गुरुवार, 10 मार्च 2016

देश की आर्थिक समृद्धि का आधार है गाय (जल्द घोषित किया जाये राष्ट्र माता)

यह सच है कि स्वतंत्रता के बाद हमारी नैतिकता का ह्रास हुआ है। स्वार्थपरता बढ़ी है। नारों और वह भी फोके नारों से देश की जनता को ठगा गया है। गौरक्षा पर आंदोलन चले, गौमाता की जय-जयकार की गई, परन्तु रास्तों, सड़कों, शहर के कूड़े के ढेरों पर अशक्त, अपंग, बूढ़ी और दूध न देने वाली गायों को खुला छोड़ दिया गया है। आवारा सांडों की तो शहरों में भरमार हो गई। आवारा सांड आपस में सींग भिड़ाते और मानवीय जिंदगियों को रौंदते जाते हैं। अधिक हुआ तो ऐसे सांडों को महाराष्ट्र के देवनार बूचडख़ाने के हवाले कर दिया। कृषक की खेती की ऊर्जा बैल बेकार हो गया। 1955-56 में जब हम खेती करते थे तो गाय के बछड़े को ‘फलहों’ पर जोत कर ‘हाली’ किया जाता था। उसे सरसों का तेल पिलाते, आटे के पेड़े में मक्खन डालकर खिलाते।

मशीनें क्या आईं खेती में बैल बेकार हो गया। गौवंश के मांस का धड़ाधड़ निर्यात होने लगा। स्मरण रहे कि 1947 में हमारे देश में 123 करोड़ पशु धन था और आज सिर्फ 10 करोड़। 500 सालों के मुसलमान शासन और 150 साल के अंग्रेजी शासन में जितनी गौहत्या हुई उससे कई गुणा हमारी आजाद सरकार के शासन के दौरान गौ हत्याएं हो गईं।   1973 में 2000 टन गौमांस का निर्यात था तो 1975 में 61,000 टन हो गया। 1985 में 89,000 टन तो 1990 में 1,30,000 टन हो गया। 1995 में 1,35,000 टन तो सन् 2000 में 2 लाख टन मांस का निर्यात किया गया। 2016 आते-आते मांस का निर्यात 5 लाख टन हो गया। नित्य नए बूचडख़ाने खुलने लगे।   ये बूचडख़़ाने मुसलमान चलाते हैं? नहीं….. इनके लिए गौवंश केवल हिंदू भेजते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा बूचडख़ाना महाराष्ट्र के देवनार में है जहां नित्य प्रति 400 से 600 गौवंश की हत्या की जाती है। यह भी सच है कि देश में भार वाहन, प्रजनन, खेती योग्य और दूध देने वाले पशुओं का वध निषेध है।

   इसके अतिरिक्त ओडिशा, केरल, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में धड़ल्ले से बूचडख़ाने चल रहे हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली,  गुजरात, उत्तरप्रदेश और पंजाब में गौ-हत्या बंद है, पर चोरी-छिपे गौ हत्याएं जारी हैं। अगर यही क्रम रहा तो गौहत्याओं से देश की आर्थिक समृद्धि रुक जाएगी।   कीटनाशक दवाओं का इसी तरह प्रयोग करते गए तो हमारी धरती का स्वास्थ्य जर्जर हो जाएगा। कैंसर, शूगर, आमाशय और गले की बीमारियों से देश की जनता ऊंघने लगेगी। यह भी ध्यान रखे सरकार कि भौतिक प्रगति की अंधी दौड़ में हमारे राष्ट्र का प्राणाधार गौवंश की उपेक्षा एक सुनियोजित षड्यंत्र है। हमें पुन: ग्रामीण संस्कृति की ओर लौटना होगा। हमें गांवों के बेकार नौजवानों को गौवंश के संरक्षण, पोषण और पालन का काम सौंपना चाहिए। स्वदेशी गाय के दूध को प्रोत्साहन देने के लिए गांवों में डेयरियां नौजवानों को खोल कर देनी चाहिएं। बेकार नौजवानों को सरकार धड़ाधड़ कर्ज दे। ‘गाय लाओ देश बचाओ’ का संकल्प लेना होगा।   दूध पीने वालों को सोचना होगा कि वह कौन-सा दूध पी रहे हैं और कैसे हाथों से पी रहे हैं? विदेशी गायों या भैंसों के दूध से अजीब-सी सड़ांध आ रही होती है और हम वह दूध गटागट पीते जा रहे हैं। इससे हर दूध पीने वाला शूगर का रोगी हो रहा है। स्वदेशी गाय साहीवाल, राठी या केरल की देसी गाय पालने का अभियान देश में चलना चाहिए।

