जन प्रतिनिधि (राजनेता)
विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र के सम्बल, जन प्रतिनिधियों में समाज को दिशा देने (Direction) की अद्भुत क्षमता होती है। भारतीय संसद और विधानसभाओं, विधानमण्डलों में लगभग नौ हजार जन प्रतिनिधि है। गौरक्षा एवं गौ संवर्धन के प्रति उनकी प्रबिध्दता भारत की काया पलट कर सकती है। जन प्रतिनिधि निम्नलिखित तरीकों से गौ सेवा के महाआंदोलन में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकते हैं :-
1. राष्ट्रीय गोवंश आयोग की रिपोर्ट को 100% लागू करवाने का भरसक प्रयास करें।
2. संसद एवं विधानसभाओं में गोमाता एवं गोवंश के हत्यारों के विरुध्द कठोरतम कानून बनाये जावें। संत विनोबा भावे ने कहा था - "गौ हत्या मातृ हत्या ही है।"
3. अपने घरों, बंगलों में गौ माता रखकर गो सेवा करें व आनेवालों को गो सेवा हेतु प्रेरित करें।
4. अपने भाषणों, वक्तव्यों में गोरक्षा, गोसेवा गौसंवर्धन जैसे विषयों का उल्लेख करें व जनमानस तैयार करें।
5. गौ हत्यारों के खिलाफ पुलिस प्रशासन को कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने हेतु दबाव बनावें ।
६. समय-समय पर संसद व विधानसभाओं में गो रक्षा, गो हत्या, गो संवर्धन के प्रश्न उठाकर वातावरण तैयार करें ।
७. स्वयं पंचगव्य निर्मित पदार्थों तथा औषधियों का प्रयोग करें व जनता से भी उनका प्रयोग करने का आव्हान करें ।
८. अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकाधिक गो शालाएँ खुलवाकर उनके समुचित प्रबंधन की व्यवस्था करें व शासन की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक सहायता व अनुदान दिलवाने के प्रयास करें ।
८. गो पर्व एवं गो उत्सव यथा गोपाष्टमी, गोवत्स व्दादशी, बलराम जयंती (हलधर षष्ठी), श्री कृष्ण जन्माष्टमी इत्यादि के बडे आयोजन करें ।
९. जैविक कृषि के पक्ष में व रासायनिक खेती के विरुध्द वातावरण बनाएँ, संसद व विधानसभाओं में इस संबंध में उचित कानून बनाने हेतु प्रयास करें।
१०. स्वयं गौग्रास निकाले, गौ सेवा हेतु धन संग्रह कर उचित उपयोग करें ।
११. अपने राजनैतिक दल को राष्ट्रीय सुरक्षा, सांस्कृतिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, खाद्यान्न व पर्यावरण सुरक्षा में गोवंश के योगदान व महत्व से अवगत करवाकर, दलगत राजनीति से उपर उठने व गोरक्षा एवम् गोसवंर्धन हेतु आवाज उठाने के लिये सहमत व प्रेरित कर अपने नैतिक कर्तव्य का निर्वाह करना चाहिये।
१२. गोरक्षा से संलग्न कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुलझाने में सक्रिय सहयोग प्रदान कर गौसेवा करनी चाहिये।
१३. किसानों को जैविक कृषि हेतु पंचगव्य से निर्मित कीटनाशक, फसलरक्षक व बैलचलित उपकरणों व उर्जा के साधनों में शासन से ऋण व अनुदान दिलवायें।
१४. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में पंचगव्य आयुर्वेद पाठ्यक्रम, पंचगव्य चिकित्सा व औषधि को सम्मानजनक स्थान दिलावें ।