गुरुवार, 10 अगस्त 2017

गाय हम सब की मां।

गाय हम सब की मां।
दुग्धाहार, श्रेष्ठाहार- दूध स्तनधारी प्राणियों के लिये वरदान है उस ईश्वर का जिसने दुनिया में उन्हें भेजा। गाय के साथ-साथ भैंस और बकरी के दूध का भी हम इस्तेमाल करते हैं। शायद ही ऐसा कोई मनुष्य हो जो दूध का पान किए बगैर ही बड़ा हो गया हो। “मातृ क्षीरंत अमृतं शिशुभ्य:” मां का दूध बच्चे के लिये अमृत है।
गौमाता की सुरक्षा के लिए संकल्प लीजिए, गौमाता की पूजा के लिये संकल्प लीजिए। चाहे किसी भी जाति सम्प्रदाय के हों, दूध पीने की आदत डालें। प्रक्रिया जो भी हो, मांस लाल होता है, दूध सफेद होता है। सफेद यानी शांति का प्रतीक। यह भी ईश्वर का एक संकेत ही है।
गाय को लेकर विशेष चर्चा इसलिए है कि गाय को बचाने के प्रयास हो रहे हैं। गाय हमारी माता है। हम सब उसके बच्चे हैं, उसके दूध पर आश्रित हैं। गाय का दूध गिलास में लेकर हम पीते हैं तो यह पुष्टिका है, कम से कम इतना तो कहा जा सकता है। गाय के दूध की उपयोगिता का वर्णन प्राय: असंभव है। ये बड़ी-बड़ी डेयरियां कहां से चलती हैं? ये पकवान कहां से बनते हैं? ये चाकलेट कहां से बनती है? ये मिठाइयां कहां से बनती हैं? स्वादिष्ट पनीर, दही, मावा सब के सब दूध से ही ताे बनते हैं। एक तरह से दूध न होता तो संसार नहीं होता।
गौमाता को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन-मन-धन से गौ की सेवा करता है, तो गौमाता उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है।



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