर लाला की नजर उतारने लगी.

व्रजवासियो पर जब भी विपत्ति आई उन्होने गौ माता का ही आश्रय लिया।
यहाँ तक जब इंद्र में वर्षा की तब भगवान ने पहले गो रक्षार्थ हवन गोपूजन करवाया फिर गोवर्धन अर्थात गो +वर्धन गौ ही धन है ऐसे गोवर्धन को अपनी एक उगली पर उठाया.

भगवान ने अपना "नाम" और "धाम" का नाम भी गौ के नाम पर "गोपाल" और "गौलोक धाम" रखा है, क्योकि भगवान को गाय अत्यंत प्रिय है.

यदि हम श्रीमद्भागवत को देखे जिसमे भगवान के गृहस्थ का बड़ा सुन्दर वर्णन आता है उसमे भगवान की दिनचर्या के वर्णन में आता है कि भगवान प्रतिदिन तेरह हजार चौरासी गौए ब्राह्मणों को दान करते थे.

रामचरितमानस में आता है :-

"विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार,
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार"

अर्थात - ब्राह्मण, गौ. देवता और संतो के लिए भगवान ने मनुष्य का अवतार लिया वे माया और उसके गुण (सत्,रज,तम)और इन्दिर्यो से परे है उनका शरीर अपनी इच्छा से ही बना है.

यहाँ धेनु शब्द आया है अर्थात भगवान अपनी प्यारी गौओ के लिए ही इस धरा-धाम पर अवतार लेंते है.

जय गोमाता जय गोपाल।

महान गौ भक्त करपात्री जी महाराज

महान गौ भक्त करपात्री जी महाराज अमर रहे
स्वामी करपात्री जी के नाम से प्रसिद्ध संन्यासी का बचपन का नाम हरनारायण था। इनका जन्म सात जुलाई, 1907 को ग्राम भटनी, उत्तर प्रदेश में पंडित रामनिधि तथा श्रीमती शिवरानी के घर में हुआ था। सनातन धर्म के अनुयायी इनके पिता श्रीराम एवं भगवान शंकर के परमभक्त थे। वे प्रतिदिन पार्थिक पूजा एवं रुद्राभिषेक करते थे। यहां संस्कार बालक हरनारायण पर भी पड़े।
बाल्यावस्था में इन्होंने संस्कृत का गहन अध्ययन किया। एक बार इनके पिता इन्हें एक ज्योतिषी के पास ले गये और पूछा कि ये बड़ा होकर क्या बनेगा? ज्योतिषी से पहले ही ये बोल पड़े, मैं तो बाबा बनूंगा। वास्तव में बचपन से ही इनमें विरक्ति के लक्षण नजर आने लगे थे। समाज में व्याप्त अनास्था एवं धार्मिक मर्यादा के उल्लंघन को देखकर इन्हें बहुत कष्ट होता था। ये कई बार घर से चले गये, पर पिता जी इन्हें फिर ले आते थे।
जब ये कुछ बड़े हुए, तो इनके पिता ने इनका विवाह कर दिया। उनका विचार था कि इससे इनके पैरों में बेडि़यां पड़ जायेंगी, पर इनकी रूचि इस ओर नहीं थी। इनके पिता ने कहा कि एक संतान हो जाये, तब तुम घर छोड़ देना। कुछ समय बाद इनके घर में एक पुत्री ने जन्म लिया। अब इन्होंने संतनया का मन बना लिया। इनकी पत्नी भी इनके मार्ग की बाधक नहीं बनी। इस प्रकार 19 वर्ष की अवस्था में इन्होंने घर छोड़ दिया।
गृहत्याग कर उन्होंने अपने गुरु से वेदान्त की शिक्षा ली और फिर हिमालय के हिमाच्छादित पहाड़ों पर चले गये। वहां घोर तप करने के बाद इन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके बाद इन्होंने अपना शेष जीवन देश, धर्म और समाज की सेवा में अर्पित कर दिया। ये शरीर पर कौपीन मात्र पहनते थे। भिक्षा के समय जो हाथ में आ जाये, वही स्वीकार कर उसमें ही संतोष करते थे। इससे ये 'करपात्री महाराज' के नाम से प्रसिद्ध हो गये।
1930 में मेरठ में इनकी भेंट स्वामी कृष्ण बोधाश्रम जी से हुई। वैचारिक समानता होने के कारण इसके बाद ये दोनों संत 'एक प्राण दो देह' के समान आजीवन कार्य करते रहे। करपात्री जी महाराज का मत था कि संन्यासियों को समाज को दिशा देने के लिए सामाजिक गतिविधियों से सक्रिय भाग लेना चाहिए। अतः इन्होंने रामराज्य परिषद, धर्मवीर दल, धर्मसंघ, महिला संघ... आदि संस्थाएं स्थापित की। धर्मसंघ महाविद्वालय में छात्रों को प्राचीन एवं परम्परागत परिपाटी से वेद, व्याकरण, ज्योतिष, न्याय शास्त्र व कर्मकांड की शिक्षा दी जाती थी। सिद्धांत, धर्म चर्चा, सनातन धर्म विजय जैसी पत्रिकाएं तथा दिल्ली, काशी व कोलकाता से सन्मार्ग दैनिक उनकी प्रेरणा से प्रारंभ हुए।
1947 से पूर्व स्वामी जी अंग्रेज शासन के विरोधी थे, तो आजादी के बाद कांग्रेस सरकार की हिंदू धर्म विरोधी नीतियों का भी उन्होंने सदा विरोध किया। उनके विरोध के कारण शासन को 'हिन्दू कोड बिल' टुकड़ों में बांटकर पारित करना पड़ा। गोरक्षा के लिए सात नवम्बर, 1966 को दिल्ली में हुए विराट प्रदर्शन में स्वामी जी ने भी लाठियां खाईं और जेल गये। स्वामी जी ने शंकर सिद्धांत समाधान, मार्क्सवाद और रामराज्य, विचार पीयूष, संघर्ष और शांति, ईश्वर साध्य और साधन, वेदार्थ पारिजात भाष्य, रामायण मीमांसा, पूंजीवाद, समाजवाद और रामराज्य आदि ग्रंथों की रचना की।
महान गोभक्त, विद्वान, धर्मरक्षक एवं शास्त्रार्थ महारथी स्वामी करपात्री जी का निधन सात फरवरी, 1982 को हुआ।आपको शत: शत: नमन:

बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

गोपास्टमी पर्व 31.10.14

गौ-पूजन विधि
गाय के पैरों पर जल चढायें, तिलक करके फूल-माला पहनाकरफिर आरती करें तथा अर्चन पूजन करके गौ-ग्रास अर्पण करें। उसके बाद गाय की प्रदक्षिणा करें ।
कैसे करें गौ-रक्षा अभियान को कार्यरत?
गौ-रक्षा रैली (गोपष्टमी विशेष) :- केवल गाय ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसे भारत में माता का उच्च स्थान दिया गया है । मगर आज दुर्भाग्य का विषय है कि समाज के लोग गाय द्वारा प्रदत्त अमूल्य स्वास्थ्य-समृद्धि के खजाने को भूलते जा रहे हैं । फलस्वरूप भारत में अनेकों कत्लखाने खुल गये हैं । इस कुपरंपरा को समाप्त करने के लिए गोपष्टमी के दिन गौरक्षा हेतु रैली का आयोजन करें तथा क्षेत्र के मुख्य अधिकारियों को ज्ञापन दें ।
कैसी करें रैली की पूर्व तैयारी :-
(१) रैली हेतु ऐसे मार्ग का चयन करें जहाँ ज्यादा-से-ज्यादा लोग गौ-महिमा से अवगत हों ।
(२) १०-१५ दिन पहले ही रैली स्वीकृति पत्र भरकर स्वीकृति लेने जायें ।
(३) फ्लैक्स व पोस्टरस् पहले ही तैयार करवा लें ।(फ्लेक्स व पोस्टर्स संलग्न है )
(४) सभी भाई-बहनों को रैली के समय तथा स्थान की पूर्व सूचना दे दें ।
(५) अन्य सामाजिक संघटनों के मुख्य पदाधिकारियों को भी इस रैली में शामिल होने हेतु आमंत्रण दें.
(६) पैम्फलैट अधिकाधिक छपवाकर वितरित करें ताकि अधिकाधिक लोगों को गौ-महिमा का पता चले और उनके द्वारा गौमाता की रक्षा हो । 
रैली के समय ध्यान देने योग्य बातें :-
(१) सभीको निर्धारित समय पर स्थल पर पहुँचने के लिए कहें ।
(२) रैली में व्यवस्था और अनुशासन का विशेष ध्यान रखा जाय ।
(३) थोडे-थोडे अंतराल के बाद हाथ में स्लोगन की तख्तियाँ हों ।
(४) रैली में असमाजिक तत्त्व न घुसें इसके लिए ध्यान रखें ।
(५) रैली समाप्ति के बाद कलेक्टर को गौ-रक्षा हेतु ज्ञापन देने जायें ।
(६) रैली होने से पहले और बाद की प्रेसनोट व व्यवस्थित तस्वीरें अखबारों में छपवायें और फेसबुक पर भी डालें ।
(७) कार्यक्रम सम्पन्न होने के १-२ दिन में तुरंत हि कार्यक्रम की कुछ खास-खास व्यवस्थित तस्वीरें और सम्पूर्ण कार्यक्रम की रिपोर्ट जैसे -दिनांक, स्थान, लोगों की उपस्थिति, कार्यक्रम की विशेषता, खास अतिथि का नाम, उनका पद और वक्तव्य, पेपर कटिंग, आदि लिखकर ई-मेल द्वारा अवश्य भेजें । email id gomathaji@gmail.com
गौ-सेवा और गौ-रक्षा यह हर हिन्दुस्तानी, देशप्रेमी, संस्कृति प्रेमी, मानवताप्रेमी और गुरुप्रेमी का कर्तव्य है !
गौ-सुरक्षा में हमारा अन्य योगदान :-
(१) रोज गाय के लिए गौ-ग्रास निकालना, गाय को हरी घास खिलायें । (२) गाय के दूध, घी तथा गौ निर्मित धूप, अगरबत्ती की माँग करें । (३) चमडे से बनी चीजों का उपयोग न करें । (४) गाय के लिए विशेष गौ-गुल्लक बनायें, जिसमें स्वयं या बच्चों के हाथों से गाय की सेवा-सुरक्षा के लिए रोज कुछ-न-कुछ धन अलग करवायें तथा बच्चे के जन्मदिन अथवा किसी पर्व-उत्सव आदि पर किसी गौशाला में दान करें । इससे आपके बच्चों को गौ-सेवा और दान करने का महापुण्य तो अर्जित होगा ही साथ ही गाय की सेवा-सुरक्षा भी हो जायेगी ।

