रविवार, 18 अगस्त 2019

बहुला चौथ पूजा विधि

*बहुला चौथ*
*व्रत, पूजा विधि एवं कथा*
*19 अगस्त*
बहुला चौथ का त्यौहार भगवान कृष्ण के अनुयायी मुख्य रूप से मनाते है। इस दिन गाय, बछड़े की पूजा की जाती है। कृष्ण के जीवन में गायों का बहुत महत्व था, वे खुद एक गाय चराने वाले थे, जो गौ को माता की तरह पूजते थे।
*बहुला चौथ पूजा विधि*
इस दिन पूरा दिन का व्रत होता है, जो शाम को पूजा के बाद खोला जाता है।
इस दिन मिट्टी से गाय एवं बछड़ा बनाया जाता है, कुछ लोग सोने एवं चांदी के बनवाकर उसकी पूजा करते है।
●शाम को सूर्यास्त के पश्चात् इन गाय, बछड़े की पूजा की जाती है, साथ ही गणेश एवं कृष्ण जी की पूजा की जाती है।
●कुछ लोग ज्वार एवं बाजरा से बनी वस्तु भोग में चढ़ाते और बाद में उसे ही ग्रहण करते है।
●पूजा के बाद बहुला चौथ की कथा को शांति से सुनना चाहिए।
●इस दिन दूध और उससे बनी चीजें जैसे चाय, काफी, दही, मिठाइयाँ खाना बिलकुल माना होता है।
●कहते है जो यह व्रत रखता है, उसे संकट से आजादी मिलती है, साथ ही उसे संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत से धन ऐश्वर्या मिलता है।
●पूजा अर्चना के बाद, मिट्टी से बने गाय बछड़े के जोड़े को किसी नदी या तालाब में सिरा दिया जाता है।
*बहुला चौथ की कथा*
विष्णु जी जब कृष्ण रूप में धरती में आये थे, तब उनकी बाल लीलाएं सभी देवी देवता को भाती थी। कृष्ण जी की लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु जाति की गाय ने बहुला के रूप में नन्द की गोशाला में प्रवेश किया।
कृष्ण जी को यह गाय बहुत पसंद आई, वे हमेशा उसके साथ समय बिताते थे। बहुला का एक बछड़ा भी था, जब बहुला चरने के लिए जाती तब वो उसको बहुत याद करता था।
एक बार जब बहुला चरने के लिए जंगल गई, चरते चरते वो बहुत आगे निकल गई, और एक शेर के पास जा पहुंची। शेर उसे देख खुश हो गया और अपना शिकार बनाने की सोचने लगा। बहुला डर गई, और उसे अपने बछड़े का ही ख्याल आ रहा था। जैसे ही शेर उसकी ओर आगे बढ़ा, बहुला ने उससे बोला कि वो उसे अभी न खाए, घर में उसका बछड़ा भूखा है, उसे दूध पिलाकर वो वापस आ जाएगी, तब वो उसे अपना शिकार बना ले।
शेर ये सुन हंसने लगा, और कहने लगा मैं कैसे तुम्हारी इस बात पर विश्वास कर लूँ। तब बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कसम खाई कि वो जरुर आएगी।
बहुला वापस गौशाला जाकर बछड़े को दूध पिलाती है, और बहुत प्यार कर, उसे वहां छोड़, वापस जंगल में शेर के पास आ जाती है। शेर उसे देख हैरान हो जाता है। दरअसल ये शेर के रूप में कृष्ण होते है, जो बहुला की परीक्षा लेने आते है।कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ जाते है, और बहुला को कहते है कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ, तुम परीक्षा में सफल रही।
समस्त मानव जाति द्वारा भादव महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारी पूजा अर्चना की जाएगी और समस्त जाति तुम्हे गौमाता कहकर संबोधित करेगी। कृष्ण ने कहा कि जो भी ये व्रत रखेगा उसे सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्या व संतान की प्राप्ति होगी।
बहुला चौथ का व्रत भादव महीने में आता है, इस समय मानसून रहता है, और हर जगह बहुत अधिक बारिश होती है। इस त्यौहार के द्वारा सभी पशुओं की सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है, ताकि वे अधिक बारिश, बाढ़ में सुरक्षित रह सकें। कृषि प्रधान देश में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मवेशियों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है।
*बहुला गौमाता की जय*
*श्रीगोविन्द भगवान की जय*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें