शनिवार, 27 अगस्त 2016

गीत / हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला ...

हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला,
ऐसा गर हो जाये तो फिर भारत किस्मतवाला.

गाय हमारी माता है यह, नहीं भोग का साधन.
इसकी सेवा कर लें समझो, हुआ प्रभु-आराधन.
दूध पियें हम इसका अमृत, गाय ने हमको पाला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...

गाय दूर करती निर्धनता, उन्नत हमें बनाए,
जो गायों के साथ रहे वो, भवसागर तर जाए.
गाय खोल सकती है सबके, बंद भाग्य का ताला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...

'पंचगव्य' है अमृत यह तो, सचमुच जीवन-दाता.
स्वस्थ रहे मानव इस हेतु, आई है गऊ माता.
गाय सभी को नेह लुटाये, क्या गोरा क्या काला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला....

गाय बचाओ, नदी और तालाब बचाओ ऐसे,
'गोचर' का विस्तार करें हम अपने घर के जैसे.
बच्चा-बच्चा बने देश में, गोकुल का गोपाला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...

गौ पालन-गौसेवा से हो, मानवता की सेवा,
गौ माता से मिल जाता है, बिन बोले हर मेवा.
कामधेनु ले कर आती है जीवन में उजियाला..
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...

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