मंगलवार, 24 जुलाई 2018

गौहत्यारे_का_काम_तमाम! यही_है_वेद_का_विधान!

#गौहत्यारे_का_काम_तमाम!
#यही_है_वेद_का_विधान!

यः पौरुषेयेण क्रविषा समङ्क्ते यो अश्व्येन पशुना यातुधानः।
यो अघ्न्याया भरति क्षीरमग्ने तेषां शीर्षाणि हरसापि वृश्च।।
- अथर्ववेद 8.3.15/ ऋग्वेद 10.87.16
जो मनुष्य, घोड़े या अन्य पशुओं जैसे गाय के मांस को खाता है तथा दूध देने वाली कभी न मारने योग्य अघ्न्या गायों के दूध को हर लेता है और प्राणियों को उसके दूध से वंचित करता है, राजा तलवार के तेज प्रहार से उनके सरों को काट दे।

यदि नो गां हंसि यद्यश्वं यदि पुरुषम्।
त्वं त्वा सीसेन विध्यामो यथा नो असो अवीरहा।।
- अथर्ववेद 1.16.4
हे शत्रु! जो तू हमारी गाय को मारेगा, घोड़े को मारेगा और मनुष्य को मारेगा तो हम तुझे सीसे की गोलियों से ही बेध देंगे ताकि तू हमारे वीरों को न मार पाए।

अक्षराजाय कितवं कृतायादिनवदर्शं त्रेतायै कल्पिनं द्वापरायाधिकल्पिनमास्कन्दाय स्भास्थाणुम् मृत्यवे गोव्यच्छमन्तकाय गोघातं क्षुधे यो गां विकृन्तन्तं भिक्षमाणउप तिष्ठति दुष्कृताय चरकाचार्यं पाप्मने सैलगम।
- यजुर्वेद 30.18
राजा जुआरियों के बीच चतुर पुरुष को नियुक्त करे। राष्ट्र के करों को कार्य व्यवस्था के लिए लेने के लिए मुख्य पदाधिकारी को नियुक्त करे। गौ आदि कल्याणकारी पशुओं पर कष्टदायी चेष्टा करने वाले को मृत्युदंड दे दो। गौ को मारने वाले पुरुष को अंत कर देने वाले जल्लाद के हाथ सौंप दो। जो अन्न की भीख मांगता हुआ प्रजाजन उपस्थित हो तो उसकी भूख की निवृत्ति के लिए कृषक को नियुक्त करो। भोज्य पदार्थों के उपर आचार्य को नियुक्त करो जो पुष्टिकारक भोजन का उपदेश करे। पाप कार्य को रोकने के लिए दुष्ट पुरुषों के संतानों, शिष्यों तथा साथियों को भी दण्डित करो।

#अन्तकाय_गौघातं
जय गौ माता

मंगलवार, 10 जुलाई 2018

मांस उद्योग के कारण आने वाली प्राकृतिक आपदाएं:

मांस उद्योग के कारण आने वाली प्राकृतिक आपदाएं:

जानवरो की जब हत्या कि जाती हैं तो बहुत क्रूरता और बर्बरता से कि जाती हैं ।उनको तड़प तड़प कर मरने के लिए मजबूर किया जाता है ।जो बड़े जानवर है जैसे कि गाय ,बैल ,भैंस आदि ।जैसे पहले तो उनको भूखा रखा जाता है और बार बार भूखा रख कर उनके शरीर को कमजोर किया जाता है ।फिर उनके ऊपर गरम पानी (70 से 100डिग्री सेंटीग्रेड, centigrade ) की बौछार डाली जाती हैं
,जिससे उनका शरीर फूलना सुरू हो जाता है ।उसमे सूजन आना सुरु हो जाती हैं ।जब उनका शरीर पूरी तरह से फूल जाता है तो जीवित स्तिथि में उनके खाल को उतारा जाता है ।यह दृश्य बहुत ही भयानक होता है । जानवरो को काटना सब के बस की बात नहीं।दुनिया में गिने चुने लोग ही जानवरो को काटते होगे क्योंकि किसी के प्राण लेना सब के बस में नहीं होता है। जानवरों के काटने के समय जो खून निकलता है उसे इकट्ठा किया जाता है ।फिर गर्दन पर एक तरफ से छोटा सा कट लगाया जाता है जिसमें से बहुत तेज़ी से खून निकलता है ।परन्तु उसको पूरी तरह से मारा नहीं जाता।(दुनिया में जितने भी कुदरत के विधान से मांसाहारी जीव या जानवर है वे सभी जीव मांस के साथ रक्त भी खा लेते हैं या सेवन कर लेते है ।परन्तु मनुष्य इकलौता ऐसा जीव है जो जानवरो का सिर्फ मांस खाता है और रक्त को वहा देता है । मनुष्य जितने भी जानवरो को मार कर खाता है जैसे कि गाय,भैंस,बकरी,भेड़ आदि जानवर, वे सभी जानवर भी अपना शरीर  केवल घास पात खा कर ही बनाते हैं।)उस समय तक जानवर खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहे होते हैं । धीरे धीरे स्पंदन हार्ट बीट कम होने लगते है और जानवर मर जाते है।तब उस जानवर की पूरी गर्दन काटी जाती हैं ।फिर उनके पाव पैर अलग से काटे जाते हैं ।फिर शरीर का एक एक अंग अलग से निकाला जाता है ।अंदर की अंतड़ियों को अलग से निकाला जाता है ।बड़ी आंत , छोटी आंत(small and large intestine) को खीच कर निकाला जाता है । जानवरों को इस क्रूरतम और बर्बर तरीके से मारने को मुस्लिम लोग हलाल पद्धति कहते है  ।अक्सर ये देखा गया है कि गाय , भैंस,बैल ,मुर्गी जैसे जानवरो की गर्दन पर जब कट लगाया जाता है ,तो वो जिंदा रहने के लिए बहुत चीखते और चिल्लाते है और उनके शरीर में कुछ परिवर्तन होने लगते है ।उन जानवरो का मांस फिर विषाक्त (poisonous)होने लगता है और उन जानवरो का विषाक्त मांस खाने से कैंसर की संभावना बढ़ जाती हैं ।कोई भी जीव मरना नहीं चाहता।जब किसी मनुष्य में इतनी शक्ति नहीं है कि किसी को जीवन दे सके तो फिर किसी  जीव के प्राण लेने का हक आपको किसने दिया???जैसे कि अगर कोई व्यक्ति आप पर हमला करे और आपको मार डालने की कोशिश करें ,तो आपके शरीर में कुछ खास तरह के परिवर्तन होंग। जैसेआपके शरीर से निकलने वाले stress hormones की मात्रा बढ़ जाएगी ।जैसे आपके दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं ।आपके पैरों के तलवे और हाथो कि हथेलियों में पसीना आने लगता है ।आपका रक्त चाप( blood प्रेशर) बहुत तेज़ी से बढ़ने लगता है ।इस तरह जब जानवरो की हत्या की जाती हैं ,तो उनके शरीर में भी कुछ परिवर्तन आते होगे ।जानवरो की चिखे पूरे वातावरण को तरंगित और कम्पायमान (vibrate) कर देती हैं और ये तरंगे( शॉक waves )वातावरण में ही घूमती रहती है ।इसका पूरे वातावरण और अन्य मनुष्यो पर भी बहुत नकारात्मक (negative effects ) प्रभाव पड़ता हैं।और यह नकारात्मक प्रभाव जब ज्यादा बढ़ने लगता है तो लोगो में हिंसा और क्रूरता की प्रवृति भी बढ़ने लगती हैं ।और इस हिंसा और नकारात्मकता से सारी दुनिया मै अत्याचार ,अहंकार और पाप बढ़ रहा है ।
दिल्ली विश्वविद्यालय में 3 प्रोफेसर है जिन्होंने बीस साल जानवरो पर रिसर्च और अध्ययन किया है।उन प्रोफेसरों   के नाम है Dr मदन मोहन बजाज ,Dr.मोहम्मद sayyid मोहम्मद इब्राहिम ,और डाक्टर विजय राज सिंह ।उनकी physics की रिसर्च कहती हैं कि जानवरो को जितना अधिक कतल किया जाएगा , जानवरो पर जितनी हिंसा की जाएगी , उतना ही अधिक दुनिया में भूकंप आयेगे।उन्होंने काम किया कि दुनिया में और भारत में जहां जहा पर  जानवरो और पशुओं को मारने के कतल खाने है ।उन्होंने वहा रह कर देखा ।जानवरो से निकलने वाली( शॉक वेवस ) shock waves  और stress हार्मोन्स को absorb किया ।और उनको नापा ,तौला और उनका अध्ययन किया।उन्होंने पाया कि ज्यादा से ज्यादा दुनिया में जो प्राकृतिक आपदाएं ,भूकंप ,सुनामी , हिमस्खलन आदि जो अा रहे है ,वे सिर्फ उन्हीं इलाकों में अा रहे है जहां जानवरो को निर्ममता से कतल किया जा रहा है।उन्होंने यह पाया  कि ज्यादा से ज्यादा दुनिया में जो प्राकृतिक आपदाएं हो रही हैं ,उनका एक बड़ा कारण है कतलखाने और उनसे निकलने वाली जानवरो की चीख पुकार ।

नोट :दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों में से एक sir albert einstein के नाम पर ही इस shock waves का नाम" einstein pain wave theory" दिया गया है ।अल्बर्ट आइंस्टीन ने आज से सौ वर्ष पहले यह सिद्ध कर दिया था कि भूकंप आने का प्रमुख कारण जानवरो को मारे जाते वक़्त उनके शरीर से निकलने वाली चीख पुकार ही है।जैसे किसी पत्थर के छोटे से टुकड़े को समुद्र में फेकने से सारा जल कम्पायमान और तरांगित हो जाती हैं ,वैसे ही जानवरो को बेदर्दी ,निर्ममता और क्रूरता से कतल करने पर उनसे निकलने वाली चीख पुकारे पूरे वातावरण को तरांगीत और कम्पायमान कर देती हैं।आपको बता दें कि sir Albert Einstein अमेरिकी होते हुए भी शाकाहारी थे।दुनिया के प्रसिद्ध कवि और लेखक George bernard shaw भी विशुद्ध शाकाहारी थे।
लेखक:राजीव दिक्षित ।

Save animals,save planet Earth the mother earth on which we live!!!

Ocean of mercy for the cow एंड like animals!!!

सोमवार, 9 जुलाई 2018

गोचर-भूमि छोड़ने की महिमा

                   गोचर-भूमि छोड़ने की महिमा
गोप्रचारं यथाशक्ति यो वै त्यजति हेतुना।
दिने दिने ब्रह्मभोज्यं पुण्यं तस्य शताधिकम्।।
तस्माद् गवां प्रचारं तू मुक् त्वा स्वर्गात्र हीयते।
यश्छिनत्ति द्रुम पुण्यं गोप्रचारं छिनत्यपि।।
तस्यैकविंशपुरुषाः पच्यन्ते रौरवेषु च।
गोचारध्नं ग्रामगोपः शक्ति ज्ञात्वा तू दण्डयेत्।।
                       (पद्मपुराण,सृष्टि० ५१।३८-४०)
'जो मनुष्य गौओं के लिए यथाशक्ति गोचरभुमि छोड़ता है, उसको प्रतिदिन सौसे अधिक ब्राह्मण भोजनका पुण्य प्राप्त होता है। गोचर भूमि छोड़नेवाला कोई भी मनुष्य स्वर्ग भ्रष्ट नहीं होता। जो मनुष्य गोचरभूमि रोक लेता है और पवित्र वृक्षों को काट डालता है। उसकी इक्कीस पीढ़ी रौरव नरक में  गिरती है। जो व्यक्ति गौओंके चरने में बाधा देता है, समर्थ ग्रामरक्षक को चाहिए कि उसे दण्ड दे। '