गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

नाक में देशी गाय के घी को डालने से मिलेंगे यह 6 जबरदस्त फायदे


नाक में देशी गाय के घी को डालने से मिलेंगे यह 6 जबरदस्त फायदे

देशी गाय का घी शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास एवं रोग-निवारण के साथ पर्यावरण-शुद्धि का एक महत्त्वपूर्ण साधन है |
नाक में घी डालने से लाभ –
१) मानसिक शांति व मस्तिष्क को शांति मिलती है |
२) स्मरणशक्ति व नेत्रज्योति बढती है |
३) आधासीसी (माइग्रेन) में राहत मिलती है |
४) नाक की खुश्की मिटती है |
५) बाल झड़ना व सफ़ेद होना बंद होकर नये बाल आने लगते हैं |
६) शाम को दोनों नथुनों में २ – २ बूंद गाय का घी डालने तथा रात को नाभि व पैर के तलुओं में गोघृत लगाकर सोने से गहरी नींद आती है |
मात्रा : ४ से ८ बूंद
गाय के घी सेवन से होने वाले लाभ – desi cow ghee benefits in hindi
१) बल, वीर्य व आयुष्य बढ़ता है, पित्त शांत होता है |cow pure ghee
२) स्त्री एवं पुरुष संबंधी अनेक समस्याएँ भी दूर हो जाती है |
४) एक गिलास दूध में एक चम्मच गोघृत और मिश्री मिलाकर पीने से शारीरिक, मानसिक व दिमागी कमजोरी दूर होती है |
५) युवावस्था दीर्घकाल तक रहती है | काली गाय के घी से वृद्ध व्यक्ति भी युवा समान हो जाता है |
६) गर्भवती माँ घी – सेवन करे तो गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है |
७) गाय के घी का सेवन ह्रदय को मजबूत बनता है | यह कोलेस्ट्रोल को नहीं बढाता | दही को मथनी से मथकर बनाये गये मक्खन से बना घी ह्रदयरोगों में भी लाभदायी है |
८) देशी गाय के घी(desi ghee) में कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता है |
ध्यान दें : घी के अति सेवन से अजीर्ण होता है | प्रतिदिन १० से १५ ग्राम घी पर्याप्त है |
गोघृत से करें वातावरण शुद्ध व पवित्र :
१) अग्नि में गाय के घी की आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है, वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदुषण और आण्विक विकिरणों से मुक्त हो जाता है | मात्र १ चम्मच गोघृत की आहुति देने से एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती है, जो अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं है |
२) गोघृत और चावल की आहुति देने से कई महत्त्वपूर्ण गैसे जैसे –इथिलिन ऑक्साइड, प्रोपिलिन ऑक्साइड, फॉर्मलडीहाइड आदि उत्पन्न होती है | इथिलिन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है, जो शल्य – चित्किसा (ऑपरेशन) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी है |
३) मनुष्य-शरीर में पहुँचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता गोघृत में है |

गौमाता को कैसे और क्यों करें प्रसन्न ?

गौमाता को कैसे और क्यों करें प्रसन्न ?

हिंदू धर्म में गौमाता, धेनु, गाय की पवित्रता और महत्व को माना गया है। गाय की सेवा करने से हमारे सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है, सभी प्रकार के सुख मिलते हैं। गाय की पूजा की जाना चाहिए लेकिन यह कम ही लोग जानते हैं गाय को प्रसन्न कैसे किया जाए?

यदि गाय हमारी सेवा से प्रसन्न हो जाती है तो हमारे सभी बिगड़े काम बन जाते हैं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। गौमाता की विधिवत पूजा के साथ ही हमें उसे सहलाना चाहिए। गाय की पीठ, मुंह पर हाथ फेरने से गाय अतिप्रसन्न होती है।
गाय को घास खिलानी चाहिए। गाय की ऐसी सेवा से वह खुश हो जाती है और हमें आशीर्वाद देती है। इसके प्रभाव से हमारा बुरा समय टल जाता है और परेशानियां दूर हो जाती है।
यह सभी जानते हैं कि जिस घर में गाय रहती है उस घर में कभी धन-धान्य कोई कमी नहीं रहती है। इस बात से स्पष्ट है कि गाय की प्रसन्नता हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती है। गाय की पवित्रता इसी बात से स्पष्ट होती है कि भागवत में श्रीकृष्ण ने भी गौमाता को पूजनीय बताया है।

क्‍या आपको पता है कि गायों के दूध में BCM7 क्‍या होता है |

क्‍या आपको पता है कि गायों के दूध में BCM7 क्‍या होता है |

BCM7 एक Opioid (narcotic) अफीम परिवार का मादक तत्व है. जो बहुत शक्तिशाली Oxidant ऑक्सीकरण एजेंट के रूप में मानव स्वास्थ्य पर अपनी श्रेणी के दूसरे अफीम जैसे ही मादक तत्वों जैसा दूरगामी दुष्प्रभाव छोडता है. जिस दूध में यह विषैला मादक तत्व बीसीएम 7 पाया जाता है, उस दूध को वैज्ञानिको ने ए1(A1) दूध का नाम दिया है. यह दूध उन विदेशी गौओं में पाया गया है जिन के डीएन मे 67 स्थान पर प्रोलीन न हो कर हिस्टिडीन होता है.।
आरम्भ में जब दूध को बीसीएम7 के कारण बडे स्तर पर जानलेवा रोगों का कारण पाया गया तब न्यूज़ीलेंड के सारे डेरी उद्योग के दूध का परीक्षण आरम्भ हुवा. सारे डेरी दूध पर करे जाने वाले प्रथम अनुसंधान मे जो दूध मिला वह बीसीएम7 से दूषित पाया गया. इसी लिए यह सारा दूध ए1 कह्लाया
तदुपरांत ऐसे दूध की खोज आरम्भ हुई जिस मे यह बीसीएम 7 विषैला तत्व न हो. इस दूसरे अनुसंधान अभियान में जो बीसीएम 7 रहित दूध पाया गया उसे ए2 नाम दिया गया. सुखद बात यह है कि विश्व की मूल गाय की प्रजाति के दूध मे, यह विष तत्व बीसीएम7 नहीं मिला,अर्थात भारतीय देसी नस्ल के गौवंश मे BCM 7 जहरीला तत्व नहीं मिला इसी लिए देसी गाय का दूध ए2 प्रकार का दूध पाया जाता है.
आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान से अमेरिका में यह भी पाया गया कि ठीक से पोषित देसी गाय के दूध और दूध के बने पदार्थ मानव शरीर में कोई भी रोग उत्पन्न नहीं होने देते. भारतीय परम्परा में इसी लिए देसी गाय के दूध को अमृत कहा जाता है. आज यदि भारतवर्ष का डेरी उद्योग हमारी देसी गाय के ए2 दूध की उत्पादकता का महत्व समझ लें तो भारत सारे विश्व डेरी दूध व्यापार में सब से बडा दूध निर्यातक देश बन सकता है.
ए1 दूध का मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
जन्म के समय बालक के शरीर मे blood brain barrier नही होता . माता के स्तन पान कराने के बाद तीन चार वर्ष की आयु तक शरीर में यह ब्लडब्रेन बैरियर स्थापित हो जाता है .इसी लिए जन्मोपरांत माता के पोषन और स्तन पान द्वारा शिषु को मिलने वाले पोषण का, बचपन ही मे नही, बडे हो जाने पर भविष्य मे मस्तिष्क के रोग और शरीर की रोग निरोधक क्षमता ,स्वास्थ्य, और व्यक्तित्व के निर्माण में अत्यधिक महत्व बताया जाता है .
बाल्य काल के रोग Pediatric disease.गाय(cow)
आजकल भारत वर्ष ही में नही सारे विश्व मे , जन्मोपरान्त बच्चों में जो Autism बोध अक्षमता और Diabetes type1 मधुमेह जैसे रोग बढ रहे हैं उन का स्पष्ट कारण ए1 दूध का बीसीएम7 पाया गया है.
वयस्क समाज के रोग –Adult disease
मानव शरीर के सभी metabolic degenerative disease शरीर के स्वजन्य रोग जैसे उच्च रक्त चाप high blood pressure हृदय रोग Ischemic Heart Disease तथा मधुमेह Diabetes का प्रत्यक्ष सम्बंध बीसीएम 7 वाले ए1 दूध से स्थापित हो चुका है.यही नही बुढापे के मांसिक रोग भी बचपन में ए1 दूध का प्रभाव के रूप मे भी देखे जा रहे हैं.
दुनिया भर में डेयरी उद्योग आज चुपचाप अपने पशुओं की प्रजनन नीतियों में ” अच्छा दूध अर्थात् BCM7 मुक्त ए2 दूध “ के उत्पादन के आधार पर बदलाव ला रही हैं. वैज्ञानिक शोध इस विषय पर भी किया जा रहा है कि किस प्रकार अधिक ए2 दूध देने वाली गौओं की प्रजातियां विकसित की जा सकें.
डेरी उद्योग की भूमिका
मुख्य रूप से यह हानिकारक ए1 दूध होल्स्टिन फ्रीज़ियन प्रजाति की गाय मे ही मिलता है, यह भैंस जैसी दीखने वाली, अधिक दूध देने के कारण सारे डेरी उद्योग की पसन्दीदा गाय है. होल्स्टीन फ्रीज़ियन दूध के ही कारण लगभग सारे विश्व मे डेरी का दूध ए1 पाया गया . विश्व के सारे डेरी उद्योग और राजनेताओं की आज यही कठिनाइ है कि अपने सारे ए1 दूध को एक दम कैसे अच्छे ए2 दूध मे परिवर्तित करें. आज विश्व का सारा डेरी उद्योग भविष्य मे केवल ए2 दूध के उत्पादन के लिए अपनी गौओं की प्रजाति मे नस्ल सुधार के नये कार्य क्रम चला रहा है. विश्व बाज़ार मे भारतीय नस्ल के गीर वृषभों की इसी लिए बहुत मांग भी हो गयी है. साहीवाल नस्ल के अच्छे वृषभ की भी बहुत मांग बढ गयी है.
सब से पहले यह अनुसंधान न्यूज़ीलेंड के वैज्ञानिकों ने किया था.परन्तु वहां के डेरी उद्योग और सरकारी तंत्र की मिलीभगत से यह वैज्ञानिक अनुसंधान छुपाने के प्रयत्नों से उद्विग्न होने पर, 2007 मे Devil in the Milk-illness, health and politics A1 and A2 Milk” नाम की पुस्तक Keith Woodford कीथ वुड्फोर्ड द्वारा न्यूज़ीलेंड मे प्रकाशित हुई. उपरुल्लेखित पुस्तक में विस्तार से लगभग 30 वर्षों के विश्व भर के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और रोगों के अनुसंधान के आंकडो के आधार पर यह सिद्ध किया जा सका है कि बीसीएम7 युक्त ए1 दूध मानव समाज के लिए विष तुल्य है.
इन पंक्तियों के लेखक ने भारतवर्ष मे 2007 में ही इस पुस्तक को न्युज़ीलेंड से मंगा कर भारत सरकार और डेरी उद्योग के शीर्षस्थ अधिकारियों का इस विषय पर ध्यान आकर्षित कर के देसी गाय के महत्व की ओर वैज्ञानिक आधार पर प्रचार और ध्यानाकर्षण का एक अभियान चला रखा है.परन्तु अभी भारत सरकार ने इस विषय को गम्भीरता से नही लिया है.
डेरी उद्योग और भारत सरकार के गोपशु पालन विभाग के अधिकारी व्यक्तिगत स्तर पर तो इस विषय को समझने लगे हैं परंतु भारतवर्ष की और डेरी उद्योग की नीतियों में बदलाव के लिए जिस नेतृत्व की आवश्यकता होती है उस के लिए तथ्यों के अतिरिक्त सशक्त जनजागरण भी आवश्यक होता है. इस के लिए जन साधारण को इन तथ्यों के बारे मे अवगत कराना भारत वर्ष के हर देश प्रेमी गोभक्त का दायित्व बन जाता है.
देसी गाय से विश्वोद्धार
भारत वर्ष में यह विषय डेरी उद्योग के गले आसानी से नही उतर रहा, हमारा समस्त डेरी उद्योग तो हर प्रकार के दूध को एक जैसा ही समझता आया है. उन के लिए देसी गाय के ए2 दूध और विदेशी ए1 दूध देने वाली गाय के दूध में कोई अंतर नही होता था. गाय और भैंस के दूध में भी कोई अंतर नहीं माना जाता. सारा ध्यान अधिक मात्रा में दूध और वसा देने वाले पशु पर ही होता है. किस दूध मे क्या स्वास्थ्य नाशक तत्व हैं, इस विषय पर डेरी उद्योग कभी सचेत नहीं रहा है.
सरकार की स्वास्थ्य सम्बंदि नीतियां भी इस विषय पर केंद्रित नहीं हैं.
भारत में किए गए NBAGR (राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो) द्वारा एक प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार यह अनुमान है कि भारत वर्ष में ए1 दूध देने वाली गौओं की सन्ख्या 15% से अधिक नहीं है. भरत्वर्ष में देसी गायों के संसर्ग की संकर नस्ल ज्यादातर डेयरी क्षेत्र के साथ ही हैं .
आज सम्पूर्ण विश्व में यह चेतना आ गई है कि बाल्यावस्था मे बच्चों को केवल ए2 दूध ही देना चाहिये. विश्व बाज़ार में न्युज़ीलेंड, ओस्ट्रेलिया, कोरिआ, जापान और अब अमेरिका मे प्रमाणित ए2 दूध के दाम साधारण ए1 डेरी दूध के दाम से कही अधिक हैं .ए2 से देने वाली गाय विश्व में सब से अधिक भारतवर्ष में पाई जाती हैं. यदि हमारी देसी गोपालन की नीतियों को समाज और शासन का प्रोत्साहन मिलता है तो सम्पूर्ण विश्व के लिए ए2 दूध आधारित बालाहार का निर्यात भारतवर्ष से किया जा सकता है.
यह एक बडे आर्थिक महत्व का विषय है
छोटे ग़रीब किसानों की कम दूध देने वाली देसी गाय के दूध का विश्व में जो आर्थिक महत्व हो सकता है उस की ओर हम ने कई बार भारत सरकार का ध्यान दिलाने के प्रयास किये हैं.
इसलिए मित्रो आप सब से निवेदन है आप देशी गाय के दूध की मांग करना शुरू करें , अर्थशास्त्र का एक सिद्धांत है आप जैसे ही मांग खड़ी कर देंगे वो वस्तु आपको कुछ ही दिन मे मिलनी शुरू हो जाएगी ।

