बुधवार, 29 जुलाई 2015
आओ गाय से प्रेम करे... आज की आवश्यकता गोपालन-गोसंरक्षण
गो माताओं को घास (गो त्रृण दान)करते हैं उसका महात्म आप गो भक्तो के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूँ
आदरणीय गो भक्त मित्रों गो माताओं को घास (गो त्रृण दान)करते हैं उसका महात्म आप गो भक्तो के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूँ --
!!गो माता को चारा प्रदान करने की महिमा !!
घासमुष्टिं परगवे दद्यात् संवत्सरं तु यः!
अकृत्वा स्वयमाहारं व्रतं तत् सार्वकामिकम् !! (महाभारत अनु.69/12)
अर्थात- जो एक वर्ष तक प्रतिदिन स्वयं भोजन से पहले दूसरे की गाय को एक मुट्ठी घास खिलता है, उसका वह व्रत संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है ।
तृणोदकादिसंयुक्
सोऽश्मेधसमं पुण्यं लभते नात्र संशयः ! (बृहत्पाराशरस्म
अर्थात- जो गौओं को प्रतिदिन जल और तृणसहित भोजन प्रदान करता है, उसे अश्वमेधयज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है, इसमें किंचिन्मात्र भी संदेह नहीं है ।
तीर्थस्थानेषु यत्पुण्यं यत्पुण्यं विप्रभोजने!
सर्वव्रतोपवासेष
यत्पुण्यं च महादाने यत्पुण्यं हरिसेवने!
भुवः पर्यटने यत्तु वेदवाक्येषु सर्वदा!!
यत्पुण्यं सर्वयज्ञेषु दीक्षया च लभेन्नरः!
तत्पुण्यं लभते सद्यो गोभ्यो दत्वा तृणानि च !!
तीर्थस्थानों में जाने से, ब्राह्मणों को भोजन कराने से जो पुण्य प्राप्त होता है,सभी व्रत- उपवासों एवं तपस्याओं में जो पुण्य है, महादान करने में जो पुण्यं है, श्रीहरि के पूजन मेँ जो पुण्य है, वेदवाक्यों के पठन-पाठन में जो पुण्य है और समस्त यज्ञों की दीक्षा ग्रहण करने में जो पुण्य है, वे सभी पुण्य मनुष्य को केवल गायों को तृण(घास)खिलानेम
शुक्रवार, 24 जुलाई 2015
गौ सेवा का महत्व
शनिवार, 18 जुलाई 2015
कुछ मित्र हमें ईद की मुबारकबाद दे रहे हैं.
"आज ईद है"
कुछ मित्र हमें ईद की मुबारकबाद दे रहे हैं. कृपया करके हमें कोई भी व्यक्ति यह मुबारकबाद देने का कष्ट ना करे.
हम एक गौ सेवक हैं. सिर्फ़ सनातन धर्म को मानते हैं,अपने देवी देवताओं को और आदि शक्ति को मानते हैं. और गौ सेवा भी सनातन धर्म का ही एक महत्वपूर्ण भाग है.
हमारे शास्त्रों में या किसी भी पौराणिक कथा में इस "ईद" नामक त्योहार का कोई वर्णन नहीं मिलता है और ना ही यह त्योहार हमारे किसी देवी देवता को समर्पित है.
तब हम इसे क्यूँ मनाएँ? और क्यूँ बधाई लें.
जिसको बुरा लगा हो वो हमें मित्र मानना बंद कर सकता है. हमें कोई आपत्ति नहीं होगी.
आपको यह त्योहार मनाना हो तो मनाइए हमें आपत्ति नहीं है.
अगर किसी मित्र को भाई चारे पर भाषण देना हो तो पहले ईद मानने वाले वर्ग से कहिए की वो नवरात्रि भी मनाएँ और भाई चारे को मजबूत करें. आपको जो जवाब वहाँ से प्राप्त होगा वह आपकी खुजली आसानी से मिटा देगा.
जय श्री राम..