कमाल है यूरोपियन देश हमारी साहीवाल गाय की नस्ल को बढ़ावा दे रहे हैं, अपने दूध का निर्यात कर रहे हैं और हम हैं कि अपनी ही देसी गाय की नस्ल विकृत कर रहे हैं। अपनी ही देसी गाय को मरियल बना रहे हैं। विदेशी गाय का बछड़ा हमारी खेती के योग्य नहीं। उससे तो उठा भी नहीं जाता। अपने देसी बैल तैयार करो और मशीनों का प्रचलन जहां तक हो सके कम करो।  अपने गौवंश के गोबर-मूत्र से देसी खाद तैयार करो। धरती में फिर जीवन डालो। उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं या यूरिया खाद के बार-बार प्रयोग से धरती को मारो मत। लौट चलो देसी खादों, देसी गऊओं की ओर।   सुना है 2015-16 के बजट में केंद्र सरकार ने गौवंश के संवद्र्धन के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। यह तो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। कम से कम 2500 करोड़ की व्यवस्था केंद्र के बजट में रखी जाए। उसमें भी 500 करोड़ रुपए सिर्फ देसी गौवंश की समृद्धि के लिए चिन्हित किए जाएं। क्यों?   इसलिए कि भारतीय संस्कृति का आधार गौ-माता है। गाय हमारी श्रद्धा का केंद्र है। गाय सर्वश्रेष्ठ, पवित्र व पूजनीय मानी गई है। इसके घी, दूध, दही, गोबर के बिना संसार का कोई यज्ञ सम्पूर्ण नहीं होता। जहां गऊ है वहां पाप नहीं होगा। प्राचीन भारत में जिसके पास अधिक गऊएं होती थीं वही सबसे अमीर कहलाता था। यज्ञ में गाय के घी की आहुति दी जाती थी जिससे सूर्य की किरणें पुष्ट होती थीं। सूर्य की किरणें पुष्ट होंगी तो वर्षा होगी। वर्षा होगी तो अन्न होगा। अन्न ही जीवन है। वर्षा होगी तो वनस्पति होगी।

हमारे जीवन में गाय, गंगा, गायत्री, गीता और गुरु का विशेष महत्व है। सुनो तो सही मेरी बात—गाय हमारे धर्म और मोक्ष का आधार है, गाय हमारे स्वास्थ्य का आधार है, गाय हमारी आर्थिक समृद्धि की सूचक है। यदि भारत अपनी धरती को प्राणमयी बनाना चाहता है तो रासायनिक खादों से परहेज करे।   यदि भारत महात्मा गांधी की ग्रामीण संस्कृति को जिंदा रखना चाहता है तो स्वदेशी गायों को पालने के लिए बेकार नौजवानों को सरकार सस्ती दरों पर ऋण प्रदान करे। गौवंश के गोबर-मूत्र की देसी खाद तैयार करे। गाय के गोबर और मूत्र से बायोगैस का उत्पादन कर ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करे।   विदेशी नस्ल की गाय दूध ही अधिक देती है न? परन्तु उस दूध में फैट्स और प्रोटीन की मात्रा अधिक होने से शूगर की बीमारी होगी और कोलैस्ट्रॉल मनुष्य के शरीर में बढ़ जाएगा। स्वदेशी गाय का दूध पौष्टिक तो है ही साथ ही निरोगी भी है। विदेशी बैल, विदेशी गाय विदेशों को वापस कर दो। भारत स्वदेशी गाय की नस्ल के संवद्र्धन, पालन-पोषण को उत्साहित करने के लिए अपने बजट का मुंह खोले। गौशालाओं की आर्थिक सहायता करे तब गौमाता की जय होगी। तब देश की धरती स्वस्थ होगी।

गुरुवार, 3 मार्च 2016

गौ माता को राष्ट्रमाता के पद पर सुशोभित करवाने हेतू महा जन आंदोलन के कुछ चित्र (फोटोज)


गौ माता को राष्ट्रमाता के पद पर सुशोभित करवाने हेतू


ऐसा आन्दोलन जो भारत के इतिहास में स्वर्णिम है जब गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान देने ५ लाख से अधिक गौभक्तों ने दिल्ली में हुंकार भरी जो अभी भी जारी है..
चलो जंतर मन्तर

गौमाता को राष्ट्र माता बनाने के लिए लाखो लोग पहुंचे दिल्ली।

दिनाँक 28 फरवरी 2016 रविवार पहले तय अनुसार  दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में पूज्य गोपाल मणि जी महाराज एंव देश के पूज्य सन्तों के सानिध्ये में।
जिसमे देश के सभी राज्यो से 3 लाख गौभक्तो ने हिश्सा लिया।
दिल्ली पहुंचे गौ भक्तो अनुसार :-  1966 में धर्म सम्राट करपात्रीजी महाराज के नेतृत्व में गौहत्या बंदी आंदोलन को 2016 में 50 वर्ष पुरे हो रहे हैं।उस आंदोलन में हजारो गौभक्तो ने प्राणों की आहुति दि थी ।उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिये गौमाता को राष्ट्र माता के पद पर सुशोभित करवाने हेतु ।
।। महा जन आंदोलन का सफल आयोजन हुआ ।।
     भारत के ऋिषयों ने पूरे देश और दुनिया को एक परिवार या घर के रूप में देखा है। घर बनता ही माँ से है। इस देश में राष्ट्र गीत भी है राष्ट्र गान भी है राष्ट्र पक्षी भी है राष्ट्र पशु भी है राष्ट्रपिता भी हैै। लेकिन हमारे राष्ट्र रूपी घर में राष्ट्र माता नही है
इसलिए गो माता को राष्ट्र माता बनाओ। वेदों में लिखा है
गोस्तु मात्रा न विद्यते
गाय की बराबरी कोई नही कर सकता।  उस गो माता के लिए हमे किसी मंदिर बनाने की जरूरत नही है गो माता के घर पहुंचते ही वह घर मंदिर बन जाता है
गो माता को वो सम्मान दो जो हम भगवान को देते हैं ।
आंदोलन में पहुंचे भारतीय गोक्रांति मंच तमिलनाडु चेन्नई का नेतृत्व कर रहे  गोवत्स राधेश्याम रावोरिया का कहना है की पूज्य सन्तों एंव गौभक्तो ने
भारत सरकार एंव राज्य सरकार से निम्न पांच मांगे रखी।

