शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

देसी घी बनाने की विधि – Desi Ghee Recipe

🌻 *देशी घी बनाने की विधि* 🌻

बाजार में मिलने वाला घी और देशी घी में स्वाद और गुड़ दोनों ही अलग होते हैं, कितना भी शुद्ध बाज़ारू घी हो वो कच्चे दूध के ऊपर से मलाई निकाल कर बनाया जाता है, जबकि देशी घी केवल पकाये हुए दूध से ही तैयार हो सकता है।

✍�आज इसे बनाने की विधि:

*दूध को उबाल कर ठंडा होने दें, उसके बाद उसको मलाई सहित दही जमा दें।*
*दही जमने के बाद उसमें बराबर मात्रा पानी मिलाएं फिर किसी मटकी या किसी बड़े बर्तन में लकड़ी से बनी हाथ की मथानी  से उसे मथते है, सारा कमाल उसे मथने का है ज़्यादा मथ जाने पर घी नही निकलेगा, आसानी से मथने के बाद उसके ऊपर मक्खन आ जायेगा इस मक्खन को इकठ्ठा कर लें, एक दिन के बाद इस मक्खन को किसी कढ़ाई में डाल कर आंच पर गर्म करते हैं, जिससे पानी और मट्ठा जल जायेगा और खुश्बूदार असली देशी घी कढ़ाई में बचेगा।*
जब ये घी बनाया जाता है तो आसपास 50 मीटर तक इस घी की जबरदस्त सुगंध फ़ैल जाती है।
इस घी को खाने के बाद कोई भी बाज़ारू घी खाने की इच्छा नही होगी।

इस घी को गुनगुना करके इसकी 2 -2 बूंद नाक में डालने से कफजनित (कफ से पैदा होने वाली) बीमारियां समाप्त हो जाती हैं।

एक और विधि

मित्रों , देशी गौ घृत बनाने की वैदिक विधि ----------यानी
दूध को हमारे बुजर्ग जैसे गर्म करके  उसमे घी बनाते थी उसकी पूर्ण विधि ---
हम एक हांडी हैं जो करीब 20 लीटर की है ,उसमे 8 किलो दूध और 3   किलो पानी डालते हैं ,
इसके बाद "हारा"  जो लगभग हमारे गांव में हर घर में होता है ,

उसमे गौबर के उपले छोटे छोटे टुकड़े करके उनमे एक छोटी सुलगती चिंगारी छोड़ देते हैं -

जैसे ही उपले सुलगते हैं ,उन पर दूध की हांडी रखते हैं ,,,,,
ये करीब शुबह 8 से 9 बजे तक रखते हैं --
इसके बाद वो हांडी में पड़ा हुवा दूध  शाम के करीब 6,7 बजे तक इन सुलगते  उपलों की धीरे -धीरे  गर्म होता है -
और शाम होते-होते ये दूध लाल सुर्ख बन जाता है ,व् इसके ऊपर एक बड़ी परत मलाई की आ जाती है -या दौरान इस दूध में बहुत ही अच्छी खुशबु आती है -
शाम को 6,7 बजे हांडी को उतारने के बाद जब ये थोड़ा सा ठंडा हो जाये ,तो इसको मिटी का बिलौना होता है उसमें डाल दें ,और दही जमा दें इसका """"

और  ढक दें अच्छी तरह ,इसके बाद शुबह ब्रह्ममहूर्त समय 4 से 6 बजे के बीच इसको लकड़ी मथानी से मन्थन (बिलौना) करें -

और शुरु करने से पहले बिलोने में यदि शर्दी है तो इसमें थोड़ा (1लीटर) गर्म पानी डालें और गर्मी हैं तो मटके का ठंडा पानी डालें ,,,,और मन्थन करें और बिच में फिर एक लीटर पानी डालें और मथकर उसमे से माखन को किसी हंडिया में निकाल लें -
अब उस माखन को गर्म करें ,इसके तीन भाग बनेगें माखन को गर्म करने पर ,,,सबसे ऊपर जो झाग होंगे उसको छछेडू  बोलते हैं और इसके नीचे तरल घी और अंत में नीचे लस्सी होती है -
आप इस घी को सावधानी से निकालें इसमें झाग या लस्सी न आने पाएं -।इसके बाद एक बार पुनः इस अकेले घी को गर्म करें हांडी में -
जब इसमें से लस्सी झाग बिलकुल नजर न आएं -तो उतारकर किसी मर्तबान  ,चीनी मिटी बर्तन में रखें
और हांडी बिलोने की ताजी लस्सी पियें ,जो पेट आदि के लिए बहुत ही लाभकारी है -
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2 टिप्‍पणियां:

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