शुक्रवार, 19 मई 2023

युवा शक्ति कैसे गौ सेवा कर सकती है

युवा शक्ति

'एक भारतीय आत्मा के नाम से विख्यात परमादरणीय माखनलाल चतुर्वेदी (दद्दा) ने अपनी एक ओजस्वी कविता में युवा शक्ति की अपने संकल्पों के प्रति दृढ़ रहने की प्रेरणा देते हुए कहा है :-

खून हो जाए न तेरा देख पानी।
मरण का त्यौहार जीवन की जवानी ।।

किसी भी राष्ट्र में किसी बड़े परिवर्तन की संकल्प शक्ति देश की युवा शक्ति में अन्तर्निहित होती है। युवा शक्ति की दृढ संकल्पना, प्रलयंकारी परिवर्तनों का द्योतक होती है। इसी परिप्रेक्ष्य में ऋषि भतृहरि का कथन है- "जिस प्रकार सूर्य अकेला ही अपनी किरणों से समस्त संसार को प्रकाशमान कर देता है, उसी प्रकार एक ही युवा "वीर" अपनी शूरता, पराक्रम और साहस से सारी पृथ्वी को अपने पैरों तले कर सकता है।" इस रूप में गोवंश व संवर्धन इस राष्ट्रीय कर्तव्य की पूर्णता युवा शक्ति के निम्न संकल्पों में अन्तर्निहित है :-

1. युवक गौ रक्षा के अभियान में सक्रिय भूमिका अदा करें। गो रक्षक समूह बनाकर गो हत्यारों के चंगुल से गोवंश को छुडाने हेतु अपनी अमित शक्ति का प्रयोग करें।

2. गो दुग्ध पान स्वयं करे एवं उसका सम्यक प्रचार करें।

3. पंच गव्य (गोदुग्ध, गोबर, गोमूत्र, गोघृत, गोदधि) का अधिकतर प्रयोग करें व अन्य को इसके प्रयोग की प्रेरणा दें।

4. भोजन के समय गो माता के निमित्त गो ग्रास निकालने की अपनी भारतीय परम्परा का पालन करें।

5. गो पर्व, गो उत्सव, गोपाष्टमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गोवत्स द्वादशी,बलराम जयंती (हलधर षष्ठी) इत्यादि का आयोजन उत्साहपूर्वक करने का दायित्व लेवें।

6. गाँवो व किसानों के मध्य जैविक कृषि का प्रचार प्रसार करें। गोवंश के महत्त्व का प्रचार करें।

7. गोशालाओं के लिए सहयोग एवं सहायता के प्रति समाज को जागृत करें। 

8. शहरों में घनी आबादी के बीच गोमाता को प्रताड़ित कर भगाया जाता है। ऐसी स्थितियों में गो माना के प्रति श्रध्दा भाव निर्मित करें व उनकी उचित व्यवस्था करने की जिम्मेदारी लेवें।

9. गो हत्यारों को सामाजिक व कानूनी रूप से प्रताडित करें।
 10. अधर्मी व विदेशी शक्तियों द्वारा गो सेवा व गो माता के प्रति किए जा रहे दुष्प्रचार का मुँह तोड़ जवाब देवें ।

गुरुवार, 11 मई 2023

प्रौढ महिलाएं कैसे गौसेवा कर सकती है।

प्रौढ महिलाएं

आप परिवार को सुसंस्कृत, सुदृढ एवम् प्रगतिशील बनाने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। परिवार मे युवाओं को आप मार्गदर्शन करती है। परिवार को समय-समय पर आपके सलाह एवम् उपदेशों की आवश्यकता पड़ती है। अपनी इन्ही सलाहों में एवम् उपेदशों में गोसेवा, गोसंस्कृति को शामिल कर परिवार को और मजबूत बनायें।

१. परिवार के सदस्यों को गाय का धार्मिक, पौराणिक महत्व व भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम व म. गांधी  जैसे महापुरुषों की गौभक्ति व गौसेवा से अवगत करवाना चाहिये।

२. गोपाष्टमी, बारस जैसे अनेक गोउत्सवों पर गौपूजन, गौसंवर्धन का विशेष महत्व बताना चाहिये।