आप सभी को गोक्रांति मंच की और से गोपास्टमी की हार्दिक शुभकामनाये ।
निवेदक आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
WWW.gokranti.com

गाय के सींग

गाय के सींग का आकार सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है। यह एक शक्तिशाली एंटीना के रूप में काम करता है। सींगों की मदद से गाय आकाशीय ऊर्जाओं को शरीर में संचित कर लेती है। यह उर्जा हमें गोमूत्र, दूध और गोबर के द्वारा मिलती है।

पैकेजिंग दूध की सच्चाई

##पैकेजिंग दूध की सच्चाई##
आज हम सब लोग सुबह उठते ही चाय
की चुस्की लगाते है। हमने पैकेजिंग दूध
की सच्चाई अपने दूध के बारे में
नहीं सोचा। १ बार अपनी दूध
की थैली भी देख लीजिए। आज हम में से
ज्यादातर लोग अमूल गोल्ड या फिर
उसके समकक्ष कोई और दूध पिते होगे।
ये दूध खून में कोलेस्ट्रोल
की मात्रा बढाता है जिससे हमारे
शरीर में हृदय सम्बंधित
बीमारी बढती है। कम आयु में भी हार्ट
एटेक होना आज कल हम देख ही रहे है ना।
कही ये
हमारी लापरवाही का परिणाम
तो नहीं है ना? चलो अब जानते है कैसे ये
दूध आपके स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन
रहा है।
जरा ध्यान से अपनी दूध
की थैली देखना। उसके ऊपर कुछ इस तरह
लिखा मिलेगा।
Fat 6.0 % minimum
SNF 9.0 % minimum
500 ml का 9% के हिसाब से १ थैली में
SNF की मात्रा 45 gm होगी।
चलो अब जानते है ये SNF किस
बला का नाम है।
SNF मतलब Saturated natural fat.
हमारे शरीर में कई तरह की चर्बी या फेट
पायी जाती है जिसमे से कोई शरीर के
लिए लाभदायी है तो कोई शरीर के
लिए नुकसानदेह। ये SNF हमारे शरीर
को बहोत नुकसान पहुचाता है।
American Heart Association
की गाईडलाइन के अनुसार स्वस्थ रहने के
लिए हमारे आहार में SNF की दैनिक
मात्रा १६ ग्राम से
ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे
ज्यादा मात्रा में SNF का सेवन करने से
कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढती है और
ब्लडप्रेशर डायाबिटीस जैसी भयानक
बीमारियाँ भी होती है। यही बात
WHO ने भी अपनी रिपोर्ट में बताई है।
इस बात की पुष्टि के लिए आप निचे
दी गई लिंक देख सकते है।
http://www.heart.org/HEARTORG/
Conditions/Cholesterol/
PreventionTreatmentofHighCholester
ol/Know-Your-
Fats_UCM_305628_Article.jsp#
mainContent
आज पूरी दुनियाभर में कम SNF वाले
आहार के लिए
जागरूकता बढती जा रही है और हम सब
लोग अँधेरे में जी रहे है। ज्यादा SNF
वाला दूध ज्यादा पैसा देकर खरीद रहे है
और बीमारी को पैसो से आमंत्रित कर
रहे है। इसके उपरांत पैकेजिंग वाले दूध में
जर्सी, भैंस, बकरी, भेड़ सभी का दूध
मिलके हमारे पास पहूचता है।
कभी ज्यादा गाढ़ा दिखाने के लिए
उसमे विदेशी नस्ल के प्राणी के दूध
का पाउदर भी मिलाके उसे और
खतरनाक बना देते है।
कभी यूरिया भी डाल तो भी हमे
कहा पता चलेगा।
क्या यही हमारी अक्लमंदी है की हम
ज्यादा पैसा खर्च करके हार्ट एटेक
जैसी बीमारी को बुलाये और फिर
उसको ठीक करने के लिए और तगड़े पैसे खर्च
करके हार्ट की सर्जरी करवाए?
क्या इससे अच्छा ये नहीं होगा की हम
पहेले से ही पैसा हमारी गायमाता के
दूध के पीछे खर्च करे और हमारे स्वास्थ्य
को तरोताजा रखे?
आज ना जाने कहा से गोल्ड के नाम पे
ज्यादा पैसा खर्च करके हम
ज्यादा महँगा दूध पिने की बात गर्व से
करते है लेकिन गोल्ड सही माइने में हमे
बहुत महँगा पड सकता है। अगर "गोल्ड"
ही खाना हे तो गौमाता का दूध
पिए। इसमें खरा सोना है जिसकी वजह
से तो गायमाता का दूध
हल्का पिला रहता है। वैज्ञानिको ने
संशोधन में ये बात सिद्ध की है
की हमारी गायमाता के दूध में
molecule of auram
यानी की सुवर्णक्षार पाया जाता है
जो की खरा सोना है। अगर हमारे
बच्चों की बुद्धिशक्ति बढ़ानी है तो हमें
बूस्ट बोर्नविटा हॉर्लिक्स छोडके गाय
का दूध पिलाना शुरू करना पड़ेगा।
गायमाता का दूध के तो अनगिनत
फायदे है जो हम समय समय पर देखते रहेंगे।
आओ हम सब मिलके इस बात
को लोगो तक पहुचाये। स्वस्थ
बुद्धिसंपन्न समाज के निर्माण
की शुरुआत हमे अपने आप से
ही करनी होगी। चलो हम सब निर्धार
करे के हमारे भोजन में से पैकेजिंग दूध
को छोडकर गायमाता हा दूध
ही इस्तेमाल करे। दूध की जरूरत
पड़ेगी तो गायमाता की भी जरुरत
पड़ेगी और कतलखाने जाती हुई
हमारी माँ बचेगी और दूध के रूप में हम
सबके घर पहुचेगी।
।। जय गौमाता ।।

