सोमवार, 12 दिसंबर 2022

गाय का दूध बढ़ानेके उपाय

गायका दूध बढ़ानेके उपाय

१. प्रतिदिन हरी ताजी घास पेटभर खिलाना।

२. दूध दुहकर उसीको पिला देना।

३. गुड़ एक भाग और जी तीन भाग एक साथ पकाकर रोज खिलाना। ४. गोभी और पत्ता गोभीको पत्तियाँ खिलाना।

५. पपीते के कच्चे फल और पपीतेको पत्ती पोसकर गुड़ मिलाकर खिलाना। खिलाना।

६. सनके फूल, महुआके फूल, पास और गुड़ जलमें उबालकर
 ७. ऊखकी गंदेरी या ऊखका रस निकाल लेनेपर बचा हुआ कूचा खिलाना।

८. तोसीकी खल और उबाला हुआ मटर खिलाना। 
९. किसारीकी दालके साथ गेहूँ उबालकर खिलाना।

१०. गुबार खूब पकाकर या रातभर जलमें भिगोकर खिलाना। 
११. गुड और काँजी मिलाकर खिलाना।

१२. घी, मैदा और गुड़ मिलाकर पकाकर खिलाना। इससे खूब दूध बढ़ता है। 
१३. बोजवाले केलेको चावलके साथ उबालकर खिलाना।

१४. पके या कच्चे बेलको उबालकर खिलाना।

१५. पलास और सेमलके फूल खिलाना।

१६. प्रसवके तीसरे दिन उड़दका दलिया आधा सेर, नमक एक सटीक, हल्दी आधी छटाँक और पीपलका चूर्ण एक छटाँक इन सब चीजोंको मिलाकर पानी में पका लेना चाहिये और फिर उसमें पावभर गुड़ मिलाकर कुछ गरम-गरम ही संध्याके समय गायको खिलाना चाहिये।
इससे दूध बहुत बढ़ता है। 
१७. गिलोयको पत्ती और उसको बेल खिलानेसे भी दूध बढ़ता है।

१८. जीरा १० भाग, नमक १० भाग, सौफ १० भाग, लौंग ५ भाग, सफेद चन्दन २ भाग, फिटकिरी

१ भाग और नाइट्रेट आफ पोटाशियम १ भाग-इन सब चीजोंकी कूटकर रखे और सुबह- शाम दोनों वक्त एक-एक मुट्ठी गायके दानेके साथ मिला दे तो खूब दूध बढ़ता है।

 १९. बाँसकी पत्ती आधी छटाँक उबालकर उसमें थोड़ी-सी अजवाइन और गुड़ मिलाकर खिलाने से दूध बढ़ता है।

२०. प्रसवके बाद दूध बंद होकर यदि धन कड़ा हो जाय तो रेड़ोंके पत्तोंसे सेक करना चाहिये।

२१. गायके दूध बढ़नेका सर्वोत्तम तरीका यह है कि गायको उसी साँसे बया जाय जिसको माँ बहुत ज्यादा दूध देनेवाली रही हो।

रविवार, 11 दिसंबर 2022

गाय का दूध आश्चर्यजनक क्यों है !!!

गाय का दूध आश्चर्यजनक क्यों है !!!

गाय का दूध अच्छा होता है यह तो सभी जानते है लेकिन गाय के दूध में ऐसा क्या है जो उसे इतना लाभदायक और आश्चर्यजनक बनाता है। आइये जानें इसके बारे में –

गाय के दूध के अलावा भैस का दूध , बकरी का दूध और ऊंट का दूध सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले दूध हैं ।  इनमे से गाय और भैंस का दूध सबसे ज्यादा काम में लिया जाता है। ( इसे पढ़ें : दूध कब कैसे और कितना पीना चाहिए )

गाय का दूध विलक्षण क्यों 

गाय का दूध आयुर्वेद के अनुसार

आयुर्वेद के अनुसार गाय का दूध पाचन के लिए इतना अनुकूल होता है कि उसे अमृत कहा जाता है। यहाँ तक कि नवजात शिशु को माँ का दूध उपलब्ध ना हो तो उसे गाय का दूध दिया जा सकता है।

आयुर्वेद में गाय के दूध को रसायन की संज्ञा दी गई है। रसायन उस दवा या खाद्य पदार्थ को कहते हैं जो शरीर के लिए समान रूप से लाभकारी होता है जैसे च्यवनप्राश एक रसायन है। आयुर्वेद की कई दवा बनाने में गाय के ही दूध का उपयोग होता है जैसे – क्षीरबला तेल , पञ्चगव्य घृत , अमृतप्राश घृत आदि।

गाय का दूध वात दोष तथा पित्त दोष को मिटाता है। वात दोष के कारण दिमाग और नर्वस सिस्टम की कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है। गाय का दूध सप्त धातु की पुष्टि करके ओजस्व यानि कांति को बढ़ाने वाला माना जाता है।

