बुधवार, 18 दिसंबर 2013

आज भी पेट्रोलियम उत्पादों के अचानक संकट पर वैकल्पिक कृषि व्यवस्था गाय ही है

आज भी पेट्रोलियम उत्पादों के अचानक संकट पर वैकल्पिक कृषि व्यवस्था गाय ही है 
+ 1 अरब 2 5 करोड़ जनसँख्या का यह देश पेट्रोल संकट के कारण अन्न उत्पादन के लिए हल में बैल इतनी बड़ी मात्रा में अचानक कहाँ से लायेगा ?
+ पेट्रोल के उत्पादों पर निर्भर कृषि व्यवस्था महंगी व भूमि कि उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रही है
+ पेट्रोल न मिलने पर तो देश में भुखमरी कि स्थति पैदा होगी l
+ खेती में हल के लिए सस्ते बैल, अनाज लाने और ले जाने के लिए बैलगाड़ी , सिंचाई के लिए रहट खेती में कीड़े मरने के लिए हानि रहित राख गोबर से खाद व् गैस सरल और सस्ते दरों पर गाय ही उपलब्ध करा सकती है।अभी शेष है।
+ गाय के विनाश से गरीब व कम भूमि के किसान को महंगी कृषि -व्यवस्था अपनानी पड़ती है जिस में असफल रहने पर किसान आतमहत्या करने में विवश है
+ भारत के राजनेता गाय के प्रति अपनी सदभावना रखें
+ गाय - वंश समूची मानवता की रक्षा करता है
+ विकसित देशों में वैज्ञानिक गाय कि ही देन हैं
+ गाय के दूध का अधिक उत्पादन भारत कि भावी पीढ़ी को और गाय -वंश का विकास गांव कि अर्थ -व्यवस्था को सुदृढ़ बनाता है

हल्दी वाला दूध :-

हल्दी वाला दूध :- 

रात को सोते समय देशी गाय के गर्म दूध में एक चम्मच देशी गाय का घी और चुटकी भर हल्दी डालें . 
चम्मच से खूब मिलाकर कर खड़े खड़े पियें. 

- इससे त्रिदोष शांत होते है. 

- संधिवात यानी अर्थ्राईटिस में बहुत लाभकारी है. 

- किसी भी प्रकार के ज्वर की स्थिति में , सर्दी खांसी में लाभकारी है. 

- हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है. 
यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है. 

- वजन घटाने में फायदेमंद: गर्म दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा चर्बी घटती है. 
इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद तरीके से वजन घटाने में सहायक हैं। 

- अच्छी नींद के लिए: हल्दी में अमीनो एसिड है इसलिए दूध के साथ इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है.
अनिद्रा की दिक्क हो तो सोने से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें. 

- दर्द से आराम: 
हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया से लेकर कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है. 
इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है. 

- खून और लिवर की सफाई: 
आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और लिवर को साफ करता है. 
पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका सेवन फायदेमंद है. 

- हल्दी वाले दूध के सेवन से मांसपेशियों के दर्द में आराम होता है.

- मजबूत हड्डियां दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है और हल्दी में एंटीऑक्सीडेट्स भरपूर होते हैं इसलिए इनका सेवन हड्डियों को मजबूत करता है और शरीर की प्रतिरोधी क्षमता घटाता है. 

- इसे पिने से गैसेस निकलती है और अफारा , फुले पेट में तुरंत लाभ मिलता है....

जैविक खेती का एक आसान तरीका.

जैविक खेती का एक आसान तरीका.
जैविक खाद ( एक एकड़ खेत के लिए )
# एक ड्रम में नीचे लिखी पाँच चीजों को आपस में मिला लें.


१. १५ किलो गोबर ( गाय का, बैल का,  )
२. १५ लीटर मूत्र ( गाय का, बैल का,  )
३. १ किलो गुड़ ( कैसा भी चलेगा, जो सड़ गया हो आपके उपयोग का ना हो तो ज्यादा अच्छा )
४. १ किलो पिसी हुई दाल या चोकर (कैसा भी चलेगा, आपके उपयोग का ना हो तो ज्यादा अच्छा )
५. १ किलो मिट्टी ( किसी भी पुराने पेड़ के नीचे की पीपल, बरगद .... )
# अब इसे १५ दिन तक छाँव में रखो, और रोज सुबह शाम एक बार इसे मिला दो.

# १५ दिन बाद इसमें २०० लीटर पानी मिला दो, अब आपकी खाद तैयार हो गयी जो एक एकड़ खेत के लिए काफी है.

# इस जैविक खाद को हर २१ दिन के बाद खेत में डाल सकते है.

# अगर खेत खाली है तो सीधे खेत में इसे छिड़क दें. और अगर फ़सल खड़ी है तो पानी के साथ पटा दें !

# यह जैविक खाद आपके रासायनिक खाद ( यूरिया ... ) से ६ गुना ज्यादा ताकतवर है !

# इस जैविक खाद की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती है !

# इस जैविक खाद को इस्तेमाल करने से खेत को पानी की कम जरुरत पड़ती है !

जैविक जंतु नाशक ( एक एकड़ खेत के लिए )
# जिस खेत में यूरिया, डी ए पी आदि डाला जाता है, कीट उसी खेत में जाते हैं, आप जितना ज्यादा यूरिया, डी ए पी डालोगे कीट उतने ज्यादा आएंगे, इसलिए सबसे पहले रासायनिक खाद डालना बंद करें खेत में कीट आना कम होते जायेगा !

# एक ड्रम में नीचे लिखी चीजों को मिला कर उबालें !

१. २० लीटर मूत्र ( गाय का, बैल का,  )
२. २.५ किलो नीम के पत्ते या निम्बोली पिस कर मिलाएं !
३. २.५ किलो सीताफल के पत्ते पिस कर मिलाएं !
४. २.५ किलो आकड़ा ( आक, अकौवा, अर्क मदार ) के पत्ते को पिस कर मिलाएं !
५. २.५ किलो धतुरे के पत्ते को पिस कर मिलाएं !
६. २.५ किलो बेल पत्र के पत्ते को पिस कर मिलाएं !
# इस घोल को खूब उबालें, उबालते समय इसमें करीब ०.५ किलो तम्बाकू का पाउडर मिला दें!

# खूब उबल जाये तो इसे ठंढा करके छान लें !

# अब इसे बोतल में या किसी और बर्तन में रख लें !

# अब जब भी इसका इस्तेमाल करना हो तो इसमें २० गुना पानी मिला कर छिड़के !

# छिड़कने के ३ दिन के अंदर सभी कीट मर जायेंगे !

बीज संस्कारित करने का तरीका ( १ किलो बीज के लिए )
# एक ड्रम में नीचे लिखी चीजों को मिलाएं !

१. १ किलो गोबर ( गाय का, बैल का,  )
२. १ लीटर मूत्र ( गाय का, बैल का  )
# अब इसमें १०० ग्राम कलई चूना मिलाना है, उसका तरीका है !

३. १०० ग्राम कलई चूना को २ से ३ लीटर पानी में डालकर रात भर छोड़ दें ! सुबह में जब चूना फूल जाये तो चूना और उसके पानी को घोल लें !
# अब ड्रम में जिसमें गोबर और मूत्र मिला हुआ है उसमें ये चुने का घोल मिला दें और इसे अच्छे से घोलें !

# अब कोई भी बीज जिसको संस्कारित करना हो उसे इस घोल में मिला कर रात भर ( ३ से ६ घंटे ) छोड़ दें !

# सुबह में बीज को घोल से निकाल लीजिए, और इसे छाँव में सुखा लीजिए !

# अब आपका बीज तैयार है इसे खेत में लगा दीजिए !

# इस संस्कारित बीज से आपको उत्पादन ज्यादा मिलेगा !

# और इस संस्कारित बीज पर कीट आसानी से नहीं लगेगा !

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

राम रक्षा से सुरक्षा अथवा कुत्ते से सुरक्षा ---- फैसला स्वयं लीजिये

राम रक्षा से सुरक्षा अथवा कुत्ते से सुरक्षा ---- फैसला स्वयं लीजिये---------

वर्तमान समय में एक बड़ा प्रचलन है की लोग अपने घरों में कुत्तों का पालन करते है | शास्त्रोक्त दृष्टि से तो घर में केवल गाय की सर्व-सम्मति से अनुमति देखी जाती है, इसके अतिरिक्त आप जिसको भी घर में रखे जैसे कुत्ते, बिल्ली, भेड़, बकरी या मुर्गा आदि, इसमें अधिकतर लोग अपना व्यापार का माध्यम देखते है अथवा भोजन का माध्यम । माँसाहारी इनमे से मॉस और शाकाहारी दूध आदि के दृष्टिकोण से इनको लाभ से रखते है पर इनका घर में होना क्लेश-झगड़ा या अन्य-उत्पात ही है | ऐसा प्राय देखने में समझने में आता है | अब यहाँ मुख्यता जो गौ-पालन करते है वे तो विशेष रूप से धन्यवाद के पात्र है साथ ही साथ वे बड़े बडभागी हैं | भगवान के प्रेम द्वारा उनका सीचंन होता है | जैसे यह तो सब मानते है के सन्तों का पालन भगवान करते है ऐसे ही गौ-पालन में सहयोगी लोगों का भी पालन भगवान ही करते है बशर्ते वे अपने को प्रेम से, ईमानदारी से और भक्ति से इस कार्य में जोड़े |

वर्ष १९८० तक गौ-पालन बहुतायत में देखा जाता था । उस समय तो गौ-दूध की नदी, दूध, घी, छाछ सब ऐसे था जैसे कि आज के समय में पाश्चात्य संस्कृति (बेशर्म माँ-बाप-बेशर्म संताने), वाहियात हरकते (स्त्री-पुरुष का खुलेआम भोग्य-वस्तु बन कर रह जाना, वर्ण संकरता (अपने धर्म से द्वेष- दुसरे के धर्म में प्रेम जिसका परिणाम हानि-हानि और केवल हानि है ) देखने में आति है | बस हुआ इतना कि समय की पलटी हुई, आज पाप-रुपी धन बढ़ा और उसकी रक्षा के लिए लोगों ने पाप-रुपी नियम से पाप की रक्षा के लिए अपनी पाप-बुद्धि लगा ली है |

आप एक बार गम्भीरता से तो सोचिये क्या पाप बुद्धि से पाप का पैसा, पाप रुपी नियम से कमाया हुआ आपको सद्बुद्धि, सद्व्यवहार, सद-संगति देगा ।

आज क्या है जगह जगह गौ-पालन, गौ-रक्षा, गौ-सवर्धन, गौ-वृद्धि, गौ-रक्षा निति की चर्चा सुनने में आती है, देखि भी जाती है, कुछ इसमें से इमानदारी और कुछ इसमें भी अपनी पाप बुद्धि को नहीं छोड़ते ... ऐसा स्पष्ट दिखाई देता है ...