बुधवार, 15 जुलाई 2015
गाय और भैंस की तुलना
गाय
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भैंस
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गाय के दूध, घी, छाछ, गोमूत्र व गोबर के 100 से भी अधिक गुण हैं और ये 150 से भी अधिक रोग मिटाते हैं।
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भैंस के दूध, घी, छाछ के अनेक अवगुण हैं।
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गाय के दूध-घी में रोग-प्रतिकारक शक्ति, बुद्धि-शक्ति, ओज-तेज बढ़ाने वाले सुवर्णक्षार व सेरिब्रोसाइड तत्त्व हैं।
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भैंस के दूध में ये तत्त्व नहीं हैं।
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गोमूत्र पृथ्वी की श्रेष्ठ संजीवनी (औषधि) है। अनेक रोगों की एक दवा माने ʹगोमूत्रʹ।
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भैंस के मूत्र का कोई प्रचलित उपचार नहीं है।
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गाय के दूध-घी में आँखों की रोशनी बढ़ाने वाला, अंधत्व मिटाने वाला केरोटिन व विटामिन ए भरपूर है।
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भैंस के दूध-घी में ये पोषक तत्त्व नहीं हैं।
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आयुर्वेद के ग्रंथों, विज्ञान व मानव-समाज के अभ्यास के आधार पर गाय का दूध वात, पित्त हरने वाला है।
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आयुर्वेद एवं मानव-समाज के अभ्यास के आधार पर भैंस का दूध कफ बढ़ाने वाला है। भैंस का दूध-घी पचने में भारी तथा बालक, प्रसूता, वृद्ध व बीमारों के लिए अहितकर। इसका दूध हृदयरोग करने वाला तथा कोलेस्ट्रॉल, चर्बी, जड़ता व आलस्य बढ़ाने वाला है।
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गाय का दूध-घी शरीर के भीतरी रोग जैसे – हृदयरोग, डायबिटीज, दुर्बलता, वृद्धत्व, श्वास, वात, आँखों की कमजोरी, जातीय दुर्बलता, मानसिक रोगों को मिटाने वाला है।
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भैंस का दूध-घी शरीर के भीतरी रोगों को उत्पन्न करता है।
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गाय के दूध की मात्रा बारह मास समतोल रहती है।
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भैंस गर्मी में कम दूध देती है अथवा सूख जाती है।
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गाय की छाछ अति स्वादिष्ट होती है तथा यह संग्रहणी रोग को मिटाने वाला अमृत है।
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भैंस की छाछ फीकी, कफ बढ़ाने वाली व पचने में भारी होती है।
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गाय का दूध-घी महँगा मिले तो भी सेवन करना चाहिए।
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भैंस का दूध-घी सस्ता मिले तो भी सेवन नहीं करना चाहिए।
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गाय अपने पालक को अनन्य प्रेम, मैत्री, करूणा व प्रसन्नता प्रदान करती है।
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भैंस में यह सब देने की क्षमता नहीं है।
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गाय पालक की प्रायः सारी आज्ञाओं का पालन करती है।
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भैंस में ऐसी बुद्धि ही नहीं होती।
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इस्लाम और गाय
इस्लाम और गाय
“नुसरत हदो”
“कुरान सरीफ़ १६-६६”
“मौलाना हयात साहब खानखाना हाली समद साहब”
गाय व उससे प्राप्त पदार्थों की महत्ता
गाय व उससे प्राप्त पदार्थों की महत्ता
गाय ही श्रेष्ठ क्यों
गाय ही श्रेष्ठ क्यों
सोमवार, 13 जुलाई 2015
सब समस्याओ का क्या समाधान है ? समाधान एक ही है, जवाब एक ही है वो है- हमारी गौमाता।
आज हम अपने घर में सुख-शांति, आनंद का वातावरण चाहते है। हम चाहते है की हमारे बच्चे संस्कारवान बने और विद्वान बनकर अपने कुल का और अपने देश का नाम रोशन करे। लेकिन हो रहा इसके विपरीत है ऐसा क्यों हो रहा ? क्यों आज देश के बच्चे गलत रास्ते में जा रहे है ? क्यों आज घर-घर में अशांति-कलेश, दुःख-आभाव का वातावरण है ? क्यों आज हर घर में कोई न कोई एक रोगी और व्यसनी है ? क्यों आज देश में भ्रष्ट्राचार, अशांति, भय, बेमानी, आतंकवाद, भुखमरी, गरीबी, आभाव का वातावरण है ? क्यों आज हम अपने-अपने धर्म से भिमुख हो रहे है ? क्या आपने सोचा है इन सभी प्रशनो का क्या जवाब है ? इन सब समस्याओ का क्या समाधान है ? समाधान एक ही है, जवाब एक ही है वो है- हमारी गौमाता। और अधिक जानने हेतु देखिए सोम से शुक्रवार तक पूज्य श्री गोपाल मणि जी महाराज जी के पावन सानिध्य में गौकथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे सिर्फ आस्था चेन्नल में और जानिये की कैसे हमारी गौमाता के कृपा प्रताप से घर-परिवार, राष्ट्र और समूचा विश्व सुख-शांति, आनंद, समृद्धि के वातावरण के साथ जी सकता है, अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे - 0135 2532183, 09412968738 |