गाय के दूध से फायदे

गाय का दूध प्रोटीन , कैल्शियम , पोटेशियम , फास्फोरस और तथा विटामिन D से भरपूर होता है। इसके अलावा इसमें अन्य कई खनिज , विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट भी होते हैं। गाय के दूध में फैट तथा कैलोरी कम होते हैं।

गाय का दूध पीने वाले व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और उसे पेट की गड़बड़ी होने की संभावना कम होती है। यह दिमाग , त्वचा , आँखें , ह्रदय और रक्त आदि के लिए टोनिक का काम करता है। गाय का दूध और गाय का घी दिमाग के लिए सर्वश्रेष्ठ टोनिक साबित हो सकते हैं।

गाय का दूध मेधा शक्ति तथा स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।  गाय का दूध नियमित पीने वाले बच्चे परीक्षा में अच्छी सफलता पाते हैं।

गाय का दूध देसी नस्ल या विदेशी नस्ल

यहाँ उल्लेखनीय है कि आयुर्वेद में गाय का मतलब देसी नस्ल की गाय से है ना कि विदेशी नस्ल की गाय से। देसी गाय यहाँ के वातावरण के अनुसार ढली हुई होती है इसलिए बीमार कम होती हैं और इनकी प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। इसके अलावा देसी गाय की गाय दूध कम भले ही दे परन्तु इनके दूध में लाभदायक पोषक तत्व अधिक होते हैं।

इन दिनों गाय का दूध अधिकतर विदेशी नस्ल की गायों जैसे जर्सी या होल्स्टीन आदि का उपलब्ध होता है क्योंकि ये अधिक दूध देती हैं लेकिन अधिक उत्पादन के कारण दूध की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

विदेशी गायों के लिए यहाँ का मौसम अनूकुल नहीं होता है। इसलिए यहाँ की जलवायु में बचा कर रखने के लिए उन्हें कई प्रकार के हार्मोन तथा एंटी बायोटिक के टीके आदि लगाने पड़ते हैं जिसका असर दूध पर पड़ता है।
 
वर्तमान में A1 तथा A2 वाले दूध पर भी बहस जारी है। जर्सी तथा होलिस्टिन जैसी विदेशी गाय के दूध में A1 अधिक पाया जाया है। जब A1 नामक यह प्रोटीन पेट में जाकर पचता है तो BCM 7 ( bitacalso morfin  7 ) नामक तत्व बनाता है। यह तत्व टाइप 1 डायबिटीज , कोरोनरी हार्ट डिजीज , धमनियों में खून जमना , साइजोफ्रेनिया , ऑटिज्म आदि बीमारियों का कारण बन सकता है।

देसी गाय के दूध में A2 नामक प्रोटीन अधिक होता है जो लाभदायक होता है इसके अतिरिक्त CLA कोंजुगेटेड लिओनिक एसिड तथा ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे लाभदायक तत्व पाए जाते हैं।

गाय का दूध विलक्षण क्यों ?

देसी गाय में गुजरात की गीर गाय , राजस्थान की थारपारकर तथा आंध्रप्रदेश की ओंगोल नस्ल विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इनके अलावा कांकरेज तथा साहिवाल आदि भी अच्छी नस्ल की भारतीय गाय हैं। इन गायों के विकास  पर अब वैज्ञानिक अधिक ध्यान दे रहे हैं। इसमें सरकार भी पूरा सहयोग कर रही है।

गाय के दूध की आश्चर्यजनक विशेषता

गाय में लगभग तीस हजार जींस पाए जाते हैं जो कि ऐसे एंजाइम का निर्माण करते हैं जो साधारण घास को पचा कर विलक्षण दूध का निर्माण करते हैं। इस पाचन प्रक्रिया में गाय के पेट में स्थित आमाशय के चारों हिस्से मदद करते हैं।

इसके अलावा ताजा वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि गाय के मस्तिष्क में क्लेथरिन नामक प्रोटीन पाया जाता है जो सूरज की किरणों से वर्तमान में बनाये जाने वाले सोलर सेल से 10 गुना अधिक ऊर्जा पैदा कर सकता है।

गाय का मष्तिष्क और उसका पेट ( Ryuman ) एक नाड़ी मंडल से जुड़ा होता है जिसे सूर्य नाड़ी मंडल कहते हैं। इस सूर्य नाड़ी मंडल से गाय के दूध में एक अलग ही प्रभाव उत्पन्न होता है तथा इसके कारण ही गाय के दूध में विटामिन D भी पाया जाता है।

इसके अलावा गाय के पेट में पाया जाने वाला रूमन फ्लूड माइक्रोब रिच फ्लूड होता है। वैज्ञानिकों ने इस फ्लूड को एक सेल के लिए कन्वेंशनल हाइड्रोजन बेस्ड फ्लूड की जगह उपयोग किया , तो पाया कि यह उससे आठ गुना अधिक शक्तिशाली होता है।

इस प्रकार गाय खुद अपने आप में एक विलक्षण और अनूठा प्राणी है तो गाय का दूध तो विलक्षण होगा ही। अतः संभव हो तो शुद्ध देसी गाय के दूध का सेवन करके प्रकृति की इस अनमोल उपहार का लाभ अवश्य लेना चाहिए।