देशी गाय व भैंस के दूध के 6 बड़े अंतर |Buffalo Milk vs Cow Milk – Difference and Comparison

देशी गाय का दूध

  • १ ]  सुपाच्य होता है |
  • २] इसमें स्वर्ण-क्षार होते है |
  • ३] बुद्धि को कुशाग्र बनाता हैं |
  • ४] स्मरणशक्ति बढाता है एवं स्फूर्ति प्रदान करता है |
  • ५] यह सत्त्वगुण बढ़ता है |
  • ६] गाय अपना बछड़ा देखकर स्नेह व वात्सल्य से भर के दूध देती है |

भैंस का दूध

  • १] पचने में भारी होता है |
  • २] इसमें स्वर्ण-क्षार नहीं होते हैं |
  • ३] बुद्धि को मंद करता है |
  • ४] यह आलस्य व अत्यधिक नींद लाता हैं |
  • ५] यह तमोगुण बढ़ाता हैं |
  • ६] भैंस स्वाद व खुराक देखकर दूध देती है | भैंस का दूध पी के बड़े होनेवाले भाई सम्पदा के लिए लड़ते-मरते हैं |
देशी गाय के दूध(Gaye ke dudh) में सम्पूर्ण प्रोटीन्स रहने के कारण यह मनुष्यों के लिए अनिवार्य हैं | भैंस के दूध की अपेक्षा गाय के दूध में रहनेवाले प्रोटीन्स सुगमता से पचते हैं | गाय के दूध में ऑक्सिडेज तथा रिडक्टेज एंजाइम की प्रचुरता रहती है, जो पाचन में सहायता देने के अतिरिक्त दूध पीनेवालों के शरीर में पाये जानेवाले टोक्सिंस (विषैले पदार्थ) को दूर करते हैं |
देशी गाय के दूध की और भी अनेक विशेषताएँ हैं | ऊपर दिये गये बिन्दुओं से देशी गाय के दूध की श्रेष्ठता स्पष्ट हो जाती है | देशी गाय का दूध पीकर हम आयु, बुद्धिमत्ता, सात्त्विकता, निरोगता आदि बढायें या भैंस का दूध पी के इन्हें घटायें – यह हमारे हाथ की बात है |
भैंस के दूध से भी अधिक हानिकारक हैं जर्सी आदि विदेशी संकरित गायों का दूध |

आखिर क्या है गौमूत्र ? Health Benefits of Gomutra Ark



आखिर क्या है गौमूत्र ? Health Benefits of Gomutra Ark


गौमूत्र अर्क (Gomutra Ark /Go Jharan Ark)

अनेक रोगों से बचाने वाला 21 से 23 धातुओ से युक्त अद्वितीय प्राकृतिक पेय…
गाय के दूध के अतिरिक्त गो-मूत्र का अर्क(Gomutra Ark) भी शरीर में अनेकों प्रकार से मजबूती प्रदान करता हैं| इसके नियमित सेवन से कई प्रकार के रोग शरीर से दूर रहते हैं|
गो-मूत्र का अर्क Gomutra Arkसारी दुनिया में अकेला ऐसा तरल पदार्थ हैं जिसके प्राकृतिक रूप में अर्थात बिना किसी बाहरी मिलावट के २१ महत्वपूर्ण धातुएं उपस्थित होती हैं|

गौमूत्र अर्क (Gomutra Ark) में पाईजाने वाली धातुएं :

