शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

गौशाला कैसी होनी चाहिए इसका वर्णन स्कंध पुराण में है

गौशाला कैसी होनी चाहिए
इसका वर्णन स्कंध पुराण में है

🐿गौशाला सुदृढ़ विस्तीर्ण और समतल होनी चाहिए।

🐿ठंडी हवा एवं गर्म हवा से सुरक्षा वाली होनी चाहिए।

🐿उसकी समतल भूमि में बालू बिछी होनी चाहिए।

🐿चारा डालने के लिए बड़ी बड़ी नादे होनी चाहिए।

🐿गौमाता को बाँधने के खूंटे नुकीले नहीं होने चाहिए।

🐿कोमल रस्सियों से ही गौमाता को बांधना चाहिए।

🐿पानी पीने के लिए कुण्ड या जलाशय होना चाहिए।

🕷🐜मच्छरों से रक्षा के लिए नीम की पत्तियों का शाम को धुँआ करना चाहिए।

🦄गोशाला साफ़ सुथरी और गोबर से रहित होनी चाहिए।

🐀वहाँ जूठन व कचरा नहीं डालना चाहिए।

🐐वहाँ बकरियों को नहीं बांधना चाहिए।

🙉एवम् थूक मल मूत्र विसर्जन नहीं करना चाहिए।

💥संध्या समय गोशाला में दीपक जलाने से लक्षमी की वृद्धि होती है।

🙏🏻इस तरह की गौशाला को दान करने वाला धन्य है।

🐄नवजात वत्स को गाय का 2 माह तक पूरा दूध पिलाना चाहिए। इसके पश्चात 2 थनों को दुहना चाहिए।

🐠समय समय पर गोओं को नमक देकर पानी पिलाना चाहिए।

🐎रात्रि में दीपक जलाकर बांसुरी या वीणा वाद्य सुनाकर पुराणों की दिव्य कथाये सुनानी चाहिए।

🌲इसे ही गोष्ठी कहा गया है।

🐾उनकी ह्रदय से माता पिता देवता और भगवान् समजकर पूजा करनी चाहिए।

🐾गौशाला में रजस्वला स्त्री को प्रवेश नहीं करना चाहिए ।

🐏रोगी बुड्ढी और दुबली पतली गायों की सेवा दिल लगाकर करनी चाहिए ।

🌹इस तरह सेवा होने पर कोई संशय नहीं है की भगवान् का धाम न मिले ।

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