गाय का ज्योतिषीय महत्वः-
1. नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय की विशेष भूमिका होती है कहा तो यह भी
जाता है कि गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं। शनि की दशा, अंतरदशा, और
साढेसाती के समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर देता है।
2. मंगल के अरिष्ट होने पर लाल वर्ण की गाय की सेवा और निर्धन ब्राम्हण को
गोदान मंगल के प्रभाव को क्षीण करता है।
3. बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतु गौवों को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता
नष्ट होती है।
4. गाय की सेवा, पूजा, आराधना, आदि से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और भक्तों
को सुखमय होने का वरदान भी देती हैं।
5. गाय की सेवा मानसिक शांति प्रदान करती है।
गाय से संबंधित धार्मिक वृत व उपवासः-
1. गोपद्वमव्रतः- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने
वाला है।
2. गोवत्सद्वादशी व्रतः- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।
3. गोवर्धन पूजाः- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति
होती है।
4. गोत्रि-रात्र व्रतः- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती
है।
5. गोपाअष्टमीः- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है।
6. पयोव्रतः- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान
प्राप्ति होती है।
1. नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय की विशेष भूमिका होती है कहा तो यह भी
जाता है कि गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं। शनि की दशा, अंतरदशा, और
साढेसाती के समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर देता है।
2. मंगल के अरिष्ट होने पर लाल वर्ण की गाय की सेवा और निर्धन ब्राम्हण को
गोदान मंगल के प्रभाव को क्षीण करता है।
3. बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतु गौवों को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता
नष्ट होती है।
4. गाय की सेवा, पूजा, आराधना, आदि से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और भक्तों
को सुखमय होने का वरदान भी देती हैं।
5. गाय की सेवा मानसिक शांति प्रदान करती है।
गाय से संबंधित धार्मिक वृत व उपवासः-
1. गोपद्वमव्रतः- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने
वाला है।
2. गोवत्सद्वादशी व्रतः- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।
3. गोवर्धन पूजाः- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति
होती है।
4. गोत्रि-रात्र व्रतः- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती
है।
5. गोपाअष्टमीः- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है।
6. पयोव्रतः- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान
प्राप्ति होती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें