-- गावो विश्वस्य मातरः भाग 2--
वही से दूध आ रहा है तब यह शंका हो सकती है जब मूल में स्टॉक दूध का क्षीरसागर में है और वही से परमात्मा की अचिन्त्य शक्ति से सभी माताओं में दूध आ रहा है चाहे वो नारिया हो चाहे वो बकरी हो भेड़ हो भैस हो.तो सब दूध गाय का ही हुआ.
फिर ये क्यों कहा जाता है की भारतीय देसी गाय का ही दूध पीना चाहिए.
..इसका समाधान है पात्र के भेद से वस्तु का भेद हो जाता है .वस्तु वही है पर अशुद्ध पात्र में रख दी जाए तो भेद हो जायेगा.
जैसे खटाई वाले बर्तन में दूध धरो तो वो फट जायेगा या दही हो जायेगा.सुरभि गौ माता का दूध जो उनकी वंशज भारतीय गौ माताए है उनमे जब उतरता है तो साक्षात सुरभि माता कामधेनु माता का होता है और जब वो ,भेड़ बकरी या भैस या जर्सी के भीतर चला जाता है तो उस पात्र की अशुद्धि के कारण वह दुग्ध भी अग्रहण हो जाता है।
महाभारत में जैमिनी अश्वमेध पर्व में लिखा है की राजा जल्लादों को किसी के वध की आज्ञा देता तो उन जल्लादों को उनके फासी देने के बाद पुरस्कार के रूप में भैस देता था .अब ये विचारणीय बात है की ऐसी दुष्ट प्रकृति के लोगो को भैस दी जाती थी.
महाभारत में एक जगह लिखा है -"महिषा च सुरा इति"-
असुरांश से महिष उत्पन्न हुआ है इसलिए भैस का दूध ,दही,घी कोई पहलवान खाए पर देवता के लिए ग्राह नहीं है यज्ञ के लिए उपयुक्त नहीं है,पितरो के लिए भी वो ग्राह नहीं है ,ऋषियों के लिए भी वो ग्राह नहीं है.क्योकि उसमे तमोगुण का अंश अधिक है.शुद्ध सात्विक दुग्ध है भारतीय देसी गाय का उसी का दूध हम सबको पीना चाहिए.
#जयश्रीसीताराम
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