पहले गाव में कुआ, गौ-शाला, मंदिर, श्मशान इन चार जगह को एक-दम प्रमुखता दी जाती थी, आज यह जो अधुनिकीकरण (URBAN-SECTOR) ने कुआँ को कबाड़-खाने ने, गौ-शाला को सरकारी निति ने, श्मशान को गरीबी रेखा ने, और मन्दिर को पुजारी जी ने पूर्ण रूप से अतिक्रमित कर लिया है ... ऐसा जायदातर दीख जायेगा |
आज URBAN-SECTOR एक बड़ी प्रतिष्ठा का विषय बन गया है | आज हमारे भाई-बहनों को गाँव का नाम लेने में भी शर्म आती है, और जब ऐसा माहौल हो तो लाखों में कोई एक विरला इस पर अपना समय देता है की आज की क्या दशा हो रही है | उसके भाव-विचार फिर उसकी औलाद उसको केक-पिज़्ज़ा-बर्गर-ड्रिंक-चोकलेट खिला खिला के खतम कर देती है |

आज के समय के भाई-माता-बहनों की बात सुन लीजिये- कुत्ते की पूछ सहलाना, उसको सैम्पू से नहलाना, उसकी पोटी साफ़ करना, उसके साथ किस्सिंग आज के समय जिसको प्यार भी कहते है करना बड़ा पसन्द है, और मैंने तो यहाँ तक देखा है, कुछ उपन्यास से पढ़ा भी है के लोग कुत्तों को अपने साथ बिस्तर पर सुलाते भी है | उसी को धीरे धीरे सब परिवार ऐसी ही वाहियात हरकते कर-करके अपनी (बर्बादी) वर्तमान में और भविष्य की गारन्टी शास्त्र लेते है की जैस कर वैसा भोग |

उनको गाय से डर लगता है, अकेले कुत्ते से कोई बात नहीं पर संस्कारित गौ माँ से डर लगता है, गोबर में बदबू आती है जबकि कुत्ते की टट्टी में तो यह तो चलता है, प्रति महिना कुत्ते पर कम-से-कम २०००-५००० का खर्चा करना कोई बड़ी बात नहीं पर गौ-माता के लिए गौ-रोटी तो निकलती नहीं गौ-ग्रास भी उस दिन दिखावे को के आज दादा जी का पुण्य-तिथि-श्राद्ध है चलो कुछ पुण्य कमा लेते है दादा-जी खुस रहेंगे.. आदि आदि. कुत्ते को भोग (sex) भी उसके स्वाद के अनुसार करवाना है जिसका आजकल खर्चा १०००० तो सामान्य है, पर गौ-शाला में एक-हज़ार भी साल में एक बार दे दिए तो पूरी रिश्तेदारी में यह खबर दो की यह पुण्य कार्य कर दिया, और कुछ तो इसमें भी इश्ताहर, या बड़ा ढोग-ढकोसला जिससे घर के नौकर से लेकर गौ-शाला तक के मालिक की झूठी वाहवाही के लिए बेताब नहीं तो अगली बार जगह बदल देनी है |

अच्छा बड़े मजे की बात देखिये की 'कुत्ता वफादार होता है', पर धैर्य से सोचिये किसका? और गौ-किसका बुरा करती है --- वो तो माँ है – “पुत्रो कुपुत्रो भवति माता कुमाता न भवति” पुत्र ख़राब हो सकता है पर माँ कभी ख़राब नहीं होती |

पाप का धन कुत्ता तो क्या कुत्ते का बाप भी नहीं बचा पायेगा, आप रामायण देखिये उसमे स्पष्ट लिखा है 'पापी का धन प्रलय जाई, ज्यो कीड़ी संचय तीतर खाई' तो आप एक कुत्ता पालिए, दो पालिए या दर्जनों कुत्ते पालिए, रक्षा होगी आपकी, परिवार की, यह आपका फैसला है, पर एक विनम्र-विन्तीं हमारी भी सुन लीजिये ...

चेतावनी ---- चेतवानी ---- चेतावनी -----

गौ-पालन कुत्ते के पालन से कहीं जायदा लाभकारी है , बल्कि यह तुलना करना ही हमारी नीचता हो रही है यहाँ तो... गौ पालन का किसी से कोई तुलना नहीं हजारों रुद्राभिषेक और सैकड़ो भागवत-गीता-रामायण पाठ गौ-पालन की तुलना नहीं कर सकते फिर यह एक छोटा सा पशु कुत्ता तो है क्या ? ---

आप जन्मे तब से लेकर मरोगे तब तक मानो या मत मानो गौ-संदर्भित पदार्थ आपको लेने होंगे,,, तो क्यूँ न आज से चेतना जगा ले...

भारत में कम से कम १५० से जायदा भाषा और ३० स्टेट हैं,... गौ-की आज बहुत बुरी हालत है इसके लिए सबसे जायदा धनी-पढ़े लिखे-शक्ति-सम्पन्न और ऐश्र्वर्य प्रधान भोगी लोग जिम्मेदार है ....

आप जितना कुत्ते पर खर्च करते हो उसका २५% ईमानदारी से गौ-सेवा में लगा दीजिये... नहीं तो जितना कुत्तों पर खर्च करते हो उसका कितना ज्यदा गुना पाप भोगन पड़ेगा सोच नहीं सकते ....

धर्मिक-अनुष्ठान उतने जरुरी नहीं जितना यह गौ-सरक्षण जरुरी है ....

