प्रश्न - गौ पालन पर आने वाले खर्च को आम व्यक्ति नहीं उठा सकता। और गो को जीवित रख कर कोई "लाभ" नही है अतः गो वध जायज़ है।
उत्तर - हम सरकार चुनते ही इसलिए है कि वो इस प्रकार का खर्च करे। जैसे सड़क निर्माण। चलती जनता है पर निर्माण सरकार कराती है।
मूल बात ये है यहाँ पर कि हमें गाय पालन में विकास नहीं दिख रहा है जबकि सड़क निर्माण में विकास दीखता है।
ऐसा क्यों?
ऐसा ज्यादातर उन लोगो को लगता है जो ज्यादा भौतिकवादी होते है या संसार को केवल स्थूल दृष्टी से देखते है।
ऐसे लोगों की निगाह में किसान केवल एक मजदूर होता है जबकि वास्तव में वो सृजनकर्ता है। इंजीनियर होता है किसान।
बाकि भैंसे का दूध पिने वालो को ये बात समझ आनी कठिन है।
अब जरा ये समझे।
एक गाय अपने जीवन में जितना खाती है उससे ज्यादा का गोबर और मूत्र देती है। गाय के गोबर और मूत्र को शोधन करके अनेक प्रकार के लाभ मिल सकते है। ये विज्ञान द्वारा सिद्ध है।
भारत सरकार जितने मूल्य का खाद/यूरिया खरीदती है उतने का खर्च बच सकता है। यदि सरकार देसी खाद बनवाये गाय के गोबर और मूत्र से। और कोई भी गाय अपने पुरे जीवन में गोबर और मूत्र देती ही रहती है।
दूध का मूल्य तो अलग है ही।
दूध का मूल्य तो अलग है ही।
ये बात भी प्रमाणित है कि देसी खाद से अन्न की पौष्टिकता ज्यादा होती है। लबे समय प्रयोग से हमारी जीवन शक्ति बढ़ती है। हम कम बीमार पढ़ेंगे तो दवाई कम खायेगे। और सीधे सीधे विदेशी कंपनियो को देने वाली लागत बचेगी। ये भी लाभ है।
एक और लाभ बताता हु।
लंबे समय तक यूरिया इस्तेमाल करने से ज़मीन की उर्वरकता खत्म हो जाती है। और वो जमींन बंजर हो जाती है। देश में ज्यादा बंजर ज़मीन होने पर खेती कम हो पाती है। फिर सरकार को अन्न की कमी को पूरा करने ले लिए अन्न को आयात करना पड़ता है। और अपना धन खर्च करना पड़ता है।
अगर हम देशी खाद इस्तेमाल करे तो जमीन बंजर नहीं होगी और फिर अन्न की कमी नहीं होगी और फिर हमें अपनी जमा पूंजी विदेशियो को नहीं देनी पड़ेगी। ये भी लाभ ही है।
अतः गौ पालन हमारी और देश की आवश्यकता है।
जय राम जी की
जय राम जी की
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