सोमवार, 16 सितंबर 2013

गाय से कैसे दूर होते हैं घर के दोष?


• बेडरूम में सिर्फ राधा-कृष्ण की फोटो लगाएं, क्योंकि... किराए के घर में कैसे बढ़ेगा पैसा?
• खिड़की पर परदा कब और क्यों डालकर रखें?
• श्रीकृष्ण की इस फोटो से दूर होंगी समस्याएं?
• कैसे और किन वस्तुओं से सजाएं घर?
• सभी चाहते हैं कि उनका जीवन सुखी और निरोगी रहे। आज के युग में सुख की प्राप्ति धन के बिना संभव नहीं है। आपकी आय और आपके घर में गहरा संबंध है। यदि घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष है तो आप अधिक मेहनत के बाद भी ज्यादा बचत नहीं कर पाएंगे। आपके फिजूल खर्च अधिक होंगे। घर में कोई ना कोई सदस्य अधिकतर बीमार रहेगा।
• वास्तु शास्त्र की जानकारी के अभाव में हम घर के वास्तुदोषों का निराकरण नहीं कर पाते और परेशानियों का सामना करते रहते हैं। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक परेशानियां चल रही हैं तो यहां दी छोटी-छोटी टिप्स अपनाएं। निश्चित ही कुछ ही समय में आपको फायदा प्राप्त होने लगेगा।
• घर के सभी वास्तु दोष दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है गाय। यदि आप अपने घर के आंगन में गाय रख सकते हैं तो यह सर्वश्रेष्ठ उपाय है सुखी और समृद्धिशाली बनने का। गाय की सेवा से महालक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। आंगन में यदि गाय रहती है तो घर के सभी वास्तुदोषों का बुरा प्रभाव खुद की नष्ट हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसी वजह से गाय की सेवा का अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। गाय की सेवा से सभी सुखों को देने वाले भगवान शिव अतिप्रसन्न होते हैं।
• यदि कोई व्यक्ति घर में गाय नहीं रख सकता है तो उसे सुबह शाम भगवान के समक्ष गाय के दूध से निर्मित घी का दीपक लगाना चाहिए। इस घी के दीपक से घर के सभी वास्तुदोष दूर होते हैं। साथ ही घर में सक्रिय नेगेटिव एनर्जी का प्रभाव खत्म हो जाता है। घर का वातावरण शुद्ध होता है और सभी सदस्य निरोगी बने रहते हैं।
• गोमूत्र को भी घर से दोष दूर करने में उपयोग किया जाता है। घर में गोमूत्र छिड़कने से घर के सभी वास्तुदोषों निष्क्रीय हो जाते हैं। गोमूत्र के प्रभाव से घर में फैले सभी हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। साथ ही देवी महालक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।
• अपने घर में श्रीकृष्ण और गोमाता की फोटो लगाकर भी आप कई वास्तु दोष दूर कर सकते हैं lसर्वे देवा: स्थिता देहे सर्वदेवमयी हि गौ:।'
* सनातन धर्म के ग्रंथों में कहा गया है- 'सर्वे देवा: स्थिता देहे सर्वदेवमयी हि गौ:।' गाय की देह में समस्त देवी-देवताओं का वास होने से यह सर्वदेवमयी है।
* संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद हैं और वेदों में भी गाय की महत्ता और उसके अंग-प्रत्यंग में दिव्य शाक्तियां होने का वर्णन मिलता है।
* पद्म पुराण के अनुसार गाय के मुख में चारों वेदों का निवास हैं। उसके सींगों में भगवान शंकर और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं। गाय के उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के अग्र भाग में इन्द्र, दोनों कानों में अश्विनीकुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती, अपान (गुदा) में सारे तीर्थ, मूत्र-स्थान में गंगा जी, रोमकूपों में ऋषि गण, पृष्ठभाग में यमराज, दक्षिण पार्श्व में वरुण एवं कुबेर, वाम पार्श्व में महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं स्थित हैं।
* गाय के गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी, चरणों के अग्रभाग में आकाशचारी देवता, रंभाने की आवाज में प्रजापति और थनों में समुद्र प्रतिष्ठित हैं।
* मान्यता है कि जो मनुष्य प्रात: स्नान करके गौ स्पर्श करता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है।
* भविष्य पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, महाभारत में भी गौ के अंग-प्रत्यंग में देवी-देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है।
* मान्यता है कि गौ के पैरों में लगी हुई मिट्टी का तिलक करने से तीर्थ-स्नान का पुण्य मिलता है। यानी सनातन धर्म में गौ को दूध देने वाला एक निरा पशु न मानकर सदा से ही उसे देवताओं की प्रतिनिधि माना गया है। 


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