आपको भगवान ने विद्या दी, धन दिया, ऐश्वर्या दिया, तो इसका अर्थ यह नहीं आप गौ-माता के प्रति अंधे-बहरे-लंगड़े-लूले बनोगे... यह सारा का सारा आपको अस्पतालों में देना पड़ेगा, कानूनी पचड़ों में देना पड़ेगा, और अन्त में रोना पड़ेगा वह अलग ... तब भी गौ-माता ही याद आयेगी ...

रे मूर्ख प्राणी ! क्या तू आज इतना मद-वाल हाथी हो गया की कोई तेरा अन्त-नहीं कर सकता, ध्यान से देख ये कुत्ता जिसको तू प्रेम से गले में रस्सी बाध कर खीच रहा है न, यह भी तेरी जिंदगी को भी कुते-के जैसा न कर दे तो याद रखना ...

यह समय बहुत महंगा है... समय निकले जा रहा है ..अपनी विद्या, बल, बुद्धि, शक्ति का अगर गौ-सेवा में नहीं लगेयेगा तो तेरा अन्त भी इस कुत्ते के अन्त की तरह से ही होगा ... देख लेना

------ क्षमा कीजिये हमरा लेख किसी व्यक्ति-विशेष-धनी-विद्या-शक्ति-सम्पन्न-ऐश्वर्य भोगी के लिए न होकर आज के समय में सामान्यत सनातनी जो अपने धन-बल-विद्या-शक्ति में चूर होकर गौ-माता की उपेक्षा कर रहे है उनको केवल चेतवानी रूप लेख देने की है ..

यह लेख पूर्ण रूप से भगवद-भाव से भगवत्कृपा से गौ-रक्षा-निमित ही बना है सो इसको जितना जायदा लोगों तक ले-जा सके तो गौ-रक्षा में सहयोगी बन कर गौ-माता का आशीर्वाद लेना चाहिये...

जय गौ माँ ! जय गौ माँ ! जय गौ माँ ! जय गौ माँ !

शनिवार, 14 दिसंबर 2013

सावधान ! पीटोसिन नामक इंजेक्शन

सावधान ! पीटोसिन नामक इंजेक्शन को गाय - भैसो को लगा कर जल्दी सारा दूध निचोड़ लिया जाता है। इस इंजेक्शन का प्रभाव गाय - भैस के शरीर में २४ घंटे तक रहता है। ऐसे गाय - भैस के दूध को पीने वाले महिलायें बाँझ और पुरुष नपुंसक हो सकते है। डॉ.के. डी. तोमर और डॉ. गोपी बजाज के अनुसार ये इंजेक्शन पशुओ के लिए भी खतरनाक है अधिक दिन तक इस इंजेक्शन पशुओ को लगाते रहने से पशु जल्दी बूढ़ा होने लगता है। और जल्द ही काल का ग्रास हो जाता है । देखिये आधुनिक मानव अपने स्वार्थ के लिए कितना गिर रहा है ?

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

घटना सन १९४७ ही है |

भारत माता के अंग-भंग, खण्ड-खण्ड होकर पाकिस्तान बनने की घोषणा होते ही समस्त पंजाब, सिंध, बंगाल के मुस्लिम गुंडों ने हिन्दुओं को मारना-काटना तथा ग्रामों को आग की लपटों में भस्मीभूत करना प्रारम्भ कर दिया था | हिन्दुओं को या तो तलवार के बल पर हिन्दूधर्म छोड़ कर मुसलमान बनने को बाध्य किया जा रहा था, अन्यथा उन्हें मार मार कर भगाया जा रहा था |

पंजाब के ग्राम टहलराम में भी मुसलमानों ने हिन्दूओं को आतंकित करना प्रारम्भ कर दिया | गुंडों की एक शाश्स्त्र भीड़ ने हिन्दुओं के घरों को घेर लिया और हिन्दुओं के सम्मुख प्रस्ताव रखा की - 'या तो सामूहिक रूप से मुसलमान हो जाओं, अन्यथा सभी को मौत के घाट उतार दिया जायेगा |' बेचारे बेबस हिन्दुओं ने सोचा की जब तक हिन्दू मिलिट्री न आये इतने समय तक कलमा पढने का बहाना करके जान बचाई जाय | उन्होंने मुसलमानों के कहने से कलमा पढ़ लिया, किन्तु राम राम का जप करते रहे |

'ये काफ़िर हमे धोखा दे रहे हैं | हिन्दू-सेना के आते ही जान बचा कर भाग जायेंगे | इन्हें गौ-मॉस खिला कर इनका धर्म-भ्रष्ट किया जाय और जो गौ-मॉस न खाये उसे मौत के घाट उतार दिया जाय |' एक शरारती मुसलमान ने धर्मान्ध मुसलमानों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा |

'ठीक है, इन्हें गौ-मॉस खिला कर इनकी परीक्षा ली जाय |' मुसलमानों की भीड़ ने समर्थन किया |

मुसलमानों ने गाँव टहलराम के प्रतिष्टित व्यक्ति तथा हिन्दुओं के नेता पंडित बिहारीलाल जी से कहाँ की -'आप सभी लोग गौ-मॉस खाकर यह सिद्ध करे की अप हृदय से हिन्दू-धर्म को छोड़ कर मुसलमान हो गए है | जो गौ-मॉस नहीं खायेगा, उसे हम काफ़िर समझ कर मौत के घाट उतार डालेंगे |'

पंडित बिहारीलाल जी ने मुस्लिम गुंडों के मुख से गौ-मॉस खाने की बात सुनी तो उनका ह्रदय हाहाकार कर उठा ! उन्होंने मन में विचार किया की धर्म की रक्षा के लिए प्राणोत्सर्ग
करने, सर्वस्व समर्पित करने का समय आ गया है | उनकी आँखों के समुख धर्मवीर हकीकतराइ तथा गुरु गोविन्दसिंह के पुत्रों द्वारा धर्म की रक्षा के लिए प्राणोत्सर्ग करने की
झाकी का मॉस गर्म-गरम चिमटों से नुचवाये जाने का द्रश्य सामने आ गया |

पंडित बिहारीलाल जी ने विचार किया की i गौ-हत्यारे, धर्म-हत्यारे मलेच्छो के अपवित्र हाथों से मरने की अपेक्षा स्वयं प्राण देना अधिक अच्छा है | हमारे प्राण रहते ये मलेच्छ
हमारी बहिन-बेटियों को उड़ा-कर न ले जायँ और उनके पवित्र शरीरों को इन पापात्माओं का स्पर्श भी न हो सके, ऐसी युक्ति निकालनी चाहिए |

पंडित बिहारीलाल जी ने मुसलमानों से कहाँ की 'हमे चार घंटे का समय दो, जिससे सभी को समझाकर तैयार किया जा सके |' मुसलमान तैयार हो गए |

पंडित बिहारीलाल जी ने घर जाकर अपने समस्त परिवारवालों को एकत्रित किया | घर के एक कमरे में पत्नी, भीं, बेटियाँ, बालक, बूढ़े आदि- सभी को एकत्रित करके बतया की 'मुसलमान नराधम गौ-मॉस खिलाकर हमारा प्राणप्रिय धर्म भ्रष्ट करना चाहते है | अब एक और गौ-मॉस खा कर धर्म भ्रष्ट करना है, दूसरी और धर्म की रक्षा के लिए प्राणोत्सर्ग करना है | सभी मिलकर निश्चय करों की दोनों में से कौन सा मार्ग अपनाना है |'

सभी स्र्त्री-पुरुष, बाल-वृद्धो ने निर्भीकतापूर्वक उत्तर दिया - 'गौ-मॉस खाकर, धर्म-भ्रष्ट होकर परलोक बिगाड़ने की अपेक्षा धर्म की बलिदेवी पर प्राण देने अच्छे हैं | हम सभी मृत्यु का
आलिन्गन करने को तैयार है |'

पंडित बिहारीलाल जी ने महिलाओं को आदेश दिया -'तुरन्त नाना प्रकार के सुस्वादु भोजन बनाओं और भगवान को भोग लगा कर खूब छक कर खाओं, अंतिम बार खाओं और फिर सुन्दर
वस्त्राभूषण पहनकर धर्म की रक्षा के लिए मृत्यु से खलेने के लिए मैदान में डट जाओं |'

तुरंत तरह-तरह के सुस्वादु भोजन बनाये जाने लगे | भोजन बनने पर ठाकुर जी को भोग लगाकर सबने डटकर भोजन किया तथा अच्छे से वस्त्र पहिने | सजकर एवं वस्त्राभूषण धारण करके
सभी एक लाइन में खड़े हो गये | सभी में अपूर्व उत्साह व्याप्त था | पंडित बिहारीलाल जी का समस्त परिवार गौ-रक्षणार्थ, धर्म-रक्षणार्थ प्राणों पर खेल कर सीधे गौ-लोक धाम जाने के लिए,
शीघ्रअतिशीघ्र मृत्यु का आलिन्गन करने के लिए व्याकुल हो रहा था |

सभी को एक लाइन में खड़ा करके पंडित बिहारीलाल जी ने कहा - 'आज हमे हिन्दू से मुसलमान बनाने और अपनी पूज्य गौ-माता का मॉस खाने के लिए बाध्य किया जा रहा है | हमे धमकी
दी गयी है की यदि हम् गौ-मॉस खा कर मुसलमान नहीं बनेगे तो सभी को मौत के घाट उतार दिया जायेगा | हम सभी अपने प्राण-प्रिय सनातन धर्म की रक्षा के लिए, गौ-माता की रक्षा के लिए
हसँते-हसँते बलिदान होना चाहते है |'

सबने श्रीभगवतस्मरण किया, और पंडित बिहारीलाल जी ने अपनी बन्दुक उठाकर धाय ! धाय !! करके अपनी धर्मपत्नी, पुत्रियों, बंधू-बान्धवों तथा सभी को गोली से उड़ा दिया | किसी के
मुख से उफ़ तक न निकली - हसते हुए, मुस्कुराते हुए गौ-रक्षार्थ, धर्म रक्षार्थ बलिदान हो गए | घर लाशों के ढेर से भर गया |
अब पंडित बिहारीलाल एवं उनके दो भाई ही जीवित थे | दोनों ने आपस में संघर्ष हुआ की 'पहले आप मुझे गोली मारे', दुसरे ने कहाँ, नहीं 'पहले आप मुझे गोली का निशाना बनाये |'

अन्त में दोनों ने अपने-अपने हाथों में बन्दुक थाम कर आमने-सामने खड़े होकर एक-दुसरे पर गोली दाग दी | पूरा परिवार ही धर्म की रक्षा के लिए बलिदान हो गया !

