84 लाख योनियों के बाद :
शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार कुछ पशु-पक्षी ऐसे हैं, जो आत्मा की विकास यात्रा के अंतिम पड़ाव पर होते हैं। उनमें से गाय भी एक है। इसके बाद उस आत्मा को मनुष्य योनि में आना ही होता है। हम जितनी भी गाएं देखते हैं, ये 84 लाख योनियों के विकास क्रम में आकर अब अपने अंतिम पड़ाव में विश्राम कर रही हैं। गाय की योनि में होने का अर्थ है- विश्राम, शांति और प्रार्थना।
आप गौर से किसी गाय या बैल की आंखों में देखिए, तो आपको उसकी निर्दोषता अलग ही नजर आएगी। आपको उसमें देवी या देवता के होने का आभास होगा। यदि कोई व्यक्ति गाय का मांस खाता है तो यह निश्चित जान लें कि उसे रेंगने वालों कीड़ों की योनि में जन्म लेना ही होगा। यह शास्त्रोक्त तथ्य है। यदि कुछ या ज्यादा लोग ऐसा पाप करते हैं तो उन्हें फिर से 84 लाख योनियों के क्रम-विकास में यात्रा करना होगी जिसके चलते नई आत्माओं को मनुष्य योनि में आने का मौका मिलता रहता है। मानव योनि बड़ी मुश्किल से मिलती है। बहुत वेटिंग है।
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