मंगलवार, 28 मार्च 2017

भगवान् शंकरकी गौभक्ति -(भाग २)

~~~ भगवान् शंकरकी गौभक्ति -(भाग २) ~~~

भगवान् शंकरकी गौओके प्रति कितनी प्रीति और कितनी भक्ति है- ईसकी एक कथा ब्रह्मपुराणमें आती है, जो ईस प्रकार है --

प्राचीनकालमें जाबालि नामक एक कृषक ब्राह्मण थे | वह मध्याह्न हो जानेपर भी अपने बैलोंको नहीं छोड़ता था, अपितु चाबुकसे ऊनके पृष्ठ और पार्श्वभागपर प्रहार करता रहता था |

ईस प्रकार ऊसके द्वारा पीड़ित और आँसू भरे नेत्रवाले बैलोंको जगन्माता कामधेनु गौने भगवान् शंकरके वाहन वृषभराज नंदीसे अपने पुत्र स्वरुप बैलोंकी ईस करुण कथाको कहां |

नंदीजी ने भी ऊन मुक बैलोंकी व्यथासे व्यथित होकर भगवान् शंकरसे ऊनका दुःख निवेदित किया | ईसे सुनकर भगवान् शंकरने नंदीजीसे कहां कि तुम्हारी ईच्छा के अनुसार ही कार्य सिद्धी होगी तुम जैसा चाहो वैसा न्याय करो |

नंदीजी ने भगवान् शंकर की आज्ञासे संपूर्ण गौसमुह को छुपा दिया | ईस प्रकार गौ-समुह के अदृश्य हो जानेपर स्वर्ग और धरती लोक में खलबली मच गई |

देवताओंने शीघ्रतासे ब्रह्माजीके पास जाकर कहां कि गौओंके बिना हम कैसे जी सकते हैं ??? बीना गौवंश के हम नही जी सकते | तब ऊन देवताओसें ब्रह्माजी ने कहां कि हे देवगण ! आप सब भगवान् शंकर के पास जाईये और याचना करीए |

ब्रह्माजीके कहनेके अनुसार सभी देवता शिवजीके पास आ गए और ऊनकी स्तुतिकरके अपना दुःख निवेदन किया , तब भगवान् शंकर बोले -

हे देवगण ! ईस विषय मे मेरा कोई बस नही, ईस विषय को मेरे नंदी महाराज ही जानते है, इतः तुम सब ऊन्ही के पास जाओ और ऊन्हींसे निवेदन करिए | देवताओं ने नंदीजीके पास जाकर कहां - हे नंदिन् आप हमें हमारी ऊपकारी और कल्याणी गौओं को कृपा करके दे दिजिए,ऊनके बीना हम नही जी सकते | ईसपर नंदीजी ने कहां - हे देवताओ ! आप लोग "गोसव" नामक यज्ञ करें, तभी जितनी दीव्य और मृत्युलोक की गौएँ हैं,
वे आपको प्राप्त हो सकती हैं, तदंतर देवोंने नंदीजीके कहे अनुसार गोमतीके पवित्र कछारमें "गोसव" यज्ञका अनुष्ठान किया, जिससे गौओंकी संख्यामें पुनः वृद्धी होने लगी और अदृश्य गौएँ भी पुनः प्राप्त हो गई...||

ईस प्रकार भगवान् शंकरकी गौमाताके प्रति भक्ति और गोवंशके प्रति प्रेम सिद्ध कीया...| ऊन्होने स्वयं न्याय न करते हुए यह अधिकार नंदीजी को दिया ताकी संसार को गोवंश की महीमा समझ आए...
आज भी लोग गौमाता पर हींसा करते है, और यही कारण है की जगह जगह पर प्राकृतिक विपदाए आती है, कहीं अतिवृष्टी, कहीं अनावृष्टी , कही भुकंप ...जबतक संपूर्ण गौवंश को पूर्ण रुप से सम्मान और प्रेम नही मिलेगा तबतक ऐसी ही विपदाओंका सामना हमें करना ही होगा....!!!

