_/\_ गाय भजन _/\_
कृष्ण वहीं हैं भोग लगाते,
जहां रहे गौ माता,
खुशी जहां गौ माता रहती,
सब सदगुन वहां आता
कृष्ण वहीं है....
कृष्ण का है गौऔं में डेरा,
बनता वहां गायों का घेरा,
रस भी होता रास भी होता,
अनन्द न हृदय समाता
कृष्ण वहीं हैं...
भक्ति की गाय पहली सीढी
तर जायेंगी सातों पीढी
पापी भी जो शरण में आये,
भव सागर तर जाता
कृष्ण वहीं हैं..
गाय को जानों गाय को मानों,
कहां भगवान यह पहचानों,
जानें वहीं जिसे राम जनायें,
जन्म सफल हो जाता
कृष्ण वहीं हैं...
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