ग्राम के अन्य हिन्दुओं ने जब पंडित बिहारीलाल जी के परिवार के इस बलिदान को देखा तो उनका हो खून खौल उठा | वे भी धर्मपर प्राण देने को मचल उठे | मुसलमान शरातियों के आने से
पूर्व ही हिन्दुओं ने जलकर, कुओं में कूद कर एवं मकान की छत से छलांग लगाकर प्राण दे दिए, किन्तु गौ-मॉस का स्पर्श तक नहीं किया |

मुसलमानों की भीड़ ने जब कुछ समय पश्चात पुन: ग्राम टहलराम में प्रवेश किया, तब उन्होंने ग्राम की गली-गली में हिन्दू वीरों में लाशें पड़ी देखीं | पंडित बिहारीलाल के मकान में घुसने पर लाखों का ढेर देखकर तो गुंडे दांतों-तले अँगुली दबा उठे |

गोसेवा के चमत्कार (सच्ची घटनाएँ), संपादक - हनुमानप्रसाद पोद्दार, पुस्तक कोड ६५१, गीताप्रेस गोरखपुर, भारत

भारतीय गाय इस धरती पर सभी गायो मे सर्वश्रेष्ठ क्यूँ है ? (पूरा पढियेगा )

भारतीय गाय इस धरती पर सभी गायो मे सर्वश्रेष्ठ क्यूँ है ? (पूरा पढियेगा )

यह जानकार आपको शायद झटका लगेगा की हमने अपनी देशी गायों को गली-गली आवारा घूमने के लिए छोड़ दिया है । क्यूंकी वे दूध कम देती हैं । इसलिए उनका आर्थिक मोल कम है , लेकिन ब्राज़ील हमारी इन देशी गायो की नस्ल का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है । जबकि भारत अमेरिका और यूरोप से घरेलू दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए विदेशी प्रजाती की गायों का आयात करता है । वास्तव मे 3 महत्वपूर्ण भारतीय प्रजाती गिर, कंकरेज , व ओंगल की गाय जर्सी गाय से भी अधिक दूध देती हैं ।

यंहा तक की भारतीय प्रजाती की गाये होलेस्टेन फ्राइजीयन जैसी विदेशी प्रजाती की गाय से
भी ज्यादा दूध देती है । और भारत विदेशी प्रजाती की गाय का आयात करता है जिनकी रोगो से लड़ने की क्षमता ( वर्ण संकर जाती के कारण ) भी बहुत कम होती है ।
हाल ही मे ब्राज़ील मे दुग्ध उत्पादन की प्रतियोगिता हुई थी जिसमे भारतीय प्रजाती की गिर ने गाय एक दिन मे 48 लीटर दूध दिया । तीन दिन तक चली इस प्रतियोगिता मे
दूसरा स्थान भी भारतीय प्राजाती की गाय गिर को ही प्राप्त हुआ । इस गाय ने एक दिन मे 45 लीटर दूध दिया । तीसरा स्थान भी आंध्रप्रदेश के ओंगल नस्ल की गाय ( जिसे ब्राज़ील मे नेरोल कहा जाता है ) को मिला उसने भी एक दिन मे 45 लीटर दूध दिया ।
केवल ज्यादा दुग्ध उत्पादन की ही बात क्यूँ करे ? भारतीय नस्ल की गाय स्थानीय महोल मे अच्छी तरह ढली हुई हैं वे भीषण गर्मी भी सह सकती हैं । उन्हे कम पानी चाहिए , वे दूर तक चल सकती हैं । वे अनेक संक्रामक रोगो का मुक़ाबला कर सकती हैं । अगर उन्हे
सही खुराक और सही परिवेश मिले तो वे उच्च उत्पादक भी बन सकती हैं । हमारी देशी गयो मे ओमेगा -6 फेटी एसीड्स होता है जो केंसर नियंत्रण मे सहायक होता है ।

विडम्बना देखिए ओमेगा -6 के लिए एक बड़ा उद्योग विकसित हो गया है जो इसे केपसूल की शक्ल मे बेच रहा है । , जबकि यह तत्व हमारी गायो के दूध मे स्वाभाविक ( हमारे पूर्वज ऋषियों द्वारा विकसित कहना ज्यादा सही होगा ) रूप से विद्यमान है । आयातित गायो मे इस तत्व का नामोनिशान भी नही होता ।

न्यूजीलेंड के वेज्ञानिकों ने पाया है की पश्चिमी नस्ल की गायो के दूध मे ' बेटा केसो मार्फीन ' नामक मिश्रण होता है । जिसकी वजह से अल्जाइमर ( स्मृती लोप ) और पार्किसन जैसे रोग होते हैं ।

इतना ही नही भारतीय नस्ल की गायो का गोबर भी आयातित गयो की तुलना मे श्रेष्ठ है । जो एसा पंचागभ्य तैयार करने के अनुकूल है जो रासायनिक खादों से भी बेहतर विकल्प है ।
पिछली सदी के अंत मे ब्राज़ील ने भारतीय पशुधन का आयात किया था । ब्राज़ील गई गायो मे गुजरात की गिर और कंकरेज नस्ल तथा आन्ध्रप्रदेश की ओंगल नस्ल की गाय शामिल थी । इन गायों को मांस के लिए ब्राज़ील ले जाया गया था । लेकिन जब वे ब्राज़ील पहुची तो वंहा के लोगो को एहसास हुआ की इन गायों मे कुछ खास है ।

अगर भारत मे विदेशी जहरीली वर्ण संकर नस्ल की गायों के बजाय भारतीय नस्ल की गायो पर ध्यान दिया होता तो हमारी गायें न केवल आर्थिक रूप से व्यावहारिक होती बल्कि हमारे यंहा की खेती और फसल की दशा भी व्यावहारिक व लाभदायक होती । मरुभूमि के अत्यंत कठिन माहोल मे रहने वाली थारपारकर जैसी नस्ल की गाये उपेक्षित न होती । आज दुग्ध उत्पादन ही नही प्रत्येक क्षेत्र मे आत्म निर्भरता प्राप्त करने के लिए विदेशी नस्ल ( मलेच्च्यो- मुसालेबीमान व किसाई ) और उनके सहायक चापलूस हन्दुओ से ज्यादा विनाशकारी और कुछ नही हो सकता ।

इससे यह स्पष्ट हो जाता है की भारतीय सारकर हर क्षेत्र मे पूर्व निर्धारित षड्यंत्र के तहत
गलत नीती अपनाकर चल रही है ।

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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

पूर्ण गौरक्षा के आधुनिक उपाय-जो मानस मंथन द्वारा प्रकट हुए.