★ नाइट्रोजन(Nitrogen) – रक्त में अनावश्यक तत्वों को निकलने का कार्य, मूत्र मार्ग के प्राकृतिक संचालन से किडनी को स्वास्थ्य रखना|
★ सल्फर(Sulfur)- बड़ी आंत में मल का प्रवाह बनाये रखना एवं रक्त शुद्धी|
★ अमोनिया(Ammonia)- बाईल जूस तथा शरीर वायु को बनाये रखना| रक्त निर्माण|
★ कॉपर [ताम्बा]Copper- अनावश्यक जमा वसा को नियंत्रित रखना| वायु मंडलीय तरंगो से जीवनी शक्ति के करंट स्वीकार करना|
★ आयरन [लौह]Iron- लाल रक्त कौशिकाओ का निर्माण, हिमोग्लोबिन स्तर को संतुलित रखना, कार्य क्षमता बनाये रखना, ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित रखना|
★ यूरिया(Urea)- रक्त में से अनावश्यक तत्वों को निकलने का कार्य, मूत्र मार्क के प्राकृतिक संचालन से किडनी को स्वस्थ्य रखना|
★ यूरिक एसिड(Uric acid)- हृदय की सूजन हटाना|
★ फास्फेट(Phosphate)- रक्त मार्ग से पथरी पैदा करने वाले तत्वों को हटाना|
★ सोडियम(Sodium)- रक्त शुद्धी|
★ पोटेशियम(Potassium)-अस्थियों की कमजोरी दूर करना, भूख लगाना, पेशियों की कमजोरी और आलस्य को दूर करना|
★ मैंगनीज(Manganese)- हानिकारक कीटाणुओं की वृद्धि रोकना और जख्मों से होने वाली हानी से सुरक्षा|
★ कार्बोलिक एसिड(Carbolic acid)- कीटाणुओं को मारना, उनकी वृद्धि रोकना और जख्मो से होने वाली हानी से सुरक्षा|
★ कैल्शियम(Calcium)- रक्त शुद्धी, अस्थियों की मजबूती, कीटाणुओं को मारना|
★ साल्ट(Salt)- रक्त एन एसिड को कम करना और कीटाणुओं को मारना|
★ विटामिन- ए, बी, सी, डी, ई- सभी विटामिन मिलकर जीवनी शक्ति को बढ़ाते हैं, तंत्रिका तंत्र के रोगों से मुक्त रखते हैं| हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं तथा प्रजनन क्षमता को शक्तिशाली बनाते हैं|
★ लैक्टोज(Lactose)- मुख एवं हृदय को मजबूती प्रदान करना, प्यास को कम करना|
★ एन्जाइम्स(Enzymes)- शरीर में पाचन क्रिया में सहायक तत्वों का निर्माण करते हैं, जीवनी शक्ति को बढ़ाते हैं|
★ जल- यह जीवन का आधार हैं. रक्त की तरलता बनाये रखता हैं, शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता हैं|
★ हाइप्युरिक एसिड(Hippuric acid)- मूत्र मार्क में से हानिकारक तत्वों को हटाता हैं|
★ क्रियेटिनाइन(Creatinine)- हानि कारक कीटाणुओं को मारना|
★ आँरम हाइड्रोक्साइड-एंटीबायोटिक तथा एंटीटाँक्सिक होने के कारण हानिकारक कीटाणुओं को मारना तथा जीवनी शक्ति को बढ़ाना|

गौ मूत्र अर्क के लाभ : Gomutra ark (Go Jharan Ark)benefits in hindi 

गो-मूत्र का अर्क(Go Mutra Ark) शरीर के ऊतको के स्तर तक पहुच जाता हैं| यह पाचन क्रिया के साथ साथ बुद्धि के कार्यों को भी सुगमता प्रदान करता हैं| पेट के किसी भी प्रकार के दर्द, कब्ज या अपच शिकायतों का निवारण करता हैं|
आँतो में हानिकारक कीटाणुओं का पैदा होना एक सामान्य सी बात हैं| गो-मूत्र का अर्क (Go Mutra Ark) आँतो के इस रोग को सदैव दूर रखता हैं| किसी भी प्रकार का त्वचा रोग नहीं होता| यह एक प्रकार से शरीर को शुद्ध करने का तरीका हैं|
हमारा शरीर पूर्ण रूप से कीटाणु रहित हो सकता हैं| यहाँ तक कि गो-मूत्र के अर्क(Go Jharan Ark) का सेवन करने वाले शरीर में कभी कैन्सर जैसी बीमारी पैदा नही हो सकती| अनेको आयुर्वेदिक ओषधियों का निर्माण गो-मूत्र से ही किया जाता हैं|
एड्स ग्रस्त रोगियों के लिए भी गो-मूत्र का अर्क रामबाण सिद्ध होता हैं| तनाव के कारण सिरदर्द से ग्रस्त व्यक्तिओ के लिए भी गो-मूत्र का अर्क लाभकारी हैं|

गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

॥राम कृष्ण की प्यारी गैया॥

श्री सुरभ्यै नम:

॥राम कृष्ण की प्यारी गैया॥

राम कृष्ण की प्यारी गैया, सारे जग की माता है।
धर्म, अर्ध अरू काम, मोक्ष की दाता भाग्य विधाता है॥

नन्दगांव, गोकुल, वरसाना, गौ से शोभा पाता है।
भारत की शोभा गायों से, गौ ही भारत माता है॥

रोम रोम में बसे देवता, ऋषि मुनि हरि शिव धाता है।
गंगा मूत्र, लक्ष्मी गोमय, पंचगव्य सुखदाता है॥

दूध, दही, घृत, मक्खन से ही, सब जग पोषण पाता है।
विधवा सी धरती बंजर है, गोमय खाद न पाता है॥

अन्न नहीं, जल वायु नहीं, धन धर्म नहीं, संस्कार नहीं।
गाय बचैगी देश बचैगा, गाय बिना सब जाता है॥

नहीं भक्ति यदि गोमाता में, हिन्दु नहीं कहाता है।
शासक वर्ग कसाई समझो, यदि गोवध करवाता है॥

राम कृष्ण की प्यारी गैया, नन्दी शिव को भाता है।
श्रद्धा रूपा गाय नहीं तो, धर्म वृषभ नहीं आता है॥

हिन्दु नहीं, न देश हिन्द है, जहाँ नहीं गोमाता है।
गाय सुखी तो देश सुखी है, गाय बिना दुःख पाता है॥

धरती माता सी गोमाता, सब जग पोषण पाता है।
दूध दही की नदियाँ बहती, यह इतिहास बताता है॥

है विनाश निश्चत विनाश है, समाधान नहीं पाता है।
गोपालन ही समाधान है, यह धर्म शास्त्र बतलाता है॥

शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

गौ सेवा भक्ति

~~~ गौ सेवा भक्ति ~~~

गाय की सबसे बड़ी विशेषता उसमें पाई जाने वाली आध्यात्मिक विशेषता है। हर पदार्थ एवं प्राणी में कुछ अति सूक्ष्म एवं रहस्यमय गुण होते हैं। सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण की मात्राएँ सबमें पाई जाती हैं।

जिस प्रकृति के पदार्थों और प्राणियों से हम संपर्क रखते हैं, हमारी अंतःस्थिति भी उसी प्रकार छलने लगती है। हँस पाल कर बढ़ता हुआ सतोगुण और कौआ पाल कर घर में में बढ़ता हुआ तमोगुण कभी भी अनुभव किया जा सकता है। भेड़-बकरी और भैंस को तमोगुण प्रधान माना गया है।                    
गाय में सतोगुण की भारी मात्रा विद्यमान् है। अपने बच्चे के प्रति गाय की ममता प्रसिद्ध है। वह अपने पालन करने वाले तथा उस परिवार को भी बहुत प्यार करती है। जंगलों में शेर, बाघ का सामना होने पर अपने ग्वाले की चारों और से घेर कर गाय झुण्ड बना लेती हैं और अपनी जान पर खेल कर अपने रक्षक को बचाने का त्याग, बलिदान एवं कृतज्ञता आत्मीयता का आदर्श भरा उदाहरण प्रस्तुत करती है। ऐसी आध्यात्मिक विशेषता और किसी प्राणी में नहीं पाई जाती। इस स्तर के उच्च सद्गुण उन लोगों में भी बढ़ते हैं जो उसका दूध पीते हैं।

बैल की परिश्रम-शीलता ओर सहिष्णुता प्रख्यात है। यह विशेषताएँ गौ दुग्ध का उपयोग करने वाले में भी बढ़ती है।
गौरस एक सर्वांगपूर्ण परिपुष्ट आहार है। उसमें मानसिक स्फूर्ति एवं आध्यात्मिक सतोगुणी तत्त्वों का बाहुल्य रहता है,

इसलिए मनीषियों तथा शास्त्रकारों ने-गाय का वर्चस्व स्वीकार करते हुए उसे पूज्य, संरक्षणीय एवं सेवा के योग्य माना है। गाय की ब्राह्मण से तुलना की है और उसे अवध्य-मारे न जाने योग्य घोषित किया गया है। गोपाष्टमी और गोवर्धन दो त्यौहार ही गौरक्षा की और जनसाधारण का ध्यान स्थिर रखने के लिए बनाये गये हैं। चूँकि ये पहली रोटी गाय के लिए निकालने की परम्परा भी इसीलिये है कि गाय को एक कुटुम्ब का प्राणी समझते रहा जाय।

**राजा दिलीप जैसे ऐतिहासिक महापुरुषों की गौ-भक्ति प्रसिद्ध है जिसके कारण उन्होंने सुसन्तति प्राप्त की। आज भी वह तथ्य ज्यों का त्यों है। गाय के संपर्क में रहने वाले, गोरस पीने वाले पति-पत्नि निस्सन्देह सुयोग्य और स्वस्थ सन्तान पैदा कर सकते हैं, उनका पुरुषत्व नन्दी की तरह सुस्थिर बना रहता है। पुराणों में गौ भक्ति और गौ सेवा के लिये बहुत कुछ करने वाले सत्पुरुषों के अगणित उदाहरण विद्यमान् है।

उस समय-शिक्षा की गुरुकुल प्रणाली थी। हर छात्र को आश्रम की गौएं चरानी पड़ती थी और आहार में गोरस की समुचित मात्रा मिलती थी। उस समय के छात्रों की प्रतीक्षा परिपुष्टता एवं सज्जनता की अभिवृद्धि के जो महत्त्वपूर्ण लाभ मिलते थे, उसमें गौ संपर्क भी एक बहुत बड़ा कारण था।

'गौ-चालीसा'

'गौ-चालीसा'

श्री गणेश को सुमिर के, शारद शीश नवाय !
गौ माँ की महिमा कहूँ, कंठ विराजो आय !!

मंदमती मैं मात गौ, मुझको तनिक न ज्ञान !
कृपा करो हे नंदिनी, महिमा करूँ बखान !!
जय जय जय जय जय गौ माता,
कामधेनु सुख शान्ति प्रदाता !!१!!

मात सुरभि हो जग कल्यानी, ऋषि मुनियों ने कथा बखानी !!२!!

तुम ही हो हम सबकी मइया, भवसागर की पार लगइया !!३!!

देवन आई विपत करारी, तुमने माता की रखवारी !!४!!

ऋषि मुनियन पर दानव धावा, सब मिल तुमहिं पुकार लगावा !!५!!

व्याकुल होकर गंगा माई, आकर पास गुहार लगाई !!६!!

गंगा को माँ दिया निवासा, आपहिं लक्ष्मी आई पासा !!७!!

लक्ष्मी को भी तुम अपनाई, सबके जीवन मात बचाई !!८!!

तेंतिस कोटि देव-मुनि आये, सबहीं माता आप बचाये !!९!!

तुमने सबकी रक्षा कीन्हीं, असुर ग्रास हर जीवन दीन्हीं !!१०!!

माता तुम हो दिव्य स्वरूपा, तव महिमा सब गायें भूपा !!११!!

देव दनुज मिल मथे नदीशा, पाये चौदह रतन मनीषा !!१२!!

सागर को मिल देव मथाये, कामधेनु रत्नहिं तब पाये !!१३!!

कामधेनु के पांच प्रकारा, सेवा से जायें भव पारा !!१४!!

सुभद्रा नंदा सुरभि सुशीला, बहुला धेनु काम की लीला !!१५!!

जो जन सिर गोधूलि लगायें, ताके पाप आप कट जायें !!१६!!

गो चरणन मा तीर्थ निवासा, गौ-भक्ति सम नहीं उपवासा !!१७!!

गौ सेवा है मोक्ष कि सीढी, धन बल यश पावहिं सब पीढ़ी !!१८ !!

विद्या लक्ष्मी आवहिं पासा, कामधेनु कर जहाँ निवासा !!१९!!

