चिकित्सक
(ऍलोपॅथी, होम्योपॅथी व अन्य)
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। राष्ट्रोनति का कार्य स्वस्थ मानसिकता में ही निहित है। चिकित्सक जनजन को स्वस्थ मन- मस्तिष्क उपलब्ध करा कर सच्ची राष्ट्र सेवा करते है। गो रक्षा एवं गौ संवर्धन हेतु चिकित्सक समाज में अपनी विशेष स्थिति का उपयोग कर कई गुना अधिक कार्य कर सकते है। अधोलिखित बिन्दुओं पर विचार करें व क्रियान्वित करे यही आग्रह है :
१. अपने दवाखाने में गौमाता का चित्र लगावें और आने वाले मरीजों को गो दुग्ध पान की सलाह दें।
२. घर में गाय पालें व गौ सेवा करें, अन्य को भी इस हेतु प्रेरित करें ।
३. पंचगव्य औषधियों का विभिन्न बीमारियों पर असर लगातार देखें एवम् सफल व कारगर नुस्खों का चार्ट बनाकर अपने दवाखाने में लगावें ।
४. गोपर्व, गो उत्सव जैसे, गोवत्स व्दादशी, बलराम जयंती (हलधर षष्ठी), श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गोपाष्टमी, मकर संक्रांति इत्यादि उत्साहपूर्वक मनावें व अन्य को भी प्रेरित करें ।
५. अन्य चिकित्सकों के बीच गोरक्षा, गोसंवर्धन सम्बंधी चर्चा करें, उन्हें भी इस हेतु प्रेरित करें ।
६. मरीजों को गोसेवा कर आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने की सलाह देवें ।
७. गो दुग्ध, गोघृत के उपयोग पर अभियान चलाएं ।
८. स्वयं गोग्रास निकालें, अन्य को भी प्रेरित करें ।
९. गोसेवा, गोरक्षण व गो संवर्धन हेतू धन संग्रह में सहयोग देवें ।
१०. गाय के रक्त से बनी डेक्सोरेंज सीरप, गोवंश के पॅनक्रिआज से प्राप्त इंसूलिन, जिलेटीन वाले कॅपसुल, गोवंश की हड्डियों से बनी Heamaccel औषधि व अन्य कॅलशियम पूरक औषधियों का रोगोपचार में उपयोग नहीं करना चाहिये व वैद्यकीय क्षेत्र में इस विषय पर जनजागरण करना चाहिये।
११. पंचगव्य औषधियों की चिकित्सा संबधित सफलताओं, अनुसंधानात्मक खबरों को विशेष रूची के साथ पढ़ें।
१२. उपरोक्त जानकारियों की अपनी पध्दति से जाँच-परख कर, संतोषजनक पाये जाने पर, पंचगव्य औषधि का रूग्णों के इलाज में उपयोग करें।
१३. पंचगव्य व संबधित विषयों को अर्वाचिन क्षेत्र के अनुसंधान में प्राथमिकता दें।