मंगलवार, 12 नवंबर 2019

भारत में गाय को कभी भी पशु नहीं माना

यह एक निर्विवाद सत्य है की भारत में गाय को कभी भी पशु नहीं माना गया है, अपितु इन्हें ब्रम्हाण्ड की जननी और मनुष्यों की माता माना जाता रहा है। वैदिक काल से ही गाय को आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और औषधीय कारणों से पोषित किया जाता रहा है। आज के आधुनिक युग में स्वदेशी गाय के आर्थिक पछ को मजबूत करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। वैज्ञानिक शोधो से यह सिद्ध हो चूका है कि गाय से प्राप्त पांच प्रमुख  पदार्थ दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर, जिसे पंचगव्य के नाम से जाना जाता है, से मनुष्यों के प्रमुख तीनो दोषों (वात, पित्त, कफ ) का निराकरण किया जा सकता है।  यद्यपि आधुनिक विज्ञानं ने भी देशी गायो को कई आयामों में विदेशी गायो  से श्रेष्ठ माना है, लेकिन कम दूध उत्पादन के आर्थिक पक्ष की वजह से यह इतनी निर्बल हो गयी कि अब उसके दर्शन अधिकतर गौशाला में ही हो रहे है। पिछले दो दशक में देशी नस्ल की गायो को एक ओर जहां पशु पालकों और किसानो ने रखना कम कर दिया है, वही दूसरी ओर आम जन मानस में पुनः देशी गाय के लिए वैज्ञानिक महत्वा से कारण जागरूकता बढ़ी है। 

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