रविवार, 26 अक्तूबर 2014

सरयू गौ माता

भगवान राम की भक्ति में सबसे पहला नाम हनुमान जी का आता है।
लेकिन एक गाय ऐसी है जिसकी भक्ति भावना देखकर आप हैरान हुए बिना नहीं रहेंगे।
इस गाय की भगवान राम में ऐसी श्रद्घा और आस्था है कि आंधी हो या तूफान यह नियमित राम भक्ति की अपनी दिनचर्या नहीं भूलती।
बीमार होने पर भी यह भगवान राम की सेवा में जुटी रहती है।
इस अद्भुत गाय का नाम सरयू है।

भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में अधिगृहीत परिसर से सटे रंगमहल मंदिर में यह गाय रहती है।
कहते हैं कि जब सरयू दो साल की थी तब से ही इसने नियमित रुप से रामलला की परिक्रमा करने का क्रम शुरु कर दिया था। सरयू अब दस साल की हो चुकी है और
रामलला की परिक्रमा करने का क्रम आज भी उसी प्रकार बना हुआ है।

यह हर दिन शाम के समय डेढ़ से दो घंटे तक रामलला की परिक्रमा करती है।सरयू ने जब रामलला की परिक्रमा का क्रम शुरु किया तो लोगों ने पहले तो इस पर ध्यान नहीं दिया।
लेकिन कुछ समय बाद मंदिर के संतों ने जब सरयू की दिनचर्या पर ध्यान देना शुरु किया तो पाया कि सरयू नियमित रुप से एक निश्चित समय के आस-पास रामलला की परिक्रमा करती है।हर परिक्रमा पूरी करने के बाद रामलला के सामने सिर झुकाती है।इस बात की सूचना मंदिर के महंत रामशरण दास तक पहुंची तो उन्होंने इस बात की स्वयं जांच की और सरयू की परिक्रमा की बात की सही पाया।
इसके बाद रामलला की परिक्रमा में सरयू को कोई बाधा नहीं आए इसके लिए आवश्यक व्यवस्था की गई।

रामलला में सरयू की भक्ति का श्रेय इसकी माता को जाता है जिसका नाम 'श्यामा' था। श्यामा गाय के विषय में कहा जाता है कि यह भी भगवान की भक्तिनी थी।श्यामा गाय एकादशी के दिन व्रत रखती थी।
मंदिर में रहने वाले संतों ने जब गौर किया तो उन्हें पता चला कि श्यामा एकादशी के दिन कोई आहार नहीं लेती है।इसके बाद संतों ने यह व्यवस्था कर दी कि एकादशी के दिन श्यामा गाय को फलाहार मिले।

श्यामा गाय ने अपनी मृत्यु के समय तक एकादशी व्रत का पालन किया।
रंग महल मंदिर में रहने वाले संतों का कहना है कि एकादशी व्रत के पुण्य से ही श्यामा गाय ने भक्तिनी सरयू को जन्म दिया।

बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

दीपावली के पावन पर्व पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ

दीपावली के पावन पर्व पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ

गो एंव गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजन विधि-
दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला गोवर्धन पर्व मनाया जाता है। इसमें हिंदू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धननाथ जी की अल्पना (तस्वीर या प्रतिमूर्ति) बनाकर उनका पूजन करते है। इसके बाद ब्रज के साक्षात देवता माने जाने वाले गिरिराज भगवान [पर्वत] को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
गाय बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चन्दन आदि से उनका पूजन किया जाता है। गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है तथा प्रदक्षिणा की जाती है। गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा करते है तथा परिक्रमा करते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान के निमित्त भोग व नैवेद्य में नित्य के नियमित पदाथरें के अतिरिक्त यथासामर्थ्य अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फल, फूल; अनेक प्रकार के पदार्थ जिन्हें छप्पन भोग कहते हैं। 'छप्पन भोग' बनाकर भगवान को अर्पण करने का विधान भागवत में बताया गया है

मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

मारवाड़ी कविता "सुख समृद्धि छावो देश में रोको कटती गांया ने"

जै गो माता की
तर्ज: - कबुतरा की मकी बेचदे
बार बार अरज करू में भारत का भाया ने ।
सुख समृद्धि छावो देश में रोको कटती गांया ने ।।
ईतिहास भी है गवाही जद जद गांया पे वार विया ।
धर्म की रक्षा के खातिर ईश्वर का अवतार विया ।।
जगत पिता भी बण्यो गुवालो चराणे खातिर गांया ने ।। 1 ।।
अग्नि ज्यू धरण लगे हुरज तपे आकाशा ।
आषाढ मीनो लागता ही बंधे हैं जग ने आशा ।।
गायां खातर बरसे ईन्द्र भी पाणी पावे तसायां ने ।। 2 ।।
गाय गुवाडे बंधी रेती रोग दोग ने हरती ।
सुख संपदा का भंडार सदा ही मा भरती ।।
अंग्रेजी खाणो आग्यो भूल्या दूध
मलांया ने ।। 3 ।।
हल खींचकर धरती फाडता जैठ बैसाखा में धोरी ।
हीरा मोत्यां की खेती निपजती भर भर ने लाता बोरी ।।
मशीनरी का जुग में आकर भूल्या गौ का जायां ने ।।4 ।।
गाय गंगा गीता गायत्री घर घर तुलसी वेती ।
सारां ही पेली की रोटी मायड गाय ने देती ।।
ऊंच नीच को भेद मिटाकर भूल गया हथायां ने ।। 5 ।।
गौ माता के रोम रोम में राम जी को वास है ।
देव रमण ने आवे जठे गाय को निवास है ।।
चारो पाणी दिज्ये धराणी  केवे रामेश्वर माया ने ।। 6 ।।

गौ चरणों का दास
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया

श्री गौ माता प्राकट्य दिवस, गौपूजन एवं श्री गौ नवरात्रि महोत्स्व”

श्री गौ माता प्राकट्य दिवस, गौपूजन एवं श्री गौ नवरात्रि महोत्स्व”

श्री कार्तिक अमावस्या ( दीपावली ) की सुबह श्री गौ माता का प्राकट्य हुआ था. उसके बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर अक्षय नवमी तक गौ नवरात्रि होती है।
आईये हम सब दीपावली की सुबह गौ माता का जन्मदिवस मनाएं.

दिपावली मे गौ माता की पूजा....!!

आत्मिय जनों विदित् हो की दिनाकं 23 अक्टूबर को दिपावली का पर्व है।

समग्र सनातन धर्मी सदा से यह पर्व मनाते आ रहे है।
जिसमे हम लोग श्री लक्ष्मी जी सरस्वती जी एवं गणेश जी का पूजन करते है।
यह बात तो सबको मालूम है, किंतु हमारे शास्त्रों के आधार पर एवं प्राचिन भारत की परमपरा का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है की दिपावली का पर्व केवल गौमाता का ही पर्व है।

यह जानकर आपको आश्चर्य अवश्य होगा किंतु यह सत्य है।
बुंदेलखण्ड़ की ओर यह प्रथा आज भी जीवित है।
वहा दिपावली के दिन गाय माता की हि पूजा की जाती है।

हमारे शास्त्रों मे भी लिखा है की कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन गौमाता की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है।

आप यह ना सोचे की हम लक्ष्मी माता की पूजा को छोडकर भला गाय की पूजा क्यों करे।
अपितु यह समझे की शास्त्रिय तथा वैज्ञानिक दृष्टि से गाय हि साक्षात माता लक्ष्मी है।

गौमाता के पूजन से धन (लक्ष्मी जी), सदबुद्धि (सरस्वती जी) विधा एवं शुभ (गणेश जी) तथा समस्त कामनाओ की प्राप्ती होती है।

