गुरुवार, 10 अगस्त 2017

पंचगव्य (गोमूत्र और गोबर एकत्रित करने के नियम)

पंचगव्य
  1. पंचगव्यों से संबंधी सामान्य नियम : दूध, दही अथवा छाछ, नवनीत (मक्खन) अथवा घी, गोमूत्र एवं गोमय (गोबर) से सर्व गव्य भारतीय गाय के ही लें ।
  2. घी संबंधी नियम : औषधियों में प्रयोग किया जाने वाला घी पारंपरिक पद्धती से, अर्थात दूध से दही जमाना, दही मथकर मक्खन बनाना तथा इस मक्खन को पिघलाकर घी बनाना, इन चरणों में बनाया गया हो ।
  3. औषधियों के लिए गोमूत्र और गोबर एकत्रित करने के 10 नियम
  • गाय की देह से संबंधित 4 नियम
  1. स्वास्थ्य : गोवंश निरोगी होना चाहिए। रोगी गाय-बैलों के गव्य न लें । गाय-बैल के कान ठंडे हों तथा उनके होंठ सूखे हुए हों, तो समझ लें कि वे अस्वस्थ हैं ।
  2. आयु : गोवंश जननक्षम बनने पर अर्थात साधारणतः उनके जन्म के ढ़ाई वर्ष उपरांत ही उनके मूत्र का उपयोग औषधि के लिए करना चाहिए, उसके पूर्व उसका उपयोग न करें ।
  3. आहार : गोवंश दिनभर एक ही स्थान पर बंधा हुआ न रहे । दिन में न्यूनतम 5 घंटे जंगल में चरने वाला हो । चरने वाले गोवंश के मूत्र में ही असाध्य रोगों में लाभकारी औषधीय गुण धर्म होते हैं ।
  4. प्रजनन : बैल का गाय से संगम होने पर 2- 3 दिन गाय का मूत्र औषधि के लिए नहीं लेना चाहिए । गाय प्रसूत तो होने से 45 दिन पूर्व तथा प्रसूत होने के 45 दिन पश्चात उसका मूत्र नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इन दिनों में उसके मूत्र में गर्भजनित अशुद्धि रहती है ।
  • काल से संबंधित 3 नियम
  1. तिथि : एकादशी और अमावस्या इन तिथियों पर गोमूत्र और गोमय एकत्रित नहीं करनी चाहिए । एकादशी के दिन चंद्र की किरणें पृथ्वी पर एक विशिष्ट कोण से आती हैं तथा अमावस्या के दिन आकाश में चंद्र दिखाई नहीं देता । इसलिए गोमूत्र पर चंद्र किरणों का संस्कार नहीं होता । पूर्णिमा की रात बना गोमूत्र सर्वधिक फलदायी होता है, क्योंकि उस पर चंद्र किरणों का सुयोग्य संस्कार होता है ।
  2. ऋतु : सूर्य जब पृथ्वी से अत्यधिक दूर होता है अर्थात अत्यधिक शीत रितु में गोमूत्र और गोबर एकत्रित नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसे गोमूत्र में सूर्य की अपेक्षित उर्जा पर्याप्त मात्रा में नहीं होती । वर्षा ऋतु में वातावरण में मेघ छाए हुए होते हैं तथा दिनभर चंद्र-सूर्य दिखाई नहीं देते उस समय गव्य एकत्रित नहीं करने चाहिए ।
  3. ग्रहण : चंद्रग्रहण अथवा सूर्य ग्रहण के दिन भी एकत्रित नहीं करने चाहिए ।
  • गव्यों से संबंधित 2 नियम
  1. भूमि से संयोग : भूमि पर पड़े गव्य औषधि के लिए नहीं लेने चाहिए । उन्हें ऊपर ही झेलना चाहिए ।
  2. संग्रह पत्र : गव्य धातु के पात्रों में एकत्रित नहीं करनी चाहिए । गव्य एकत्रित करने के लिए मिट्टी,कांच अथवा उच्च स्तरीय प्लास्टिक के पात्र का उपयोग करना चाहिए । गोमय के लिए वृक्ष के बड़े पत्ते का अथवा बांस से बनी छोटी टोकरी का उपयोग करना चाहिए ।
