मंगलवार, 24 सितंबर 2024

गोहत्यारी पार्टियों को वोट देकर गोहत्या का पाप न लें हिन्दू

गोहत्यारी पार्टियों को वोट देकर गोहत्या का पाप न लें हिन्दू

-शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती

सनातन धर्म में गोहत्या महापाप है। गोहत्या करने वाले को समर्थन देने वाले को भी यह पाप लगता है। इसलिये सत्ता में आकर गोहत्या करने वाले राजनीतिक दलों को मत देकर उन्हें सत्ता में लाने बाले मतदाताओं को भी गोहत्या का पाप लग रहा है। हिन्दुओं को इससे बचने और अपने मताधिकार का सही प्रयोग करने की आवश्यकता है।

हमारे शास्त्र हमें बताते हैं कि गोमाता सर्वदेवमयी है। इनकी पूजा करने से 33 करोड देवी-देवताओं की पूजा एक साथ हो जाती है। इनका स्थान सर्वोपरि है। तभी तो सनातन धर्म में देवता और गुरु के लिए नहीं, अपितु गोमाता के लिए पहली रोटी (गो-ग्रास) निकालने का नियम है। हमारे देश का यह भी गौरवपूर्ण इतिहास रहा है कि चक्रवर्ती सम्राट् दिलीप, भगवान् राम और भगवान् कृष्ण आदि ने भी गोसेवा की है। परन्तु बहुसंख्यक गो- पूजक सनातनियों के इस देश में आज गोमाता की हत्या हो रही है, जो हम सबके लिए कलङ्क है। इसी कलङ्क को भारत की भूमि से मिटाने के लिए पूर्व में भी अनेक सन्तों ने धर्मसम्राट् स्वामी श्री करपात्रीजी महाराज एवं शङ्कराचार्यों के नेतृत्व में गोरक्षा आन्दोलन किया था। तब से अब तक अनेक सरकारें आयीं, लेकिन किसी ने भी गोहत्या बन्दी की उद्घोषणा नहीं की, बल्कि मुगलों, आक्रमणकारियों और अंग्रेजों द्वारा की जा रही गोहत्या को बढ़ावा ही देती रहीं। अब जब देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और अयोध्या में भगवान् श्रीराम विराजमान हो गये हैं, तो अमृत (दूध) देने वाली गोमाता की हत्या होती रहे, यह सरासर अन्याय है। यह आम हिन्दू मतदाताओं को पाप में डालने बाला काम है, जिसे किसी भी दशा में रोका जाना चाहिए। इसीलिए हम सब हिन्दू सनातनी चाहते हैं कि भारत में गोहत्या को दण्डनीय अपराध माना जाय और गोमाता को पशु-सूची से निकालकर राष्ट्रमाता का सम्मान दिया जाय। जिस प्रकार देश में राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रीय पक्षी आदि को संविधान में सम्मान प्राप्त है वैसे ही गौमाता को भी राष्ट्रमाता का सम्मान प्राप्त हो क्योंकि हमारे शास्त्रों में पशवो न गावः कहकर उन्हें पशु मानने का निषेध किया है और उनके लिये विश्वमाता शब्द कहकर सम्मानित किया है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि जब हम गो कहते हैं तो इसका तात्पर्य शुद्ध देशी नस्ल की असंकरीकृत गो से है जिसकी सास्ना और ककुद होती है। जर्सी और अन्य संकरीकृत को हम सनातनीजन गाय नहीं मानते। शुद्ध देसी गो को हमने रामा गो नाम दिया है और इनको ही राष्ट्रमाता घोषित करने की माँग हम गोभक्त कर रहे हैं।

करे जो गोमाता पर चोट, हम कैसे दें उसको बोट ?

हमारा धर्म हमें यह भी सिखाता है कि यदि हम गलत करने वाले का समर्थन करते हैं, तो हमें भी उस गलत कार्य को करने का पाप भोगना पडता है। यदि कोई सरकार गोहत्या कर रही हो और हम उसे बोट देकर अपना समर्थन देते हैं तो उसके द्वारा किये जा रहे गोहत्या का पाप हमें भी लगेगा। इसीलिए हम गोभक्त सनातनी हिन्दुओं से यह कहना चाहते हैं कि आप गोहत्यारी पार्टियों को अपना अमूल्य वोट देकर गोहत्या के महापाप के भागी न बनें। देश में होने वाले चुनाव में कौन-सी पार्टी कब सत्ता में आयेगी, यह कभी भी पहले से नहीं कहा जा सकता। इसलिए आप सब यह स्पष्ट निर्णय कर लें कि जिस भी पार्टी की सरकार बने, उसे शपथ ग्रहण करते ही सबसे पहला कार्य गोहत्या बन्द कराकर गाय को राष्ट्रमाता घोषित करना होगा। आपके द्वार पर जो भी वोट लेने आये, उनसे आप यह कह सकते हैं कि गोहत्या न करने का शपथ-पत्र लिखित रूप से देने पर ही बोट दिया जायेगा, ताकि आपको स्वयं गोहत्या का पाप न लगे।

गोरक्षा के लिए हुए सार्वजनिक प्रयास

गोमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने के लिए प्रयाग के माघ मेले में द्वारकापीठ एवं ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्यों के दिव्य सान्निध्य में प्रथम गो संसद् का आयोजन हुआ जिसमें 21 प्रस्ताव पारित हुए। तदनन्तर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जी ने परम गोभक्त गोपालमणि जी के नेतृत्व में विशुद्ध गोभक्तों संग वृन्दावन से दिल्ली तक की पदयात्रा की। यह बात्रा गोवर्धन परिक्रमा से आरम्भ होकर वर्ष 1966 में जहाँ गोभक्तों पर गोली चली थी, संसद् भवन, दिल्ली के उस स्थान पर जाकर रामा-गो की रक्षा करने के संकल्प के साथ पूर्ण हुई। इसके पश्चात् दिल्ली के तेरापंथ भवन में द्वितीय पंचदिवसीय गो संसद् का आयोजन किया गया जिसमें 21 प्रस्ताव पारित हुए और एक गो संहिता विधेयक भी सर्वसम्मति से पारित हुआ।

गो-ध्वज स्थापना भारत यात्रा :

परमाराध्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वतीजी के दिव्य सान्निध्य में तथा गौ गंगा कृपाकांक्षी श्री गोपालमणि जी के नेतृत्व में सम्पूर्ण भारत में गी प्रतिष्ठा आन्दोलन के अन्तर्गत गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा दिनाङ्क 22 सितम्बर से 26 अक्टूबर तक हो रही है जो भारत के समस्त 36 प्रदेशों की राजधानियों तक जाएगी तथा वहाँ एक गो ध्वज की स्थापना की जाएगी। प्रत्येक राज्य की राजधानियों में गो प्रतिष्ठा सम्मेलन का आयोजन होगा जिसका श्रीगणेश गोरक्षक,
गोभक्त भगवान् श्रीराम जी की राजधानी अयोध्या से हुआ है जहाँ भगवान् रामलला के रूप में विद्यमान हैं; जहाँ से यह पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर होते हुए यह यात्रा 26 अक्टूबर को देश की राजधानी दिल्ली पहुँचेगी। पूज्य जगद्गुरु शङ्कराचार्य जी द्वारा समस्त भारत के प्रखर गोभक्तो को सम्मानित भी किया जा रहा है। इस गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा का लक्ष्य सम्पूर्ण भारत में गो प्रतिष्ठा आन्दोलन हेतु समस्त राष्ट्र के गोभक्त हिन्दुओं को जागृत कर एक सूत्र में पिरोने का है तथा गोमाता की दुर्गति को दूर कर, भारत की पवित्र भूमि से गो हत्या के कलङ्क को मिटाकर, गोमाता को पशु सूची के से हटाकर राष्ट्रमाता के पद पर प्रतिष्ठित कराना है।

फिर देश की राजधानी दिल्ली में गोपाष्टमी के अवसर पर 7,8 और 9 नवम्बर 2024 को तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी गो प्रतिष्ठा महासम्मेलन होगा और यात्रा का समापन भगवान् श्रीकृष्ण के बाललीला धाम वृन्दावन पहुँच गो ध्वज समर्पण करके होगा जो भारत की सरकार को गौहत्या के कलङ्क को मिटाकर गौमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने हेतु निर्णायक होगा।

आप भी गोहत्या रोकें और पाप से बचें :

आपमें से जो भी हिन्दू प्रत्यक्ष रूप से इस आन्दोलन से नहीं जुड़ पा रहे वे सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात जन-जन तक पहुँचाएं और मतदान करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि कहीं आपके दिए मत का प्रयोग कर बनने बाली सरकार गोहत्या तो नहीं कर रही? गोहत्या को बन्द करने हेतु अपना

समर्थन-सहयोग आप सनातनी हिन्दू अवश्य प्रदान करेंगे ऐसा हमें विश्वास है।

सर्वदेवमयी गोमाता का आशीर्वाद आप सबको प्राप्त हो।


गो-माता, राष्ट्र माता राष्ट्र माता, भारत माता।



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