साहिवाल गाय और उसकी खासियत:-
साहीवाल नस्ल कि गाय पाकिस्तान में साहिवाल जिले से उत्पन्न मानी जाती है ।
आज साहीवाल भारत और पाकिस्तान में सबसे अच्छा डेयरी नस्लों में से एक है।
साहीवाल गाय शारीरिक विशेषताएं :-
गहरा शारीर , ढीली चमड़ी, छोटा सिर व छोटे सींग इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं इसका शरीर साधारणत: लंबा और मांसल होता है। इनकी टाँगे छोटी होती है, स्वभाव कुछ आलसी और तथा इसकी खाल चिकनी होती है। पूंछ पतली और छोटी होती है।
यह गाय लाल और गहरे भूरा रंग की होती है कभी-कभी इसके शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे भी होते हैं ।
ढीली चमड़ी होने के कारण इसे लोग लोला भी कहते हैं
नर साहिवाल के पीठ पर बड़ा कूबड़ होता है व इसकी ऊंचाई 136 सेमी और मादा कि ऊंचाई 120 सेमी के आसपास होती है।
नर गाय का वजन 450 से 500 किलो और मादा गाय का वजन 300-400 किलो तक होता है
इनकी कम होती संख्या से चिंतित वैज्ञानिक ब्रीडिंग के जरिये देसी गायों की नस्ल सुधार कर उन्हें साहीवाल में बदलने पर जोर दे रहे हैं, जिसके तहत देसी गाय की पांचवीं पीढ़ी पूर्णतः साहीवाल में बदलने में कामयाबी हासिल हुई है।
इस गाय की अन्य विशेशताएँ हैं:
1. उच्च दूध की पैदावार
2. प्रजनन की आसानी
3. सूखा प्रतिरोधी
4. अच्छा स्वभाव अच्छी देखभाल करने पर ये कहीं भी रह सकती हैं।
गर्मी सहने की अच्छी क्षमता और उच्च दुग्ध उत्पादन के कारण इन गायों को एशिया, अफ्रीका और कई कैरेबियाई देशों में भी निर्यात किया गया है।
साहीवाल नस्ल कि गाय पाकिस्तान में साहिवाल जिले से उत्पन्न मानी जाती है ।
आज साहीवाल भारत और पाकिस्तान में सबसे अच्छा डेयरी नस्लों में से एक है।
साहीवाल गाय शारीरिक विशेषताएं :-
गहरा शारीर , ढीली चमड़ी, छोटा सिर व छोटे सींग इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं इसका शरीर साधारणत: लंबा और मांसल होता है। इनकी टाँगे छोटी होती है, स्वभाव कुछ आलसी और तथा इसकी खाल चिकनी होती है। पूंछ पतली और छोटी होती है।
यह गाय लाल और गहरे भूरा रंग की होती है कभी-कभी इसके शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे भी होते हैं ।
ढीली चमड़ी होने के कारण इसे लोग लोला भी कहते हैं
नर साहिवाल के पीठ पर बड़ा कूबड़ होता है व इसकी ऊंचाई 136 सेमी और मादा कि ऊंचाई 120 सेमी के आसपास होती है।
नर गाय का वजन 450 से 500 किलो और मादा गाय का वजन 300-400 किलो तक होता है
साहीवाल गाय का दूध उत्पादन :-
यह गाय 10 से 16 लीटर तक दूध देने कि क्षमता रखती है | अपने एक दूग्ध्काल के दौरान ये गायें औसतन2270 लीटर दूध देती हैं | साथ ही इसके दूध में पर्याप्त वसा होता है | ये विदेशी गायों की तुलना में दूध कम देती हैं, लेकिन इन पर खर्च भी काफी कम होता है। साहीवाल की खूबियों और उसके दूध की गुणवत्ता के चलते वैज्ञानिक इसे सबसे अच्छी देसी दुग्ध उत्पादक गाय मानते हैं।इनकी कम होती संख्या से चिंतित वैज्ञानिक ब्रीडिंग के जरिये देसी गायों की नस्ल सुधार कर उन्हें साहीवाल में बदलने पर जोर दे रहे हैं, जिसके तहत देसी गाय की पांचवीं पीढ़ी पूर्णतः साहीवाल में बदलने में कामयाबी हासिल हुई है।
साहीवाल गाय की अन्य विशेषता :-
इसका शरीर गर्मी, परजीवी और किलनी प्रतिरोधी होता है जिससे इसे पालने में अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ती है और डेरी किसानो को इससे पालने में बहोत फायदा होता है ।इस गाय की अन्य विशेशताएँ हैं:
1. उच्च दूध की पैदावार
2. प्रजनन की आसानी
3. सूखा प्रतिरोधी
4. अच्छा स्वभाव अच्छी देखभाल करने पर ये कहीं भी रह सकती हैं।
गर्मी सहने की अच्छी क्षमता और उच्च दुग्ध उत्पादन के कारण इन गायों को एशिया, अफ्रीका और कई कैरेबियाई देशों में भी निर्यात किया गया है।
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