३. गौमाता के रक्षार्थ आस-पडोस से धन एकत्रकर चारे की व्यवस्था करनी चाहिये। ४. परिवार के सभी सदस्यों को गोग्रास की आदत डलवानी चाहिये।

५. गौसेवा का महत्व समझाकर बहु-बेटियों, परिवार के पुरुषवर्ग व अन्य संबधियों को किसी गोशाला के सत्कार्यों से जोडने का प्रयास करना चाहिये।

६. पूजा स्थलों, मंदिरों में गाय के महत्व को विशद कर इसी विषय पर कीर्तन, प्रवचन व्याख्यान का आयोजन करने हेतु प्रेरित करना चाहिये।

७. परिवार को गोवंश हत्या से प्रेरित खाद्य पदार्थ सौंदर्य प्रसाधन व • औषधि का बहिष्कार करने हेतु प्रेरित करना चाहिये।

८. परिवार के सभी सदस्यों को गोदुग्धपान का आग्रह करना चाहिये। ९. घर में पंचगव्य उत्पादों के अधिकाधिक उपयोग पर बल देना चाहिये।

एक ग्रहणी कैसे गोसेवा कर सकती है

समाज की मूल इकाई परिवार है। परिवार के आकार-प्रकार, सुख-शांति, सम्पन्नता का आधार बिंदु गृहिणी ही है। 'गृहस्थी' है क्यों कि 'गृहिणी' है। संसार की प्रथम पाठशाला, परिवार की मुख्य अध्यापिका गृहिणी ही है। गोवंश रक्षा एवं संवर्धन के महायज्ञ में प्रथम आहुति गृहिणी की ही हो सकती है। निम्न मुख्य बिंदुओं का पालन कर गृहिणी गौ माता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर सकती है :-

१. घर में गाय के दूध, दही, गोघृत का उपयोग करें। पंच गव्य निर्मित साबुन, शैम्पू व उबटन का ही उपयोग करें। बीमारियों में यथासम्भव पंचगव्य औषधियों का उपयोग करें।

२. प्रतिदिन प्रातः गो दर्शन कर दिन का शुभारम्भ करें।

३. भोजन से पहले गो ग्रास देने की आदत परिवार के प्रत्येक सदस्य में डालें।

४. परिवार के बच्चे, बहू-बेटियाँ व अन्य सदस्यों को गो महिमा समझाकर गोसेवा हेतु प्रवृत्त करें।

५. गोपाष्टमी, गोवत्सद्वादशी, बलराम जयंती (हलधर षष्ठी), श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, मकर संक्राति इत्यादि गो पर्व तथा गो उत्सव मनाने की परम्परा प्रारम्भ करें। परिवार में गौ कीर्तन व गो महिमा से सम्बधित शास्त्रों का पठन पाठन करे।

६. फलों व सब्जियों का उपयोग में न आने वाला हिस्सा कचरे में न फेंकते हुए गोवंश को दें। घर के सामने आनेवाले गोवंश को पानी पिलायें। परिवार के भोजन के बाद बचा हुआ अन्न सब्जी भी गोवंश को खिलावें।

७. प्लास्टिक की थैलियों का कम से कम उपयोग करें। कचरा प्लास्टिक की थैलियों में भरकर न फेंके क्यों कि ये थैलियाँ ही गाय का आहार बनती हैं तथा प्लास्टिक की थैलियाँ खाने से गौ माता अस्वस्थ होकर मृत्यु का ग्रास बनती है।

८. गौमाता में समस्त देवी-देवताओं का वास होता है। घर में गोमाता का एक चित्र अवश्य लगवायें तथा परिवार समेत नमन करें ताकि परिवार में गो श्रध्दा व गो सेवा का भाव जगे ।

९. गो सेवा हेतु कम से कम एक रुपया प्रतिदिन एक डिब्बे में डालें व वर्ष में एक बार गोशाला या गो सेवा से सम्बधित संस्था को दान देवें।

१०. भारतीय नस्ल की गाय पालें व गो सेवा के आनंद का प्रत्यक्ष अनुभव करें।