सोमवार, 5 फ़रवरी 2018
कब लगेगा गौ हत्या पर प्रतिबंध
गौ संरक्षण हमारी एक महती आवश्यकता
गौ संरक्षण हमारी एक महती आवश्यकता
रविवार, 4 फ़रवरी 2018
गौ पूजन से पुण्य फल की प्राप्ति
गौ पूजन से पुण्य फल की प्राप्ति
जिस घर में गौ-पालन किया जाता है उस घर के लोग संस्कारी और सुखी होते हैं। इसके अलावा जीवन-मरण से मोक्ष भी गौमाता ही दिलाती है। मरने से पहले गाय की पूँछ छूते हैं ताकि जीवन में किए गए पाप से मुक्ति मिले।
लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गौ-माता है। उसके दूध से जीवन मिलता है। रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता और वह सभी व्याधियों से मुक्त रहता है। गाय के दूध में वे सारे तत्व मौजूद हैं जो जीवन के लिए जरूरी हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय के दूध में सारे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। मीरा जहर पीकर जीवित बच गई क्योंकि वे पंचगव्य का सेवन करती थीं। लेकिन कृष्ण को पाने के लिए आज लोगों में मीरा जैसी भावना नहीं बची।
गौ माता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौ माता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूँछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।
गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौ माता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएँ बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती है।
रोज सुबह गौ दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती। लोग अपने लिए आलीशान इमारतें बना रहे हैं यदि इतना धन कमाने वाले अपनी कमाई का एक हिस्सा भी गौ सेवा और उसकी रक्षा के लिए खर्च करें तो गौमाता उनकी रक्षा करेगी। इसलिए गौ दर्शन सबसे सर्वोत्तम माना जाता है।
गाय और ब्राह्मण कभी साथ नहीं छोड़ते हैं लेकिन आज के लोगों ने दोनों का ही साथ छोड़ दिया है। जब पांडव वन जा रहे थे तो उन्होंने भी गाय और ब्राह्मण का साथ माँगा था। समय के बदलते दौर में राम, कृष्ण और परशुराम आते रहे और उन्होंने भी गायों और संतों के उद्धार का काम किया। इसकी बड़ी महिमा सूरदास और तुलसीदास ने गौ कथा का वर्णन किया है।
लोग दृश्य देवी की पूजा नहीं करते और अदृश्य देवता की तलाश में भटकते रहते हैं। उनको नहीं मालूम की भविष्य में बड़ी समस्याओं का हल भी गाय से मिलने वाले उत्पादों से मिल सकता है। आने वाले दिनों में संकट के समय गौमाता ही लोगों की रक्षा करेंगी। इस सच्चाई से लोग अनजान हैं
गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018
गौ-रक्षा के लिए, संत कबीर ने शादी से भी कर दिया था इंकार !
गौ-रक्षा के लिए, संत कबीर ने शादी से भी कर दिया था इंकार !
जहां पर कबीर को बुलवाया गया था, वहां पर कबीर का होने वाला ससुर पूछने लगा : अरे भाई समधियो ! इसे हमारे यहां ब्याह दो। तब कबीर के मां-बाप ने कहा कि भला होए जी ! चलिए ब्राह्मण से जा कर पूछते हैं, जो साहा जुड़े वह साहा मान लेते हैं। तब कबीर का पिता और ससुर उठ खड़े हुए और मिल कर ब्राह्मण के पास गए। पत्री कढाई, साहा निर्मल निकला, ब्राह्मण से साहा जुड़ाया, साहा जोड़- बांध कर दोनों के हाथ में थमा दिया गया। उसे लेकर कबीर का पिता और भावी ससुर अपने-अपने घर चले आए।
तब कबीर ने यह बानी बोली राग गुजरी में :
तब गोसाईं कबीर ने यह बानी बोली :
बैतरनी मिरतक मुकति करत है। सा तुम छेदहु नाही।।
तब गोसाईं कबीर ने यह बानी बोली :
गोबरि जा के धरती सूची। सा तै आणी गाइआ।।
तब गोसाईं कबीर ने यह बानी बोली :
जिसु कारणि तुमि गऊ बिणासहु। सा हमि छोडी नारी।।
इस प्रकार जब गोसाईं कबीर कुपित हो उठे, तब उन सभी का अभिमान छिटक गया। उन्होंने आपस में मसलत करी कि जिस कबीर ने यह बात कही है वह ब्याह न करेगा। आओ अब यह गऊ ब्राह्मण को दे दें और हम सीधा अनाज करें जैसा कबीर कहता है।
तब उन लोगों ने गोसाईं कबीर से कहा : भला जी ! हम यही प्रसाद बनाएंगे जी। पर जी ! अब तो तुम्हें ख़ुशी है न हमारे ऊपर। तब गोसाईं कबीर ने कहा : तुम्हारे ऊपर ठाकुर जी की ख़ुशी है, तुम्हारा भला होगा। तब वे सास-ससुर अपने घर चले गए। इधर बाबा-काका-परिवार के सब लोग ख़ुश हुए। इस प्रकार गोसाईं कबीर ब्याहे गए और राम-नाम स्मरण करने लगे।
मूल पंजाबी रचयिता : सोढी मनोहरदास मेहरबान
रचनाकाल : १६६७ विक्रमी, साखी नं• ४ का अनुवाद