मंगलवार, 10 अक्तूबर 2023

गाय के गोबर की महिमा


🦚गाय के गोबर की  महिमा🦚

🦩हालिया कई अलग अलग अध्ययनों से पता चला है कि रेत, सीमेंट, सरिया, प्लास्टिक आदि से निर्मित मकानों में रहने, अधिक समय व्यतीत करने से व्यक्ति की इम्यून शक्ति तेजी से कमजोर पडती है, मन बेचैन बना रहता है, नींद कम आती है, उच्चाटन, झल्लाहट सा बना रहता है ब्लडप्रेशर में बार बार बदलाव बना रहता है, जबकि गोबर से लिपे और मिट्टी से बने मकानों में तो अनेक प्रकार के  तीव्र संक्रामक रोग जैसे प्लेग, हैजा, निमोनिया, दस्त के जीवाणु भी शीघ्र शांत पड जाते हैं! 

🦩मिट्टी के कच्चे किंतु गोबर से सने मकानों में मन शांत रहता है, गहरी और तनाव घटाने वाली गहरी नींद आती है! ऐसे मकानों में अधिक समय व्यतीत करने से ह्दय रोगों से भी शीघ्र मुक्ति मिल जाती है, क्योंकि गोबर मिट्टी की भीनी भीनी गंध मस्तिष्क के विशेष केन्द्रौ पर प्रभाव डाल कर ह्रदय की अनियमित धड़कन, उच्च रक्तचाप और ह्रदय की कमजोरी को समाप्त करने काम करते हैं? इसलिए गाय के गोबर को अति पवित्र मानते हुए गंगा जी का निवास स्थान माना हैं! 

🦩गोबर और गोमूत्र में जहर खींचने की भी विशेष शक्ति रहती है! यह तो सर्प विष को भी समाप्त करने काम करता है! 

👍अध्ययन परीक्षणों में देखा गया है कि वर्तमान में जिस तीव्र गति से साग सब्जियों फलफूल और अनाज आदि को दवाओं के निरंतर छिडकाव से विषाक्त बनाया जा रहा है और उसका दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य के ऊपर दिखाई पड रहा है, विभिन्न रोगों के साथ आयु घट रही है, कैंसर जैसे भयंकर रोग सताने लगे हैं! इन सबके केवल गौमाता ही मुक्ति दिला सकती है! गोबर और गोमूत्र ही इस विषाक्तता का समाधान दे सकते हैं! 

👍वैसे भी सदियों से संखिया, भिलावा, जैसे अनेक विषों को विषहीन करने, इनके जहरीलेपन को शुद्ध करने के लिए गौमूत्र और गोबर काम में आते रहे हैं! 

🌷यदि आप गाय के गोबर का पूरा सदुपयोग करना, सही प्रयोग करना जान ले, तो आप गो पालन के कार्य को सहजता से कर सकते हैं, फिर आपके लिए गौसेवा बोझ बन कर नहीं रहता, गौरक्षा के कार्य को सहजता से जारी रख सकते हैं! 

🌷गाय के गोबर का 60℅ भाग तो ठोस रूप में रहता है! यह भाग मुख्यतः सैल्युलोज के रूप में रहता है! खाद के रूप में, भूमि संवर्धन के लिए मृदा में उपस्थित रहने वाले करोड़ों जीवाणुओं के लिए कोई ज्यादा महत्व नहीं रखता! क्योंकि जब तक यह ठोस सैल्युलोज भाग ह्यूमस के रूप में बदल नहीं जाता, तब तक इसका कोई लाभ नहीं मिलता! 

🌷जबकि गोबर का शेष तरल भाग में सैकड़ों प्रकार के सूक्ष्म जीवाणु, माइक्रोआर्गेनिज्म, एंजाइम और बायो कैमिकल्स रहते हैं! ये सभी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं! 
अगर गोबर तरल के साथ गौमूत्र घनसत्व का मिश्रण भी कर लिया जाए, तो यह मिश्रण बहुत ही प्रभावशाली बन जाता है! गोबर और गोमूत्र का यह मिश्रण खेती के लिए, मृदा के लिए अमृत रस से बढ़कर सिद्ध होता है! यह मिश्रण अद्वितीय रूप में मृदा की पौषकता को सैकड़ों गुना तक बढा देता है! गोबर और गोमूत्र का मिश्रण में बायोहेन्सर सक्रिय रूप में मृदा में विद्यमान जरा सूक्ष्म जीवाणुओं को अचानक सक्रिय बना देते हैं! इस तरह मृदा में अनेक प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन होते हैं, खेत की पौषकता में वृद्धि होती है! इस मिश्रण के बाद किसी भी तरह फर्टिलाइजर, कीटनाशकों और खनिजों की आवश्यकता नहीं रह जाती है! 
इस मिश्रण के बाद भरपूर फसल की पैदा होती है! इसके साथ भूमि की उर्वरता भी यथावत बनी रहती है! 
विस्तार से समझने के लिए आगे पढ़े ----


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