शनिवार, 28 जून 2014

गोचर भूमि पर कब्जा करने वालो का विनाश

हमारे यहाँ संत एक कथा कहते थे -- एक भयंकर शमशान भूमि में एक चण्डालिन कुत्ते की खोपड़ी में कव्वे का मांस पका रही थी ऊपर से उसे मोटे पत्थर से ढका हुआ था। एक घुमक्कड़ संत उधर से गुजरे उन्होंने पूछा इतना निकृष्ट कर्म तो कर ही रही है फिर यह ढका क्यों है खुले आम कर। तब उस चण्डालिन ने कहाँ महाराज इस कव्वे के मांस को ढ़क कर इसलिए पका रही हूँ की कही किसी गौचर भूमि में कब्ज़ा करने वाले नीच की नजर पड़ कर यह मांस अपवित्र ना हो जाय। बताओ कितना निकृष्ट कर्म करता है गोचर भूमि में कब्ज़ा करने वाला फिर भी सरकार और कुछ धर्म के पाखंडी गौचर भूमि में कब्ज़ा किये हुए है। लाखो गौवंश कट रहा है उनकी आत्मा में सिरहन इस लिए नहीं की वे खुद गौचर भूमि में बैठे है। --
धिक्कार। ………
निवेदक आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
WWW.gokranti.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें