रविवार, 2 जून 2024

गौशाला संचालक

गौशाला संचालक

गोशाला तैंतीस कोटी देवी-देवताओं का मंदिर हैं, राष्ट्र का विकासपथ इसी मंदिर से प्रारंभ होता हैं, रासायनिक कृषि एवम् औषधि से पीडित मातृभूमि, जनस्वास्थ्य व पर्यावरण की रक्षा का दायित्व आप पर ही राष्ट्र को बचा सकते हैं आपकी दृढइच्छाशक्ति एवम् संकल्प क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता हैं, आपकी मेहनत इस राष्ट्र को प्रगती के उच्च पायदान पर खडा कर सकती हैं। आइये, प्राचीन विज्ञान को उजागर करें, खाद्यान्न, स्वास्थ्य, उर्जा व पर्यावरण की समस्याओं से जूझ रहे इस राष्ट्र में गोवंश आधारित विकास" की परिकल्पना को साकार करें व मातृभूमि को उसका खोया वैभव व गौरव पुनः दिलायें।

1. जैविक कृषि हेतु गोबर एवं गोमुत्र एकत्रित कर उनसे खाद कीट नियंत्रक उर्वरक निर्मित करे, विक्री करें एवम् प्रशिक्षण देवें।

2. गौनस्ल सुधार कार्यक्रम चलाये।

3. पंचगव्य आधारित औषधियों के निर्माण एवं विक्रय हेतु लोगों को प्रशिक्षित करें।

4. गोबर गॅस प्लांटो के संचालन गॅस वितरण एवं संबंधित कुटीर उद्योग विकसित करे।

5. ऋतु के अनुसार गौ-आहार (चारा, संतुलित दादा, चुन्नी चोकर एवं खनिज लवण) गौवंश के लिए उपलब्ध कराये।

6. किसान सम्मेलन आयोजित कर जैविक कृषि की महत्ता एवं उपयोगिता प्रचारित करे।

7. पंचगव्य द्वारा निर्मित पदार्थों के उपयोग को प्रचार माध्यमों द्वारा प्रचारित एवं प्रसारित करने की व्यवस्था करें।

8. गौ-शाला मे गौ-ग्रास दान पेटी लगाये एवं समय-समय पर गौ उत्सवों एवं गौ-पर्वो का आयोजन करे।

9. गौशाला, पंचगव्य औषधी व कृषि उत्पाद तथा पंचगव्य से निर्मित उर्जा केन्द्रो में विद्याथियों की शैक्षणिक यात्रा का आयोजन करें।

शनिवार, 1 जून 2024

"राष्ट्रीयता का दीप जलाएं"

धर्मपराण भारत हजारों वर्षों से सम्पूर्ण संसार में आध्यात्म का दीपक जलाकर उसे प्रकाशमान करता रहा है दूसरों को ज्ञानरूपी दीपक से प्रकाशमान करते रहने वाला भारत स्वाधीनता के बाद से ही स्वयं व्यक्तिगत स्वार्थों, अनैतिकता, अलगावाद, भरष्टाचार, जैसे अंधकारो घिर कर तेजहीन क्यों होता जा रहा है? क्या कभी हमनें इसका लेखाजोखा करने की आवश्यकता महसूस की है? धर्म तथा आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा भारत के प्राण थे और रहेंगे । भारत ने हमेशा अति भौतिकवाद और अशान्ति के अंधकार में डूबे पश्चिम को मानवतावाद, शान्ति तथा भाईचारे का प्रेरक संदेश देकर वहां प्रकाश बिखेरा था । आज आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा को छोड़कर भारत स्वयं संकटग्रस्त है । इसलिए आइये फिर धर्म, आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा की तरफ लौटकर भारत की सुख, सम्रद्धि व खुशहाली के लिए 'राष्ट्रीयता का दीपक ' जलाएं।