गोवंश के बिना पृथ्वी का अस्तिव संभव नही है।
आज लगातार गोवंश तथा गोबर खाद आदि की उपेक्षा से पूरी धरती की उर्बरा क्षमता नष्ट होती जा रही है।
यदि ऐसा ही चलता रहा तो कुछ हि वर्षो मे भारत की भूमी बंजर हो जायेगी।

इसलिये गाय तथा गोवंश का संरक्षण हि सारी समस्या का निदान है।

हमारे शास्त्रों मे गाय को साक्षात् भगवान हि बतलाया गया है।
सभी देवी-देवता गाय माता के शरीर मे वास करते है।
साक्षात भगवान भी गाय माता की सेवा करते है।
इसलिये उनका नाम गोपाल, गोविंद हुआ।

किंतु आज का हमारा समाज गोपाल को तो पूजता है लेकिन गोपाल की भी प्यारी गौ माता को लवारिस छोड देता है , और यहि गौहत्या का मूल कारण है।

शास्त्र कहते है की यदि कोई मनुष्य निस्वार्थ भाव से गौमाता की पूजा एवं सेवा करे तो उसके लिये विश्व मे कुछ भी दुर्लभ नही है।
गौमाता की सेवा से नव गृह दोष भी नष्ट हो जाते है।

जो दिपावली के दिन गौमाता की पूजा करता है उसे समस्त रिद्धि सिद्धियों की प्राप्ती होती है।
अतः नित्य गौ ग्रास अवश्य निकाले एवं गौसेवा अवश्य करे।

दिपावली के दिन गौपूजा अवश्य करे......

दिपावली गौपूजन समय : दोपहर 02 बजे से गौधूलिबेला तक।

पूजन सामग्रि : गुड़, ताजा रोटी, हरा चारा, चंदन, धूप-दीप, रोली-मोली आदि।

सर्व देवमयिदेवीं गावो विश्वश्य मातरः

अतः गौमाता हमारे सनातन धर्म रूपी वृक्ष का मूल(जड़) हैं, और मूल मे पानी देने के बाद तनों पत्तो मे पानी देने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

सहमत हो तो आप भी शेयर करे और सभी तक यह जानकारी पंहुचाये।

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

भजन "याद करो दधि-माखन-प्रेमी"

॥ श्रीसुरभ्यै नमः ॥ वन्दे धेनुमातरम् ॥
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजंगमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥
॥याद करो दधि-माखन-प्रेमी॥
गौ, गीता, गंगा, गायत्री, मत भूलो गोपाल को,
शीश झुकाओ, मातृ भूमि को भारत हृदय-विशाल को।
गौ जननी सम्पूर्ण विश्व की, बतलाता इतिहास है,
इसके तन में सभी देवताओं का पावन वास है।
अपनी सेवा से उत्पन्न करती कृषकों के भाल को॥1॥
गीता देती समर भूमि में जीवन का उपदेश है,
बाधाओं पर विजय दिलाना गीता का संदेश है।
देती काट मधुर वाणी से भव के दारूण जाल को॥2॥
भारत के हृदय स्थल पर बहती गंगा की धार है,
मरण-घङी में जिसका जल कर देता भव से पार है।
नमन करो, संस्कृति रक्षिका, वक्षस्थल-जयमाल को॥3॥
गायत्री वेदों की माता, महामंत्र जप योग्य है,
देती है सुख, शांति, शक्ति, सम्पदा और आरोग्य है।
जपो वृद्ध जन और युवाओं, हे भारत के बालको॥4॥
श्रीकृष्ण जगद्गुरू, मानवता करने आए उद्धार थे,
गौ, गोवर्धन और गीता के बने स्वयं आधार थे।
याद करो, दधि-माखन-प्रेमी नन्द-यशोदा लाल को॥5॥
अखिल गोवंश की जय.....
         ॥कामधेनु-कल्याण॥

बुधवार, 15 अक्तूबर 2014

"भजन"हमारी विनती सुनो भगवान

॥श्रीसुरभ्यै नमः॥वन्दे धेनुमातरम्॥
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजंगमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥
हमारी विनती सुनो भगवान
गौमाता की सेवा है बङे पुण्य का काम।
मानो इसकी सेवा को तीर्थ चारों धाम॥
हमारी विनती सुनो भगवान।
गौमाता की सेवा का हमें दे दिजो वरदान॥
हमारी...........................॥
सदा-सदा ही दुष्कर्मों से देकर हमको त्रान।
गौमाता की सेवा में ही लगे हमारा ध्यान॥
हमारी .........................॥
कहते हैं यों जग के सारे बङे-बङे विद्धान।
गौमाता की सेवा ही हैं सारे सुखों की खान॥
हमारी....................॥
'ग' अक्षर की महिमा गाते सुनो यों संत सुजान।
'ग' गंगा, 'ग' गाय, 'ग' गीता करत जगत कल्याण॥
हमारी...................॥
हैं यह परम उदार, दयालु रखती सबका मान।
बिना सेवा ही दुग्ध, दही, घृत का नित करे हमें दान॥
हमारी.......................॥
परोपकारी बछङे भी इसके सांची ली जै मान।
खेंच-खेंच हल, अन्न उपजा कर पालत सकल जहान॥
हमारी...................॥
पढ़ा रहे हैं पाठ हमें यह सारे वेद पुराण।
गौसेवा को ग्वाल बने थे श्री कृष्ण भगवान॥
हमारी.................॥
गौसेवा करे सदा शक्ति हमें ऐसी प्रदान करो।
गौसेवा करते-करते ही जाये हमारे प्राण॥
हमारी......................॥
'दास रूप नारायण' के उर भर दीजे यह ज्ञान।
गौमाता की सेवा करले चाहे जो कल्याण॥
हमारी.....................॥
श्री अखिल गोवंश की जय.....
॥जय गोमाता जय गोपाल॥
              एक गऊ प्रेमी

गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

आ जाओ नन्द नन्दन !!भजन!!

॥श्रीसुरभ्यै नमः॥श्रीगोभ्यः नमः॥
आ जाओ नंद नदंन
मेरी गोमाता की जान बचाने,आ जाओ नंद नदंन।
हे गो पालक गोपाल तुम्हारा,शत शत है अभिनंदन॥
हम करते हैं तुम्हें वंदन ॥
तुम भक्त सुदामा से मिलने को,नंगे पाँव भगे थे।
और अर्जुन की रक्षा करने को,दिन और रात जगे थे।
ये भूखी प्यासी गाय तुम्हारी,भटक रही है वन वन।।
हम करते हैं तुम्हें वंदन॥01॥
जब विपदा आती भक्तों पर,तब तुम गिरराज उठाते।
आज मर रही गो माता ,तुम भगकर क्यों नहीं आते।
चहुँ और गऊ को मार रहे है,बन कर इसके दुश्मन॥
हम करते हैं तुम्हें वंदन॥02
गौ की पूजा करते हैं,श्री बह्मा विष्णु भोले।
गायत्री सावित्री गौ माँ,दर-दर फिरती डोले।
कष्ट नष्ट कर देने वाले,दे दो अब तो दर्शन॥
हम करते हैं तुम्हें वंदन॥03॥
अब लो तुम अवतार प्रभुजी, तो ये बचेगी गैया।
"गो तेरे आगे-गो तेरे पीछे" हैं गोपाल कन्हैया।
देर हुई तो कट जायेगा, गो माता का तन-तन॥
हम करते हैं तुम्हें वंदन॥04॥
धर्म की हानि जब होती,तुमने अवतार लिया है।
"यदा-यदा हि धर्मस्य" गीता में वचन दिया हैं।
"श्रीकृष्ण" जल्दी से उठालो,अपना चक्र सुदर्शन॥
हम करते हैं तुम्हें वंदन॥05॥
॥श्रीसुरभी मईयाँ की जय॥

बुधवार, 8 अक्तूबर 2014

गौ हत्या यानि एक देवी की हत्या

ये सिर्फ गौ हत्या नहीं ,एक देवी कि हत्या है ,राष्ट्र माता की हत्या है
वेदों में ‘गोघ्न‘ या गायों के वध के संदर्भ हैं और गाय का मांस परोसने वाले को महापापी और अति दुष्ट कहा गया है
वेदों में गाय को अघन्या या अदिती – अर्थात् कभी न मारने योग्य कहा गया है और गोहत्यारे के लिए अत्यंत कठोर दण्ड के विधान भी है
गाय का यूं तो पूरी दुनिया में ही काफी महत्व है, लेकिन भारत के संदर्भ में बात की जाए तो प्राचीन काल से यह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। चाहे वह दूध का मामला हो या फिर खेती के काम में आने वाले बैलों का। वैदिक काल में गायों की संख्‍या व्यक्ति की समृद्धि का मानक हुआ करती थी। दुधारू पशु होने के कारण यह बहुत उपयोगी घरेलू पशु है।
गाय का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है। यह बीमारों और बच्चों के लिए बेहद उपयोगी आहार माना जाता है। इसके अलावा दूध से कई तरह के पकवान बनते हैं। दूध से दही, पनीर, मक्खन और घी भी बनाता है। गाय का घी और गोमूत्र अनेक आयुर्वेदिक औषधियां बनाने के काम भी काम आता है। गाय का गोबर फसलों के लिए सबसे उत्तम खाद है। गाय के मरने के बाद उसका चमड़ा, हड्डियां व सींग सहित सभी अंग किसी न किसी काम आते हैं। फिर भी गौ माता की हत्या क्यूँ
अन्य पशुओं की तुलना में गाय का दूध बहुत उपयोगी होता है। बच्चों को विशेष तौर पर गाय का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है क्योंकि भैंस का दूध जहां सुस्ती लाता है, वहीं गाय का दूध बच्चों में चंचलता बनाए रखता है। माना जाता है कि भैंस का बच्चा (पाड़ा) दूध पीने के बाद सो जाता है, जबकि गाय का बछड़ा अपनी मां का दूध पीने के बाद उछल-कूद करता है।
गाय न सिर्फ अपने जीवन में लोगों के लिए उपयोगी होती है वरन मरने के बाद भी उसके शरीर का हर अंग काम आता है। गाय का चमड़ा, सींग, खुर से दैनिक जीवनोपयोगी सामान तैयार होता है। गाय की हड्‍डियों से तैयार खाद खेती के काम आती है। फिर भी गौ माता की हत्या क्यूँ
भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवताओं का निवास है। यही कारण है कि दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है।
प्राचीन भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती थी। युद्ध के दौरान स्वर्ण, आभूषणों के साथ गायों को भी लूट लिया जाता था। जिस राज्य में जितनी गायें होती थीं उसको उतना ही सम्पन्न माना जाता है। कृष्ण के गाय प्रेम को भला कौन नहीं जानता। इसी कारण उनका एक नाम गोपाल भी है।
कुल मिलाकर गाय का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है। गाय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तो आज भी रीढ़ है। दुर्भाग्य से शहरों में जिस तरह पॉलिथिन का उपयोग किया जाता है और उसे फेंक दिया जाता है, उसे खाकर गायों की असमय मौत हो जाती है। इस दिशा में सभी को गंभीरता से विचार करना होगा ताकि हमारी 'आस्था' और 'अर्थव्यवस्था' के प्रतीक गोवंश को बचाया जा सके। आओ आज एक प्रण लें और गऊ माता की रक्षा के उन पापियों से सब मिलकर लड़ें ,

शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

गौमाता भजन

॥ श्री सुरभ्यै नमः ॥
॥ श्री गोमाता भजन ॥
गौ सेवा में थोङा लगा ले प्राणी ध्यान रे॥
झूठी जग की माया प्रभु का ही सच्चा नाम।
गौ माता की सेवा ही सबसे बढ़कर काम है।
गौ माता की सेवा से खुश होते भगवान रे॥
गौ सेवा में .................॥
मोटर बग्घी बंगला न साथ तेरे जा पाएँगे।
सखा भ्रात सुत नाती इस धन को व्यर्थ गवाएंगे।
इस दौलत को प्यारे तूँ क्यों करता बेकार रे॥
गौ सेवा में...................॥
न साथ में कुछ तूँ लाया, न साथ में कुछ ले जायेगा।
मुट्ठी बांधे आया है ओर हाथ पसारे जायेगा।
पूंछ पकङकर गौ की कर वैतरणी पार रे॥
गौ सेवा में..............॥
जनम मनुष्य का पाया, नेक काम कोई तूं कर ले।
कहता है ये गौ प्रेमी, तू नेह गऊ से कर ले।
गौ माता की सेवा से भरते हैं भण्डार रे॥
गौ सेवा में.............॥
श्री सुरभी मईयाँ की जय.........

बुधवार, 1 अक्तूबर 2014

गूंज उठी यह धरती सारी गौरक्षा के नारों से

॥श्रीसुरभ्यै नमः॥वन्दे धेनुमातरम्॥
गुंज उठी यह धरती सारी
गुंज उठी यह धरती सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो,गवों के हत्यारों से-2
कहाँ छूपे यदुवंशी सारे झट अपना मुख दिखलाओ।
वीर पाण्डवों की संतों फिर मैदानों आओ।
गोमाता के प्राण बचाओ, इन पापी गद्दारों से।
जुंज पङो ऐ भारत वालो, गवों के हत्यारों से-2
गुंज उठी यह धरती सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो.............2
कहाँ गई वो परशुराम के एकलोती संताने,
कहाँ गये वो हल्दी घाटी के महाराणा मस्ताना,
कहाँ गयी वो वीर रमणीया जो खेली अंगारों से।
जुंज पङो ऐ भारत वालो, गवों के हत्यारों से-2
गुंज उठी यह धरती सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो............2
जाग उठो हे वीर मराठों दुश्मन को अब ललकारो।
गोमाता का प्राण बचाओ हे पंजाबी सरदारों।
दिल्ली की गलियाँ गुंजा दो, अपनी तेज हुँकारों से।
जुंज पङो ऐ भारत वालो, गवों के हत्यारों से-2
गुंज उठी यह सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो.............।
जगतगुरू के सपने को अब सच्चा कर दिखलाओ,
इतिहासों के पन्नों पर तुम काला दाग न लगवाओ,
गोरक्षा की भीख मांगता भंवर हिन्द रखवालों से,
जुंज पङो ऐ भारत वालो, गवों के हत्यारों से-2
गुंज उठी यह धरती सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो...........॥
वन्दे धेनुमातरम्!