श्री आनंद वन परिसर, गोधाम पथमेड़ा के गौसेवा सदन(गोष्ठ) के आवश्यक तत्व :-
1. गोष्ठ की साइज - 3 से 4 बीघा।
2. गोष्ठ में गोवंश की संख्या - 100 से 125
3. गोवंश का वर्गीकरण - प्रत्येक गोष्ठ में एक ही प्रकार का, एक ही उम्र का गोवंश रखा जाता है। नर व मादा गोवंश अलग अलग, बीमार, विकलांग, सूरदास, कमजोर, बूढ़ा, वत्स, गर्भवती, दूधारू, 1 वर्ष से कम, 1 से 2 वर्ष का, 2 वर्ष से 3 वर्ष का आदि आदि कई प्रकार से वर्गीकृत करके जगोवंश को अलग अलग गोष्ठ में रखा जाता है।
4 . गोष्ठ की दीवार - प्रत्येक गोष्ठ को पक्की दीवार या लोहे की जाली लगी हुई है।
5. मुख्य गोष्ठ के अंदर छोटा गोष्ठ - प्रत्येक गोष्ठ के अंदर एक कोने में एक छोटा गोष्ठ होता है। जब चारा, दा ला या पोष्टिक आहार आदि देना होता है या सफाई करनी हो तो सभी गोवंश को उस छोटे गोष्ठ में भेजकर गेट बंद कर देते हैं। फिर कार्य पूर्ण होने पर सबको बड़े गोष्ठ में आने दिया जाता है।
6. गोष्ठ का प्रवेश द्वार - प्रत्येक गोष्ठ के एक बड़ा दरवाजा लगा होता है जिसमें बैलगाड़ी, ट्रैक्टर, बड़ी गाड़ी अंदर अा सके। ग्वालों व अन्य लोगों के आने जाने के लिए बड़े द्वार में एक छोटा दरवाजा लगा रहता है।
7. ग्वाला - प्रत्येक गोष्ठ में आवश्यकतानुसार कम से कम एक ग्वाला परिवार होता है। दूधारू या बीमार गोवंश में अधिक भी ग्वाल होते हैं। 10 से 12 ग्वालों के ऊपर एक व्यवस्थापक होता है।
8. चारा की व्यवस्था करना - गोवंश को चारा देने हेतु बैलगाड़ी की व्यवस्था होती है। प्रत्येक गोष्ठ में एक बैलगाड़ी बेलों की जोड़ी सहित होती है। चारा परोसने के लिए लंबी नाद होती है या वृत्ताकार फर्में होते हैं। जिनकी प्रतिदिन नियमित सफाई होती है।
9. पानी की व्यवस्था - प्रत्येक गोष्ठ में एक होद या फर्मा पानी के लिए होता है जिसमें बड़े टैंक से पाइप द्वारा कनेक्शन किया होता है। 24 घंटे अनवरत पानी सप्लाई चालू रहती है। प्रत्येक पानी के होद में सप्ताह में एक बार चूने की पुताई की जाती है। जिससे जल एकदम स्वच्छ रहता है।
10. सेंधा नमक - प्रत्येक गोष्ठ में गोवंश के सेवन हेतु प्रर्याप्त मात्रा में सेंधा नमक रखा जाता है। गोमाता प्रेम से नमक चाटती रहती है जिससे पोषक लवणीय तत्वों की पूर्ति होती है।
11. सर्दी, गर्मी, बरसात से बचाव - हरेक गोष्ठ में कई छायादार जाल के वृक्ष हैं तथा एक बड़ा शेड बना होता है।
12. गोबर धन - प्रत्येक गोष्ठ में नियमित रूप से दिन में कई बार गोमय लिया जाकर एक बड़ी ढेरी बनाई जाती है। इसे बाद में सेंद्रिय खाद बनाने में काम लेते हैं या सीधा गोबर खाद के रूप में बेचा जाता है।
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