हम जिस क्षेत्र में रहते हैं, उस क्षेत्र में जिस नस्ल का गोवंश है, उसी का संरक्षण, संवर्धन, सेवा करें। अन्य क्षेत्र के गोवंश के रूप, दूध, स्वभाव आदि को देखकर अपने यहां के गोवंश की उपेक्षा कर उसका त्याग कर अन्य नस्ल के गोवंश को रखते हैं तो उचित नहीं हैं। क्योंकि प्रकृति ने क्षेत्र विषश के अनुरूप ही वहां सभी प्राणियों को व्यवस्थित किया हैं। स्थान विशेष का गोवंश वहां की भौगोलिक स्थिति से पूर्ण परिचित होता हैं, उसका चारा वहां उत्पन्न होने वाली फसल और घास होती हैं। उसका शरीर कद काठी सींग आदि वहां की धरती के अनुरूप होते हैं। जैसे हिमालय पहाड़ों की बद्री गोमाता छोटी पहाड़ों पर घूम फिरने योग्य, रंग की काली या गहरे रंग की, शरीर पर बाल ताकि ठंड से बचाव हो आदि लक्षणों से युक्त होती हैं, उसे अगर राजस्थान की गर्म जलवायु में रखेंगे तो उचित नहीं होगा, गोमाता कष्ट में रहेगी।
इसलिए समय आ गया हैं कि अपने क्षेत्र की गोमाता का संरक्षण करें, उसका संवर्धन कर उसकी नस्लों को उन्नत बनावे ताकि कुछ वर्ष बाद हमें उसी नस्ल से अनुरूप दूध भी मिलने लग जायेगा तथा नस्लें समाप्त भी नहीं होगी।
अपने घर में मां की उपेक्षा कर अन्य महिला के कपड़े, गहने, रूप अच्छा देखकर मां के स्थान पर घर में रख लेंगे तो क्या होगा? यही बात गोवंश की नस्लों के संबंध में हैं
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