मंगलवार, 6 जनवरी 2015

गऊ सेवा से ही समाज का कल्याण संभव- परमपूज्य श्री कृष्णानंद जी महराज

गऊ सेवा से ही समाज का कल्याण संभव- परमपूज्य श्री कृष्णानंद जी महराज

दियों से गोमाता का भारत वर्ष की पुण्यधरा पर विशिष्ट स्थान रहा है। प्राचीन भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती थी। गाय पृथ्वी पर जीवों के परम मंगल हेतु श्री हरि की अनुपम देन है। जिस घर में गाय की सेवा होती है उस परिवार के कलह-क्लेश व सभी प्रकार के वास्तुदोष दूर हो जाते है। ग्रह-नक्षत्रादि का अशुभ प्रभाव अपने ऊपर लेकर गोमाता अपने सेवकों को अभयदान देती है। धर्मग्रंथों में भी कहा गया है गावों विश्वस्थ मातर:- गाय विश्व की माता है। परंतु अफसोस आज हमारी मां को अनेकों दुर्दशाओं का सामना करना पड़ रहा है। तुम्हें मिले जो मांगों तुम उसको मिलती मौत। शायद इसी पीड़ा ने युगद्रष्टा संत गोकृपा मूर्ति परमपूज्य स्वामी कृष्णानंद जी महाराज जैसे समाज सेवी के अंतर्मन को झकझोर कर रख दिया। आज पूज्य महाराज जी गोवंश की रक्षा हेतु पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध हैं।
परमपूज्य स्वामी कृष्णानंद जी महाराज का मानना है कि कामधेनु स्वरूप गोवंश साक्षात् कल्पतरू है। प्राकृतिक विज्ञान के अनुसार एक गाय अनेक प्राणियों का पोषण करने में सक्षम है। गऊ के दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर से प्राप्त पंचगव्य औषधियां मानव केलिए बहुमूल्य वरदान हैं। दुर्भाग्यवश माता स्वरूप गाय आज गली-गली भटक रही है। भूख से व्याकुल गाय गंदगी और प्लास्टिक खाने पर मजबूर है। कसाई घरों में नित्य गोवध होने के कारण देश का अमूल्य गोवंश दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। गऊ द्वारा प्रद्त्त, दुग्ध-पदार्थ, औषधियां व अन्य लाभ किसी जाति विशेष के लिए ही लाभकारी नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व के लिए अमूल्य निधि हैं। अत: हमें जाति-पाति, धर्म, वर्ग की सीमा से उठकर गोसंरक्षण, गोसंवर्धन व गोशालाओं का विकास करना चाहिए। गो सेवा मिशन गोसेवा जागृति को समर्पित एक प्रयास है जो आपके सद्सहयोग से ही पूर्ण होगा। गाय हमारी माता है, जन्म-जन्म का नाता है हम इसकी सेवा व रक्षा करेंगे। भारत में विभिन्न दार्शनिक विचारों वाले अनेक संत हुए है, जिनके चलाए पथों की परंपराओं और मान्यताओं में अनेक विविध ताएं हैं। परंतु गाय के महत्व, गोसेवा और गोरक्षा के विषय पर सभी एक हैं। सभी ने गऊ सेवा को अमोघ फलदायी बताया है।
गोहत्या के महापाप से देश को बचाएं- गोहत्या महापाप है। इसके कारण ही आजदेश में हिंसा, आतंकवाद, भूकंप, बाढ़ बेरोजगारी आदि का महाप्रकोप हो रहा है। हमारे देश में गोहत्या पर तुरंत पाबंदी लगनी चाहिए और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उस वचन को सत्य करना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत देश के आजाद होते ही गोहत्या बंद होगी। देश के सभी राजनीतिक नेतागण एवं संपूर्ण देशवासी अपनी अंतरात्मा की आवाज को पहचाने और शीघ्र ही गोहत्या बंद करवाने के लिए संघर्ष करें। गोहत्या बंद होने से देश का परमहित होगा।
गोवंश रक्षा हेतु हम सामान्य-
जन क्या कर सकते हैं?-
1 घर में कम-से-कम एक गाय को पाले। संभव न हो तो गोशाला की कम-से-कम एक गाय के पालन-पोषण का खर्च वहन करें।
2 पंचगव्य निर्मित स्वस्त व लाभप्रद मंजन, जैसे उत्पादों का ही उपयोग करें।
3 घर में गाय के ही दूध, दही, तक्र घृत का उपयोग करें।
4 बीमारियों में स्वस्त, सुलभ अपायहित पंचगव्य औषधियों का ही उपयोग करें।
5 समय-समय पर मित्र-परिवार सहित गोशाला में भेंट दे तथा गोरक्षा हेतु होने वाले आंदोलनों में सक्रीय सहयोग दें।
6 लाखों गोवंश के मृत्यु का कारण बनी प्लास्टिक थैलियां का उपयोग न करें।
7 चांदी के वर्क लगी मिठाइयों का विरोध करें।
8 गोवंश हत्या से प्रेरित हिंसक उत्पादों को जान लें तथा इस विषय में जनजागरण करें जैसे चमड़े से बने जूते-चप्पल, चांदी के वर्क, कोट, पर्स सूटकेस, बिस्तर बंद, बेल्ट, गलीचा, फर्नीचर कवर, ढोलक, वाद्ययंत्र, किक्रेट बॉल, फुटबॉल, मूर्तियां, टोपी, हाथपोस, बेबीसूट, गोमास व चरबी से बने नकली घी, बेकरी उत्पाद, आईस्क्रीम, चॉकलेट, टूथपेस्ट व पाउडर, कुछ साबुन, कोल्डक्रीम, वैनीशिंग क्रीम, लिपस्टिक, परफ्युम, नेलपॉलिश, डाई, लोशन, शैंपू, सिंथेटिक दूध, खिलौने इत्यादी।
9 आजकल पनीर में गायके बछड़े से प्राप्त रेनेट का उपयोग होता है। ऐसे पनीर का विरोध करें।
10 जैविक कृषि से प्राप्त खाद्यान्न का ही उपयोग करें।
11 विपत्ति में पड़े और कत्तलखानों में जा रहे गोवंश को छुड़ाने में सहयोग करें।
गो-ग्रास का महत्व-
हम भारतीयों की गो-ग्रास देने की प्राचीन परंपरा जो दिन-प्रतिदिन लुप्त होती जा रही है, इसको पुन: स्थापित एवं व्यापक करने के उद्देश्य से जनसाधारण को गो-ग्रास के लिए प्रेरित करना जरूरी है। गाय कगो श्रद्धा-भक्ति पूर्वक दिया गया खाद्य पदार्थ, मिष्ठान, रोटी आदि गो-ग्रास कहलाता है।

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