रविवार, 26 अक्तूबर 2014

सरयू गौ माता

भगवान राम की भक्ति में सबसे पहला नाम हनुमान जी का आता है।
लेकिन एक गाय ऐसी है जिसकी भक्ति भावना देखकर आप हैरान हुए बिना नहीं रहेंगे।
इस गाय की भगवान राम में ऐसी श्रद्घा और आस्था है कि आंधी हो या तूफान यह नियमित राम भक्ति की अपनी दिनचर्या नहीं भूलती।
बीमार होने पर भी यह भगवान राम की सेवा में जुटी रहती है।
इस अद्भुत गाय का नाम सरयू है।

भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में अधिगृहीत परिसर से सटे रंगमहल मंदिर में यह गाय रहती है।
कहते हैं कि जब सरयू दो साल की थी तब से ही इसने नियमित रुप से रामलला की परिक्रमा करने का क्रम शुरु कर दिया था। सरयू अब दस साल की हो चुकी है और
रामलला की परिक्रमा करने का क्रम आज भी उसी प्रकार बना हुआ है।

यह हर दिन शाम के समय डेढ़ से दो घंटे तक रामलला की परिक्रमा करती है।सरयू ने जब रामलला की परिक्रमा का क्रम शुरु किया तो लोगों ने पहले तो इस पर ध्यान नहीं दिया।
लेकिन कुछ समय बाद मंदिर के संतों ने जब सरयू की दिनचर्या पर ध्यान देना शुरु किया तो पाया कि सरयू नियमित रुप से एक निश्चित समय के आस-पास रामलला की परिक्रमा करती है।हर परिक्रमा पूरी करने के बाद रामलला के सामने सिर झुकाती है।इस बात की सूचना मंदिर के महंत रामशरण दास तक पहुंची तो उन्होंने इस बात की स्वयं जांच की और सरयू की परिक्रमा की बात की सही पाया।
इसके बाद रामलला की परिक्रमा में सरयू को कोई बाधा नहीं आए इसके लिए आवश्यक व्यवस्था की गई।

रामलला में सरयू की भक्ति का श्रेय इसकी माता को जाता है जिसका नाम 'श्यामा' था। श्यामा गाय के विषय में कहा जाता है कि यह भी भगवान की भक्तिनी थी।श्यामा गाय एकादशी के दिन व्रत रखती थी।
मंदिर में रहने वाले संतों ने जब गौर किया तो उन्हें पता चला कि श्यामा एकादशी के दिन कोई आहार नहीं लेती है।इसके बाद संतों ने यह व्यवस्था कर दी कि एकादशी के दिन श्यामा गाय को फलाहार मिले।

श्यामा गाय ने अपनी मृत्यु के समय तक एकादशी व्रत का पालन किया।
रंग महल मंदिर में रहने वाले संतों का कहना है कि एकादशी व्रत के पुण्य से ही श्यामा गाय ने भक्तिनी सरयू को जन्म दिया।

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