सोमवार, 25 जुलाई 2022
इंसान वास्तविकता में कितना असभ्य और खोखला
अपने आपको सभ्य कहने वाला इंसान वास्तविकता में कितना असभ्य और खोखला हैं। अपने घर को साफ सुथरा रखने मात्र से कोई समाज सभ्य नहीं हो जाता, पूरा देश साफ रखने से मनुष्य सभ्य कहलायेगा। क्या आपने कभी सोचा हैं कि हमारे द्वारा फैलाया कचरा आखिर जाता कहां हैं, कभी किसी ने सोचा हैं? हम अपने घर से बाहर डाल देते हैं, नगरपालिका के सफाई कर्मचारी उसे उठाकर शहर से बाहर किसी एक स्थान पर डाल देते हैं। इस कचरे के ढेर पर भूखी गोमताएं और नंदी हरदम खड़े मिल जाते हैं। उनकी मजबूरी हैं कि पेट भरने के लिए कुछ तो खाना पड़ेगा, क्योंकि समाज ने ही उनको निराश्रित कर दिया। भूख प्राणी से कुछ भी करवा सकती हैं। यह कचरा खाकर गोवंश गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं और तड़प तड़प कर असमय प्राणों को त्यागते हैं। हमारी सभी की इस पाप और अपराध से बचने की जिम्मेदारी हैं। हमको अपने जीने के तरीके में बदलाव करना हैं कि कचरा बने ही नहीं या न्यूनतम बने। जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमको यह भी देखना चाहिए कि हमारे गांव या शहर का कचरा नगरपालिका कहां डाल रही हैं? उसका उचित प्रबंध होना चाहिए कि इस पर सीधा गोवंश पहुंच नहीं सके। इस कचरे में गंदगी, जानवरों और मनुष्य के शरीरों के अवशेष, हॉस्पिटल का कचरा, सुइयों, इंजेक्शन, दवाइयों, जहर, लोहा, अन्य धातुएं, प्लास्टिक, कपड़े, धागे, बाल आदि कुछ भी हो सकते हैं और ये सब गोमाता के पेट में जाता हैं। सोचो, हम कितना बड़ा अपराध कर रहे हैं। क्या ऐसा समाज सभ्य की श्रेणी में आता है?
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