देसी गौ माता के गौबर से धरती लिपने का प्रभाव
अगर कोई अंत समय जो मृत्यु के निकट हो, बिमार हों तो उन्हे पलंग पर नहि रखना चाहिये...
उन्हे तुरंत धरती पर लेटाना चाहिये.
आम तौर पर मरने के बाद ये क्रियांयें देखने को मिलती है वे भी तब,, जब पंडित जी बताते हैँ..
लेकिन मृत्यु से पहले क्या करना चाहिये ताकि मरने वाले की सदगति हो या उसको कष्ट कम हो...
क्योकिं शास्त्रों पूराणों मे वर्णन है की अगर देसी गौ माता के गौबर से भूमी लेपन किया जाये उसपे काले तिल डाले जायें ,दूर्वा रखी जाये फिर उसपे बिमार अंत समय की घङी गिन रहे व्यक्ति को लिटाया जाये
मुख में तुलसी पत्र, गंगा जल आदि पवित्र सामग्री का प्रयोग करें
तो मरने वाले को यमदूत सपर्श नहि करते और न हि मरने वाले को नर्क जाना पङता है...
वैसे तो कर्मों का फल जरुर मिलता ही है लेकिन ये सब भी ऐक कर्म ही है इसका फल भी जरुर मिलेगा...
हवन, यज्ञ से पहले भी गौबर का ही लेपन किया जाता है इसकी बङी महिमा है तभी हमारे धर्म में ये बार बाक बताया गया है..
बाकी संसकार सही से नहि हुये लेकिन अब तो अंतिम बार है तो विधि पूर्वक करें
अब तो मरने वाला भी कोई विरोध न करेगा..
और गौ माता के गौबर की महिमा तो वेद भी गाते है।
खास बात ये है कि यह क्रिया शास्त्र सनातन धर्म को मानने वाले जरुर करते थे करते है और करेंगे।
क्योकिं अग्नि का प्रभाव जहाँ होता है धूआं भी वही ही होता है
सनातन धर्म के प्रतिएक कार्य में बहुत उच्च कोटि का विज्ञान समाया है...
गौ माता की महिमा अपार है..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें