शनिवार, 1 जून 2024
"राष्ट्रीयता का दीप जलाएं"
धर्मपराण भारत हजारों वर्षों से सम्पूर्ण संसार में आध्यात्म का दीपक जलाकर उसे प्रकाशमान करता रहा है दूसरों को ज्ञानरूपी दीपक से प्रकाशमान करते रहने वाला भारत स्वाधीनता के बाद से ही स्वयं व्यक्तिगत स्वार्थों, अनैतिकता, अलगावाद, भरष्टाचार, जैसे अंधकारो घिर कर तेजहीन क्यों होता जा रहा है? क्या कभी हमनें इसका लेखाजोखा करने की आवश्यकता महसूस की है? धर्म तथा आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा भारत के प्राण थे और रहेंगे । भारत ने हमेशा अति भौतिकवाद और अशान्ति के अंधकार में डूबे पश्चिम को मानवतावाद, शान्ति तथा भाईचारे का प्रेरक संदेश देकर वहां प्रकाश बिखेरा था । आज आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा को छोड़कर भारत स्वयं संकटग्रस्त है । इसलिए आइये फिर धर्म, आध्यात्म व गोसेवा-गोरक्षा की तरफ लौटकर भारत की सुख, सम्रद्धि व खुशहाली के लिए 'राष्ट्रीयता का दीपक ' जलाएं।
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