महात्मा बुद्ध के गौ संरक्षण पर निम्न उपदेश है :-
उन्होंने गो हत्या का विरोध किया और गो पालन को अत्यंत महत्व दिया ।
यथा माता सिता भ्राता अज्ञे वापि च ज्ञातका ।
गावो मे परमा मित्ता यातु जजायंति औषधा ॥
अन्नदा बलदा चेता वण्णदा सुखदा तथा ।
एतवत्थवसं ज्ञत्वा नास्सुगावो हनिं सुते ॥
माता, पिता, परिजनों और समाज की तरह गाय हमें प्रिय है । यह अत्यंत सहायक है । इसके दूध से हम औषधियाँ बनाते हैं । गाय हमें भोजन, शक्ति, सौंदर्य और आनंद देती है । इसी प्रकार बैल घर के पुरुषों की सहायता करता है । हमें गाय और बैल को अपने माता-पिता तुल्य समझना चाहिए । (गौतम बुद्ध)
गोहाणि सख्य गिहीनं पोसका भोगरायका ।
तस्मा हि माता पिता व मानये सक्करेय्य च् ॥ १४ ॥
ये च् खादंति गोमांसं मातुमासं व खादये ॥ १५ ॥
गाय और बैल सब परिवारों को आवश्यक और यथोचित पदार्थ देते हैं । अतः हमें उनसे सावधानी पूर्वक और माता पिता योग्य व्यवहार करना चाहिए । गोमांस भक्षण अपनी माता के मांस भक्षण समान है । (लोकनीति ७)
गाय की समृद्धि से ही राष्ट्र की समृद्धि होगी । (सम्राट अशोक)
संकलन करता
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
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