गुरुवार, 23 मार्च 2017

गोहत्या बंदी कानून से कौन बचेगी देशी गाय या फिर ? जर्सी माने सभी विदेशी हायब्रीड पशु भी बचेंगे ?

गोहत्या बंदी कानून से कौन बचेगी देशी गाय या फिर ?
जर्सी माने सभी विदेशी हायब्रीड पशु भी बचेंगे ?
भारतमे हिंदु धर्म के लोग विदेशी पशु को गाय नहीं मानते प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथ के हिसाबसे देशी गाय के दुधमे वह औषधि तत्व है,हम गाय का नहीं विदेशी जानवर का दूध पी रहे है ऐसा है क्या ?
गोवंश हत्त्या बंदी कानून अब सरकारने बनाया जबकी पहलेही अपनी देशी गोवंश बहोत सारा नष्ट हो गया है , तो इस कानुनसे अब इतना फायदा नही होनेवाला जितना कि पहले हो सकता था , अब तो देशमे ८० टक्का हायब्रीड / जर्सी / विदेशी पशु हैतो उनकाही दूध सारा देश पी रहा है , जो सेहत के लिए सही है क्या ? तो उस विदेशी पशुको यह कानून का संरक्षण मिलेगा, तो इसे फायदा क्या होगा / हुआ ?अब देशी गाय तो केवल नाम के लिए कम संख्या मे बची है जिसे कानुनने नही लोगोने , किसानोंने सुरक्षित रखा है , तो और इस कानुनमे सोचकर बदलावं कि जरुरत है क्या ? मतलब यह बात मै ज्यादा खुलकर यहाँ नहि लिख पा रहा हू ?समजनेवाले समज जाए , कि कानून ऐसा चाहिए कि ''' कौनसा ? - - - पशु काटे तो चलेगा ?लेकिन देशी गोवंश सुरक्षित रहना चाहिए'' , मतलब अब यह कानुनसे विदेशी पशु कोही सुरक्षा मिल रही है , तो यह कानून बनाके देशी गोवंश कैसे बढेंगा ?तो कानून बनाके सब योजना / काम नही बनते अब लोगोने हि यह करना चाहिए कि क्रांती होनी चाहिए कि '' विदेशी / जर्सी हटाओ और देशी गाय बचाओ '' तोही देशी गाय का संरक्षण और संवर्धन होगा , सरकारकी तो सारी दुग्ध योजनाविदेशी पशु बढानेकी है , तो देशी गोवंश कैसे सुरक्षित होगा ?, एक जगह ब्राझील देश है जहाँ अपनी भारतीय गोवंश कि अच्छी नसलो को वहा ले गये है और हजारॊकी संख्या मे संख्या बढाई है , क्योकी विदेशी पशुका दूध A1 अच्छा नहीं है ऐसा उनको पता चला तो A2 दूध देनेवाली गाय की संख्या को उन्होंने योजना विकसित की है.यह देखिए विडियो ब्राजीलके और वह अब ब्राज़ीलियन कही जाती है जबकि वह गोवंश ब्राज़ील देशने हमारे देशसे बड़ी बोटमे से ले गए है ऐसे पुराने विडियो भी नेटपर दीखते है। तो समजमे नहीं आता ऐसे देखे तो राजीव दिक्षित के सभी विडियो अगर हम देखे तो ऐसेही लगता है की जो जनता के हितमे है उसमेसे कई योजना सरकार क्यों नहीं ला रही है ? दुग्ध क्रांति तो हुई लेकिन कई साइंटिस्ट डॉक्टर बता रहे है की यह विदेशी पशु का दूध सेहत केलिए हानिकारक है ऐसे विडियो दिख रहे है तोभी सरकार क्यों देशको वह दूध पिला रही है ? और कुछ देशी वंश उसकी ३-४ पिढियोंके बाद वह भी ३५-४० लीटर दूध देती है और वह भी घातक नहीं अच्छा , A2 दूध लेकिन उसके पास किसीने ध्यान नहीं दिया है , तो असली दोषी कौन है ?और कानून बनाके किसको दिखावा दिखाया जा रहा है ? कानूनसे ज्यादा देशी गोवंशकी रक्षा केलिए A2 दूध की माँग होनी चाहिए '' अब दूध क्रांति होगी तो ऐसी होनी चाहिए ''विदेशी पशु हटाओ देशी गोवंश बचाओ ''सब लोग एक महीना विदेशीका पशुका दूध पीना बंद करदे तोही देशमे देशी गोवंश सुरक्षित और संवर्धन होगा , उस घातक दूधसे बीमारिया silently बढ़ती है? , फिर मेडिकल कंपनिया मुनाफेमे चलती है?, और देश की जनता बेहाल यह एक दुष्टचक्र में देश फस रहा है?. मतलब जिस कारन बीमारी हो रही है वह योजना वैसेही चालू है और बीचमे मैंने इसके बारेमे मिडिया को पूछा था की आप सच बात एक बार सबको बतादो की या दूध घातक है या नही ? तो एक बार पेपर में आया की यह बात अभी १०० टक्का सिद्ध हुई नहीं है ऐसा मामूली जवाब दिया है , तो फिर क्यों अन्य कई देशोंने यह विदेशी पशु देशसे घटाकर / पूरा निकालकर भारतीय गोवंश बढ़ाया है ? इसकी भी तो जानकारी लेनी होगी , और एक जगह विदेशी पशु रखने केलिए तुरंत बेरोजगार लोगोको कर्ज वगैरा मिल रहा है , तो वह बेरोजगार यही सोच रहा है की इसका दूध कैसा है मुझे क्या करना है , मुझे तो पैसा मिल रहा है बस ,तो कैसे देशी गोवंश बचेगा ? तो हम गाय का नहीं विदेशी जानवर का दूध पी रहे है.और फिर इस विदेशी जानवर को गोवंश हम मानते होंगे तो कानून तो विदेशी पशु केलिए बन गया ना ? तो पहले वह देखना चाहिए की देशी गाय और विदेशी पशु की क्या व्याख्या क्या है, व्याख्या बनाई है या नही, यः सब डिटेल बाते newspaper मी भी नही आयी है , बस पेपर मे बताया ''गोवंश हत्त्या बंदी कानून लागु हो गया '' अब इसे कानून का दंडा नही लोक क्रांती का दंडा चाहिए और वह भी शांति के मार्गसे '' विदेशी पशु का दूध पिनाहि बंद करदो ?'' और वह भी कैसे एकसाथ सब देशवासी एक महिना सोचलो कि इस महिनेमे हम दूध पिना बंद कर देंगे? तो सरकार को देशी गोवंश पर काम करनाही पडेगा ?. अब इतना सारा देशी गोवंश नष्ट हुआ है तो फिरसे उसे बढ़ाने में समय तो लगेगा ना ? तो हो सकता है हमें / या सरकारको पाँच साल भी लग सकते है , लेकिन योजना तो शुरू होनी चाहिए ना ?ठीकसे ध्यान देंगे तो हमारा देशी गो वंश भी ३५-४० लीटर दूध देती है।

शुक्रवार, 17 मार्च 2017

भगवान् शंकरकी गौभक्ति - (भाग १)

~~~ भगवान् शंकरकी गौभक्ति - (भाग १) ~~~
देवाधिदेव महादेव भगवान् शंकर 'पशुपति' कहें जाते हैं, -- 'पशूनां पतिं पापनाशं परेशम् |' ऊन्हें गौएँ ईतनी प्रिय हैं कि वे गौओ के ही साथ रहते हैं |
ऊनका वाहन वृषभराज नंदी हैं, ऊन्होंने धर्म स्वरुप वृषभ को ही अपनी ध्वजामें भी स्थान दिया हैं, ईसीलिए वे 'वृषभध्वज' कहलाते हैं|
भगवान् शंकर को तपस्या करना अति प्रिय हैं, और वे तपस्या भी गौओंके साथ रहकर ही करते हैं, क्योकीं गौएं समस्त तपस्वियोंसे बढ़कर है, ---
गावोऽधिकास्तपस्विभ्य­ो यस्मात् सर्वेभ्य एव च ||
तस्मान्महेश्वरो देवस्तपस्ताभिः सहास्थितः|
( महाभारत• अनुशासनपर्व• ६६|३७-३८ )
भगवान् शंकर अपने भक्तोंको भी गौएँ प्रदान करते हैं, बाणासुरसे प्रसन्न होकर ऊन्होंने ऊसे बारह हज़ार गौएँ दी थीं, जो समस्त संपत्तियों की शिरोमणि थीं | ऊषा- अनिरुद्धके विवाहमें बाणासुरने बहुत सारी दहेज-सामग्री भगवान् कृष्णको अर्पित की थी, परंतु भगवान् शंकरसे प्राप्त ऊन गौओंको ऊसने दहेजमें नहीं दिया था |
भगवान् श्री कृष्ण ईस तथ्य को जानते थे, अतः ऊन्होने गौओंकी मांग की , तब बाणासुरको भगवान् शंकर के कहने पर ऊन्हें गौएँ समर्पित करनी ही पड़ी |
भगवान् शंकर की गौभक्ति अद्भुत हैं, ऊन्होंने स्वयं नीलवृषभ के रुपमें गौमाता सुरभिके गर्भसे अवतार लिया |
स्कंदपुराणके नागर-खंडमें ईसकी कथा विस्तारसे आती हैं,
ऋषियोंसे श्राप पाकर वे गोलोक गए और वहां जाकर ऊन्होने गौमाता सुरभिकी ईस प्रकार स्तुति की ---
' हे सृष्टि, स्थिति और प्रलयकरनेवाली माता ! आपको बारंबार नमस्कार हैं | आप रसमय भावोंसे समस्त पृथ्वीतल, देवका, और पितरोंको तृप्त करती हों, रसभिज्ञ सभीसे आप परिचित हों, और मधुरस्वाद देनेवाली हों, संपूर्ण विश्वको आपनेहीं बल और स्नेहका दान दीया हैं | आप रुद्रोकी माता, वसुओंकी पुत्री, आदित्योकी बहन और संतोषमयी वाञ्छित फल देनेवाली हो | आप ही धृति, तुष्टि, स्वाहा, स्वधा, ऋद्धि, सिद्धि, लक्ष्मी, धारणा, कीर्ति, मति, कांति, लज्जा, महामाया, श्रद्धा, और सर्वार्थसाधिनी हो |
हे अनघे ! मैं प्रणत होकर आपकी पूजा करता हूँ, आप विश्वदुःखहारिणी हो, मेरे प्रति प्रसन्न हो | हे अमृतसम्भवे ! ब्राह्मणोंके प्रति शापसे मेरा शरीर दग्ध हुआ जा रहा हैं (जला जा रहा है) आप ऊसे शीतल करीए |
यह स्तवन करके शिवजी सुरभी माँ मे समा गए और ऊनके गर्भसे नीलवृष के रुप मे अवतार लिया |
ऊपरोक्त शिवजी रचित सुरभिस्तवन मे स्पष्ट होता हैं की पूरे संसार की अधिष्ठात्री एकमात्र कल्याणी गौमाता ही हैं, स्वयं त्रिदेवो की आधार ऊनकी शक्ति एकमात्र गौमाता ही हैं | ऊनके सिवा संपूर्ण ब्रह्मांड मे कोई अन्य ईतना कृपालु व दयालु हो ही नही सकता | ऊनके बीना संसार की कल्पना भी शून्य हैं |