1. गौ माता को राष्ट्रमाता के पद पर सुशोभित करे एंव गौ मंत्रालयों का अलग से गठन हो।
                                                 

2. रासायनिक खादो पर प्रतिबंध लगे,गोबर की खाद का उपयोग हो,गोबर गैस का चूल्हा जलाने एंव गोबर गैस को सी.न.जी गैस में परिवर्तन कर मोटर गाड़ी चलाने में उपयोग हो।
                                                 
3 . 10 वर्ष तक के बालक-बालिकाओ को सरकार की और से भारतीय गाय का दूध नि:शुल्क उपलब्ध हो,किसानो को गाय अनुदान में दी जाये,प्रत्येक गाँव में भारतीय नंदी(सांड)की व्यवस्था हो।

4. जर्सी आदि विदेशी गायों पर पूर्ण प्रतिबंध उसके दूध की विकृति को सार्वजनिक किया जाये,गोचरान  भूमि गौवंश के लिये ही मुक्त हो।


5.गौ-हत्यारों को मृत्यु दण्ड दिया जायें।
        
           28 फरवरी 2016 शाम 6 बजे तक भारत सरकार की और से कोई लिखत में मांग नही मानी गई इसलिए पूज्य गोपाल मणि जी महाराज जी ने गौमाता राष्ट्रमाता के संकल्प की पूर्ति के लिए आज से जंतर मंतर, दिल्ली में अनशन शुरू कर दिया है तथा पुरे प्रदेशों में सभी कार्यकर्ताओं और गौभक्तों को अनशन और धरना प्रदर्शन करने को कहा है...
आखिर गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाना है । पुरे भारत को दिखा दो की गौभक्तो की ताकत कितना कुछ कर सकती है और गोपाल मणि महाराज जी का समर्थन हेतु हर जगह धरना प्रदर्शन और अनशन करें।


गौमाता राष्ट्रमाता के चरणों में,हमारा कोटी-कोटी वंदन।

आपका
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया

आप सभी देश वासी ये जान ले पूजिए गोपाल मणि जी द्वारा किये जा रहे इस आंदोलन दिल्ली के जंतर मंतर पर अगर पूरा करने में अगर भारत के हिन्दू एक नहीं हुवे तो आने वाले समय में में कभी आप को ये मोका नहीं मिलेगा सभी दल सभी संस्ताये सभी गौ भक्तो को एक होने का मोका मिला है तो सभी लोग आपसी मत भेद जाती वाद तू में की बाते छोड़ कर अपने अपने राज्य, जिला, शहर, में रोड पर उतरे और अपनी माँ को बचाये और राट्रीय माता का दर्जा दिलाये आओ हिन्दू आओ माँ बुला रही है पुकार रही है ।।

गौ माता को राष्ट्रमाता के पद पर सुशोभित करवाने हेतू महा जन आंदोलन के कुछ चित्र (फोटोज)







हेमामालिन जी ने कहा गौवों :विश्वश :मातरः गौमाता राष्ट् माता के पद पर सुशोभित करे ।। इस राष्ट् व्यापि अभियान में हम गौ कान्ति अग्रदूत श्री गोपालमणि जी का समर्थन करती हूँ ।।।।






































आंदोलन में हैदरबाद से बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह भी पहुंचे थे उन्होने सार्वजनिक मंच से कहा यदि गौभक्तों की बात को प्रधानमंत्री मोदी जी नहीं सुनते है तो भारत का पहला विधायक रहूँगा जो गौरक्षा के लिए पार्टी से स्थिफा देगा व बाद में अपनी तलवार के दम पर गौरक्षा होगी !




पूज्य संजीव कृष्ण ठाकुर जी ने जंतर मन्तर पहुच कर ‪#‎राष्ट्रव्यापी_महाजन_आंदोलन‬ को दिया समर्थन और गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने के लिए सभी गौ भक्तो से की प्रार्थना की और कहा की आंदोलन को घर घर पहुँचाए गौ भक्त और कहा हर कीमत पर गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिला के रहेंगे ।