पूर्ण गौरक्षा के आधुनिक उपाय-जो मानस मंथन द्वारा प्रकट हुए. 


१. गौरक्षा का सरलतम उपाय:- गौरक्षा लगभग सभी चाहते हैं. 
इसके लिए सभी २.५०/- रु प्रतिदिन 
७५/- रु प्रतिमाह 
९००/- रु प्रतिवर्ष खर्च कर सकते हैं. 
गाय को माता मानने वाले अगर इसे अपना ले तो १००% गौरक्षा व्मानव रक्षा हो जाएगी. 
इसका प्रचार कर सभी गौभक्त+गौशालाएं स्वावलंबी बन सकती है. 

२. गौरक्षा का श्रेष्ठतम उपाय- "शाकाहार क्रांति". सभी मानव स्वस्थ दीर्घजीवी रहना चाहता है. 
सभी को सुगंध अच्छी लगती है. 
कोई जल्दी मरना नहीं चाहता. 
कोई बिमार पड़ना नहीं चाहता. 
किसी को दुर्गन्ध अच्छी नहीं लगती. 
जैसे-जैसे लोगों को शाकाहार के फायदे मांसाहार के नुकसान का बोध होगा- मानव मात्र शाकाहारी होगा = प्राणी मात्र की रक्षाहो जाएगी. 

३. गौरक्षा का सच्चा उपाय: "अहिंसा गौ विज्ञान ग्राम विकास यात्रा "गौवंश की रक्षा गाँव में ही संभव है.
गाँवो तक गौविज्ञान पहुँच जाए, गौउद्योग स्थापित हो जाए, गोपालक, अपना गोधन बेचने के स्थान पर बढाने लगे तो पूर्ण गौरक्षा हो जाएगी. 

४. सुनहरा उपाय: "१ रु प्रतिदिन गोघट (गुल्लक) में" १२० करोड़ की आबादी में करोड़ों व्यक्ति ऐसे होंगे जो गौरक्षा हेतु १ रु प्रतिदिननिकाल सकते हैं. 
१ रु प्रतिदिन गौशाला/ गौरक्षक संस्था/गौभक्त को देने से,देने वाले की आमदनी + देने की क्षमता दोनों बढ़ जायेगी.
एवं गोवंश की रक्षा भी होती जाएगी. 

५. सशक्त उपाय: "बैलों से विद्युत्, चारा कटाई, पम्प, आटा पिसाई, आदि" 
बैलों से जुताई- बैल-गाडी तो आज भी होती है.
किन्तु बैलों से विद्युत् हर गाँव में पैदा हो सकती है.
बैलों की मदद से पम्प का काम भी लिया जा सकता है.
चारा कटाई- आटा पिसाई करके भी कमाई की जा सकती है. 
बैलों की रक्षा करना सबसे ज्यादा जरुरी भी है. 

६. सहज उपाय: "गोव्रती बने". 
माता मानते हैं गाय को, पर पीते है हर कैसा दूध.
यही कारण है हमारे बीमार रहने का. 
गाय का दूध, दही, घी, अमृत तुल्य है.
देशी गाय का ही दूध, दही, घी, के सेवन का संकल्प लेना = गोव्रती बनना है,स्वस्थ बनना है . 
हर गौभक्त को गोव्रती/ स्वस्थ बनना चाहिए और अधिक से अधिक लोगों को गौव्रती बनाने क़ी प्रेरणा देनी चाहिए. 

७. सरल उपाय: "मछुआरे गाय पाले" 
मछली पकड़ने में लगे लाखों लोग अगर गाय पालने लगेंगे तो उनका जीवन सुधर जायेगा; सुरक्षित हो जायेगा, सुगन्धित हो जायेगा. 
साथ ही दूध सबको मिलने लगेगा. 
जिन गौभक्तो का मचुअरों से संपर्क है उन्हें इसे करना चाहिए. 

८. स्नेहिल उपाय: "देह बेचने वाली- दही बेचने लगे".
देह बेचने वाली माताएं- बहने अगर दूध से दही, दही से घी, छाछ बनाकर; लस्सी, घी, छाछ बेचने लगे तो समाज के साथ-साथ उनका जीवन भी सुधर जायेगा. 

९. सात्विक उपाय: "कामधेनु विश्व विद्यापीठ". में एक गाय के गोबर- गोमूत्र से १ साल में १ लाख रु कमाने की कला सिखाई जाती है.
देश के बेरोजगार युवक इस कला को सीख ले तो बेरोजगारी, शहर पलायन समस्या मिट जाएगी. 
पूर्ण गौवंश क़ी रखा भी हो जाएगी. 