भोलेनाथ श्राप जब पाये , सीधे वह गोलोक सिधाये !!२०!!

शिव करन सुरभि की स्तुति लागे, परिकरमा कर माँ के आगे !!२१!!

हाँथ जोड़ शिव बात बताई,
तपती देह श्राप से माई !!२२!!

तोरी शरण मात मैं आया,
शीतल कर दो मेरी काया !!२३!!

सुरभि देह में प्रविशे शंकर,
जग कोलाहल मचा भयंकर !!२४!!

तब सबहिं देव मिल स्तुति गाये,
पता पाय गोलोक सिधाये !!२५!!

सूर्य समान सुरभि सुत देखा,
नील नाम था तेज विशेषा !!२६!!

गो सेवक थे कृष्ण मुरारी,
जिनकी महिमा सबसे न्यारी !!२७!!

कान्हा वन में गाय चराते,
दूध दही पी माखन खाते !!२८!!

जबहिं कृष्ण बाँसुरी बजायें,
बछड़े गाय लौट आ जायें !!२९!!

जिस घर हो माँ तेरा वासा,
दुःख पीड़ा किम आवहिं पासा !!३०!!

हो जहँ कामधेनु की पूजा,
पुण्य नहीं इससे बड़ दूजा !!३१!!

माता तुमने ऋषि मुनि तारे,
देव मनुज के भाग्य सँवारे !!३२!!

वेद पुराणों में तव गाथा,
युगों युगों से है तव साथा !!३३!!

तुमहिं मनुज के भाग्य सँवारे,
अंत काल वैतरिणी तारे !!३४!!

तव महिमा किम गाऊँ माते,
तुममे चारो धाम समाते !!३५!!

पंचगव्य की महिमा न्यारी,
तुमसे ही है दुनिया सारी !!३६!!

प्रातकाल जो दर्शन पायें ,
बिगड़े काज आप बन जायें !!३७!!

हाँथ जोड़ जो शीश नवाये,
बुरी बला से मात बचाये !!३८!!

जो जन गौ चालीसा गाये,
सुख सम्पति ताके घर आये !!३९!!

'चेतन' है माँ तेरा दासा,
मात ह्रदय में करो निवासा !!४०!!

गौ चालीसा जो पढ़े, नित्य नियम उठ प्रात !
ज्ञान संग धन यश बढ़े, कष्ट हरे गौ मात !!
गौ वंदन जो कर लिये, पूरण चारो धाम !
तरणि तीर कान्हा मिले, पाये सरयू राम !!

गौमाता का भजन

_/\_ गाय भजन _/\_

कृष्ण वहीं हैं भोग लगाते,
जहां रहे गौ माता,
खुशी जहां गौ माता रहती,
सब सदगुन वहां आता
कृष्ण वहीं है....

कृष्ण का है गौऔं में डेरा,
बनता वहां गायों का घेरा,
रस भी होता रास भी होता,
अनन्द न हृदय समाता
कृष्ण वहीं हैं...

भक्ति की गाय पहली सीढी
तर जायेंगी सातों पीढी
पापी भी जो शरण में आये,
भव सागर तर जाता
कृष्ण वहीं हैं..

गाय को जानों गाय को मानों,
कहां भगवान यह पहचानों,
जानें वहीं जिसे राम जनायें,
जन्म सफल हो जाता
कृष्ण वहीं हैं...

गोसेवा – हरि सेवा भगवत्सेवा

गोसेवा – हरि सेवा भगवत्सेवा
        

जिन क्षेत्रों में अधिक गोसमुदाय होता है, वहाँ रोग कम पनपते हैं।

जिस स्थान पर गाय, बैल, बछड़ा आदि मूत्र का विसर्जन करते हैं, उस स्थान पर दीमक नहीं लगती। गाय के गोबर की खाद सभी खादों से अधिक उपजाउ और भूमि के लिये रसवर्धक होती है।

बरसात के दिनों में फसलरहित खेतों में गायों के अधिक घूमने-चरने से उन खेतों में रबी की फसल अधिक पैदा होती है और वह फसल रोगरहित होती है। गोमूत्र से जो औषधि बनती है, वह उदर रोगों की अचूक दवा होती है। खाली पेट थोड़ा-सा गोमूत्र पीने से बीमारियाँ नहीं होती हैं।

गोमूत्र में आँवला, नींबू, आम की गुठली तथा बबूल की पत्ती इत्यादि के गुण होते हैं। नींबू रस पेट में जाकर पेट की गंदगी को चुनकर पेट को साफ करता है, वैसे ही गोमूत्र से मुँह, गला एवं पेट शुद्ध होता है।
जिस भूमि पर गायें नहीं चरतीं, वहाँ पर स्वाभाविक ही घास का पैदा होना कम हो जाता है।

भूमि पर उगी हुई घास गाय के चरने से जल्दी बढ़ती एवं घनी होती है। बीजयुक्त पकी घास खाकर भूमि पर विचरण करके चरते हुए गायों के गोबर के द्वारा एक भूमि से दूसरी भूमि (स्थान) पर घास के बीजों का स्थानांतरण होता रहता है।

आज के समय में वनों के अधिक नष्ट होने का कारण भी गोवंश और गोपालकों की कमी ही है, क्योंकि गोपालकों की संख्या अधिक होती तो गायों की संख्या भी अधिक होती और अधिक गायों को चराने के लिये गोपालक वनों को जाते, जिससे वनों की सुरक्षा वे स्वयं करते तो वनों की बहुत वृद्धि होती, किंतु अब ऐसा न होने से वन असुरक्षित हो गये हैं।

गोसेवा से जितना लौकिक लाभ है, उतना ही अलौकिक लाभ भी है। जो गोसेवा निष्कामभाव से की जाती है अर्थात् पूरी उदारता से की जाती है, उसका सीधा सम्बन्ध भगवान की सेवा से ही होता है। इसलिये गायों की सेवा परम लाभ का साधन है।

गाय स्वयं पवित्र है, इसलिये उसका दूध भी परम पवित्र है। गाय अपवित्र वस्तु को भी पवित्र बना देती है, क्योंकि उसके शरीर में पवित्रता के अलावा और कुछ है ही नहीं।