शनिवार, 27 सितंबर 2014

बकरा ईद पर गोहत्या क्यों ?

मेरी पूरे देश के गौरक्षको से अपील है ईद के चलते सभी सतर्क रहे किसी भी कीमत पर गायों की क़ुर्बानी न होने दे | अगर हम गऊ माता पर हो रहे जुल्म को देख कर बर्दाश करते है तो जो सजा भागवान कृष्ण इन बुचड़ो को देंगे वही सजा के हक़दार हम भी बन जायेगे |

बकरीद में गौहत्या क्यूँ?
कल मुझे पहली बार यह पता चला कि मुसलमान बकरीद में गौहत्या करते हैं जिसे कुर्बानी कहते हैं । कल मुझे पहली बार ये अहसास हुआ कि हिन्दू-मुस्लिम कभी भाई-भाई नहीं हो सकते । १००० साल हिंदुस्तान की जमीं पर रहने के बाद जो मुसलमान ये नहीं समझ पाए कि हिन्दुओं में गाय को पवित्र मान कर उसकी पूजा की जाती है तो कम से कम उसकी कुर्बानी ना दे, वो मुसलमान भला हुन्दुओं के भाई कैसे हो सकते हैं । ये गाय की हत्या इसलिए नहीं करते कि इससे इनके अल्लाह खुश होंगे बल्कि इसलिए करते हैं ताकि ये हिन्दुओं को नीचा दिखा सके ।
भाई त्यौहार तो तुम्हारा बकरीद (बकरा ईद ) है ना कि गौइद ( गौ - ईद ) फिर गाय की हत्या क्यूँ ?
क्या तुम्हारा अल्लाह तुम्हे यही सिखाता है कि जिस जमीन पर रहो उसके ही संस्कारों की हत्या कर दो ?
हिंदुस्तान में गाय को तब से पवित्र माना जाता है जब से यहाँ सभ्यता ने जन्म लिया । इसमें हिन्दू या मुस्लमान होने जैसी बात नहीं । गाय की पूजा करना इस जमीन के संस्कार हैं ।
फिर गौ हत्या क्यूँ?
किसी भी जीव को पवित्र मान कर पूजा करना कोई बुरे संस्कार नहीं हैं जिसे बदला जाना चाहिए ।
तो फिर मुसलमानों को क्या ऐसा लगता है कि उनके ऐसे घिनौने काम से उनके अल्लाह खुश होंगे । मुझे तो नहीं लगता कि दुनिया का कोई भी भगवान इस ढंग से एक इंसान को दुसरे इंसान से लड़ाने वाले काम से खुश होगा और अगर वो खुश होता है तो निश्चित तौर पर वो भगवान नहीं हो सकता , वो सिर्फ शैतान ही हो सकता है ।
निवेदक आपका मित्र
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया
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