औषधियों के लिए गव्यों का उपयोग करना हो, तो गव्य एकत्रित करते समय उक्त नियमों का पालन आवश्यक है । कृषि अथवा गृह उपयोगी उत्पाद अर्थात मच्छर प्रतिबंधक धूपबत्ती और बर्तन स्वच्छ करने वाला चूर्ण बनाने हेतु इन नियमों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है ।
  • गोपालक की श्रद्धा से संबंधित एक नियम
  1. गव्य एकत्रित करते समय गौ माता साक्षात देवता है, ऐसा गोपालक का भाव होना चाहिए । गव्य एकत्रित करने से पूर्व गौ माता से भावपूर्ण प्रार्थना करें ।
  • गोमूत्र कब और कैसे एकत्रित करें? : गोमूत्र एकत्र करने के 10 नियमों का पालन करें और गाय जब मूत्र करे तब उसे एकत्र करें ।
    • गोमूत्र लेने के लिए जाते समय-मन-ही मन गाय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर आगे दी हुई प्रार्थना करें ।‘ हे गौमाता, आपका मूत्र साक्षात अमृत ही है । आपकी कृपा से मैं औषधि बना सकता हूं । ‘आपसे मिलने वाले इस अमृत से रोगी के रोग दूर हों’, यह आपसे प्रार्थना है ।
    • सामान्यतः दूध देने के पहले गाय एक बार गोमूत्र देती है । प्रातः और सायं गाय का दूध निकालते समय गोमुत्र इकट्ठा करें ।
    • सायंकाल गाय का दूध निकालने के पश्चात रात में 3-3 घंटे पर गाय को उठाकर मूत्र त्यागने का अभ्यास कराया जा सकता है । सायंकाल 6:00 बजे दूध दूहने के पश्चात रात में 9,12 और 3 बजे गोमूत्र इकट्ठा करें ।
    • गाय बैठी हो, तब उसे प्रेम से थपथपा कर उठाएं । उसके उठने पर उसकी पीठ को धीरे-धीरे थपथपाएं अथवा मूत्र मार्ग को धीरे से उंगली लगाएं । इससे गाय को मूत्र करने की उत्तेजना मिलती है और वह मूत्र करने लगती है । इस प्रकार अभ्यास कराने पर गाय निर्धारित समय पर मूत्र करने लगती है ।
    • गाय का अभ्यास होने तक आरंभ में कुछ दिन गोमूत्र अल्प मिलता है । एक बार अभ्यास हो जाने पर ‘गोपालक मूत्र लेने के लिए आया है’, यह समझने पर वह अपने आप खड़े होकर मूत्र करने लगती है । कभी-कभी हमें गाय के पास पहुंचने में विलंब हो जाता है, तब वह हमारे पहुंचने तक मूत्र रोके रहती है । गाय से हम जितना प्रेम करते हैं उस से दस गुना वह हम से प्रेम करते हैं ।
  • एकत्र किए गोमूत्र का उपयोग और भंडारण
  • पीने के लिए ताजे गोमूत्र का उपयोग करें ।
  • रात में एकत्र किए गए गोमूत्र को प्रातः सूर्योदय के पहले अर्क यंत्र में डालकर गोमूत्र चंद्रमा अर्क बनाना आरंभ करें ।
  • शेष बचे गोमुत्र को अच्छी श्रेणी के प्लास्टिक के पीपों में भरकर रखें । इस गोमूत्र का उपयोग अन्य औषधियां बनाने हेतु कर सकते हैं ।
  • गोठे की नाली से बहने वाले गोमूत्र का उपयोग क्रषि के लिए करें ।

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