१०. समृद्धि दायक उपाय: 
"समग्र ग्राम विकास". गाँव में सामुदायिक गोबर गैस प्लांट लगे.
सभी गोपालक उसमें गोबर डाले- गोबर गैस से हर घर का चूल्हा जले. 
स्लरी खाद हर किसान को मिले- तो गाँव + देश दोनों हरा भरा हो जायेगा. 

११. शांत उपाय : "अमृत अन्न आगार" 
गोबर गोमूत्र से उत्पन्न फल, फूल,सब्जी,अन्न अमृत तुल्य अथवा विष रहित होता है.
कसबे,शहर, महानगर के हर गली मोहल्ले में ऐसी दुकाने खुल सकती है, खुल भी रही हैं. 
इससे जनता क़ी सेवा + गौरक्षा दोनों हो रही है. 

१२. सर्वोच्च उपाय: "गोरस भण्डार". 
गाँव के गोपालक से गाय का दूध ऊँचे भाव में खरीद कर, बाज़ार के भाव से नीचे भाव में बेचकर भी पर्याप्त पैसा कमाया जा सकता है.
इससे गोपालन बढ़ेगा. 
शुद्ध दूध की उपलब्धता बढ़ेगी. 
सभी गौशालाएं संस्थाएं यह काम कर सकती है. 

१३. सच्चा उपाय: "गोबर-गोमूत्र बैंक". 
१०-२० गाँवो के बीच १-१ गोबर,गोमूत्र बैंक खुले जो गाँवो के गोपालको से गोबर-गोमूत्र नगदी देकर ख़रीदे एवं उनसे खाद, मंजन, अंगराग, कीट नियंत्रक आदि बना कर प्रचुर लाभ कमा सकती है. 

१४. श्रद्धास्पद उपाय: 
"गौ/गौचित्र की पूजा" गौमाता या उनके चित्र घर पर रहने से भी वास्तु दोष दूर हो जाते हैं. 
गौ/गौचित्र की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं की पूजा एक साथ हो जाती है.

शहरों में हर घर में गोपालन संभव नहीं है.
किन्तु हर घर में गौमाता का चित्र लगना संभव है.
जैसे- जैसे गौमाता के प्रतिभक्तिबढ़ेगी, वैसे-वैसे गौरक्षा-गोपालन स्वतःहोने लगेगा. 

१५. सफल उपाय: "सौम्य सत्याग्रह". 
हर शहर में २-४-१० दिनों के लिए शहर के बीच मंच बनाकर सर्व-धर्म प्रार्थना का आयोजन हो, जनजागरण हो. 
पर्चे बांटे जाए. 
मंच पर हवन चलता रहे. 
जनता जागेगी तो ही गौरक्षा में हमें सफलता मिलेगी. 

१६. सफलतम उपाय: "राष्ट्रीय अहिंसा मंच"- सुशासन स्थापना.
८०% ज्यादा भारतवासी गाय को माता मानते हैं. 
गौरक्षा चाहते है. 
सहज में संकल्प ले सकते हैं कि "मैं गौरक्षक को वोट दूँगा" इससे गौरक्षक संसद पहुंचेंगे + कलम की नोंक से गौरक्षा + व्यवस्था परिवर्तन दोनों हो जाएगी.
धन्येवाद 
जय गौमाता जय गोपाल 
ग़ौक्रांति मंच 

आप का गोवत्स राधेश्याम रावोरिया 
WWW.GOKRANTI.COM 


गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

गाय के सिंग की खूबियां...

गाय के सिंग की खूबियां... 

गाय के सिर पर बड़े-बड़े सिंग आपने कई बार देखे होंगे लेकिन शायद ही कभी आपने इनके चमत्कारी खूबियों पर गौर किया होगा....

गाय को शास्त्रों में माता का स्थान दिया गया है। 
गाय की सेवा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण गोपाल कहे जाते हैं। 

शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि शिवलोक, बैकुण्ठ लोक, ब्रह्मलोक, देवलोक, पितृलोक की भांति गोलोक भी है। 

गोलोक के स्वामी भगवान श्री कृष्ण हैं। 

गाय का इतना महत्व यूं ही नहीं है। 
गाय का दूध माता के दूध के समान फायदेमंद माना जाता है इसलिए बच्चों को गाय का दूध पिलाया जाता है। 

गाय के गोबर से घर आंगन और पूजा स्थान की शुद्घि होती है। 

आपने देखा होगा कि गोपूजा के दिन लोग गाय के सिंग में तेल और सिंदूर लगाते हैं। 
कल्याण पत्रिका में इसका वैज्ञानिक कारण बतया गया है है। 

गाय के सिंग का आकार सामान्यतःपिरामिड जैसा होता है। 
यह एक शक्तिशाली एंटीना के रूप में काम करता है। 
सींगों की मदद से गाय आकाशीय ऊर्जाओं को शरीर में संचित कर लेती है। 
यह उर्जा हमें गोमूत्र, दूध और गोबर के द्वारा मिलती है। 

आपने देखा होगा कि देशी गाय के पीठ पर कूबर निकला होता है। 
यह सूर्य की उर्जा और कई आकाशीय तत्वों को शरीर में ग्रहण करने का काम करता है। 
यह उर्जा हमें गाय दूध के माध्यम से प्राप्त होता है। 

आजकल विदेशी नस्ल की गाय पालने का चलन बढ़ गया है। 
जिनके ना तो कूबर होते हैं और सींग भी बढ़ने नहीं दिए जाते हैं।
यही कारण है कि जिन्होंने देशी गाय के दूध का स्वाद चखा है उन्हें विदेशी नस्ल की गायों के दूध में वह स्वाद नहीं मिलता है....।