शनिवार, 23 अक्तूबर 2021

जानें, अधिक दूध देने वाली गाय की 8 नस्लें

भारत दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। हमारे देश में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। आज भी गांवों में गाय पालन रोज़गार का प्रमुख साधन है।  गाय का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है। यह बीमार और बच्चों के लिए बेहद उपयोगी आहार माना जाता है। गाय का घी और गोमूत्र अनेक आयुर्वेदिक औषधियां बनाने के काम आता है। गाय का गोबर फसलों के लिए सबसे उत्तम खाद है। गाय के मरने के बाद उसका चमड़ा, हड्डियां और सींग सहित सभी अंग किसी न किसी काम आते हैं 

 1- साहीवाल

 देशी और दुधारू नस्ल में साहीवाल सबसे अच्छी नस्ल है। यह मुख्य रूप से उत्तर पश्चिमी भारत और पाकिस्तान में मिलती है। यह नस्ल लाल रंग की होती है। इनका शरीर लंबा, ढीला और भारी होता है। इनके सिर चौड़े और सींग मोटे व छोटे होते हैं।   यह एक ब्यांत (lactation) में लगभग 2400-3000 लीटर दूध देती है। यह गाय एक बार मां बनने पर करीब 10 महीने तक दूध देती है। साहीवाल गाय की दूध में फैट (Fat) की मात्रा 4.0-4.5 प्रतिशत और एसएनएफ (SNF) की मात्रा 8.0-8.5 होती है। यही कारण है कि पशु पालक इसे सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं। 

 2- गिर 

 गिर गाय का मूल स्थान गुजरात है। यह भारत की सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्लों में से एक है। इस गाय के थन बड़े होते हैं। ये गाय लाल रंग की होती है। इनके कान लंबे और लटके होते हैं।  यह एक ब्यांत (lactation) में लगभग 2200-2600 लीटर दूध देती है। भारत के अलावा इस गाय की विदेशों में भी डिमांड है। इज़राइल, ब्राजील में भी इन गायों को पाला जाता है। 

3- रेड सिंधी 

देशी नस्लों में रेड सिंधी गाय तीसरे स्थान पर है। इन गायों की दुग्ध उत्पादन क्षमता एक ब्यांत (lactation) में लगभग 1800-2200 होती है। यह गाय भी लाल रंग की होती है। इस नस्ल का मूल स्थान सिंध प्रांत है, लेकिन अब यह गाय पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा में भी पाई जाती है।  

4- हरियाणवी 

इस नस्ल की गाय सफेद रंग की होती है। इनसे दूध उत्पादन भी अच्छा होता है। यह नस्ल एक ब्यांत (lactation) में लगभग 2200-2600 लीटर दूध देती है। इस नस्ल के बैल खेती में अच्छा कार्य करते हैं, इसलिए हरियाणवी नस्ल की गायों का पालन दूध और कृषि दोनों में होता है। 

 5- थारपारकर

 इस नस्ल का संबंध थारपारकर जिला (अब पाकिस्तान) से है। इस नस्ल में गर्मी सहन करने की क्षमता ज़्यादा होती है। यह भारत में मुख्य रूप से जोधपुर, कच्छ और जैसलमेर में पाई जाती है। इस नस्ल का रंग राख के जैसा होता है। शरीर मध्यम और चौड़ा होता है। सींग वीणा के आकार के और किनारों पर तीखे होते हैं। यह गाय प्रति ब्यांत में 1800-2000 लीटर दूध देती है। 

6- राठी 

इस नस्ल का मूल स्थान राजस्थान है। भारतीय राठी गाय की नस्ल ज़्यादा दूध देने के लिए जानी जाती है। यह गाय राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर इलाकों में पाई जाती हैं। यह गाय प्रति ब्यांत में 1500-1800 लीटर दूध देती है। यह नस्ल एक मिश्रित नस्ल  है। इस नस्ल के बैल खेत में भी अच्छा काम करते हैं। 

7- कांकरेज 

कांकरेज नस्ल का मूल स्थान गुजरात और राजस्थान है। यह गाय मुख्य रूप से राजस्थान के बाड़मेर, सिरोही और जालौर जिलों में पाए जाते हैं। इस नस्ल की गाय प्रति ब्यांत 1800-2000 लीटर दूध देती है। इस नस्ल का मुंह छोटा और चौड़ा होता है। इस नस्ल के बैल भी अच्छे भार वाहक होते हैं। 

8- हल्लीकर नस्ल 

हल्लीकर गाय का मूल स्थान कर्नाटक है। हल्लीकर के गोवंश मैसूर (कर्नाटक) में सर्वाधिक पाए जाते हैं। इस नस्ल की गायों की दूध देने की क्षमता काफी अच्छी होती है।    

मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021

किसी गोभक्त ने पूछा कि आप गौ भक्त है?

किसी गोभक्त ने पूछा कि आप गौ भक्त है? मैं भी गौ भक्त हूं और गौ माता की किस प्रकार से सेवा कर सकते हैं इस संबंध में मुझे जानकारी देने की कृपा करें । जय गौ माता। 

मेरी समझ से मैंने कुछ निवेदन किया है। बाकी आप समस्त गोभक्तों को, गोसेवकों, गोरक्षकों को लिखना है।

हम गोमाता की सेवा करना चाहें तो इनमें से कोई एक या अधिक तरीके काम में ले सकते है--
1. घर पर गाय या बैल रखकर उनकी सेवा करें।
2. गोशाला खोलकर(अकेले या कुछ लोग मिलकर) गौसेवा करें।
3. गोव्रत लेकर(इस व्रत में गो के लिए नियमित चारा, दाना, गुड़, तेल, राशि आदि द्रव्य समर्पित करना, केवल गाय के दूध, दही, घी, मिठाई , छाछ ही आहार में प्रयोग किये जायें, जहां तक संभव हो गोबर खाद से पके अन्न, फल, सब्जियों को लेना। यदि ये पदार्थ गाय के उपलब्ध न हों तो तेल में बनी सब्जी ले लें। ऐसा करने से दूध बेचने वाले गायों को पालेंगे। यदि गो गव्यों की हम मांग ही नहीं करेंगे तो लोग गाय क्यों रखेंगे? हमारे गोवर्ती बनने से किसी न किसी घर में जहां से हम दूध, घी, अन्न, सब्जी आदि ले रहे हैं वो गाय की सेवा करेगा।
4. नजदीकी गोशाला में सहयोग करके। धन से या हाथों से सेवा करके।
5. किसी भी गोशाला में जहाँ जरूरत हो सेवा करके।
6. जहाँ कही भी बीमार, दुर्घटनाग्रस्त गोवंश दिखे उसका इलाज करवाकर या गोरक्षकों को सूचना देकर।
7. जहाँ कहीं गायों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करके।
8. गोशालाओं में चारा भिजवाकर।
9. गोशाला को भूमि दानकर।
10. गोशाला चलाने वालों को किसी भी प्रकार से सपोर्ट करके।
11. कत्लखाने जानेवाले गोवंश को छुड़वाकर।
12. कत्लखाने जाने से छुड़वाए गोवंश की सेवा करके।
13. अपने घर या दुकान, कार्यालय में दानपात्र लगाकर प्रतिदिन व जन्मदिन आदि विशेषः दिनों को राशि दान कर।
14. अपने परिचितों को गौसेवा के लिए प्रोत्साहित कर, उनको गो व्रती बनाकर, उनके वहाँ दान पात्र लगाकर।