जन सामान्य
आपके आचरण व व्यवहार से विश्व में राष्ट्र की छबि बनती हैं, आपके विचारों से, आपके कार्यों से राष्ट्र को परिचय मिलता है, आपकी कर्मठता व लगन से यह राष्ट्र प्रगतिपथ पर हैं, आप इस राष्ट्र के निर्माता है. आप ही के हाथों में इस राष्ट्र का वर्तमान व भविष्य सुरक्षित हैं। धर्म, अध्यात्म के प्रति आपके रुझान से ही यह राष्ट्र विश्व को संदेश दे रहा हैं, संस्कृति से आपके गहरे प्रेम के बदौलत ही आज विश्वपटल पर यह राष्ट्र अपना वजूद बचाने में सफल रहा हैं। आईये, गोवंश और मातृभूमि की करुण पुकार को सुने और कुछ अधोलिखित पुनीत कार्य कर इस संस्कृति का पोषण करें एवम् स्वास्थ्य, खाद्यान्न, प्रदूषण व उर्जा के संकटो से इस राष्ट्र को मुक्त कर एकबार फिर इसे अपना खोया वैभव व सम्मान दिलाकर विश्व का सिरमौर बनायें।
१. चूँकी गायों में समस्त देवी-देवताओं का वास होता हैं, इसलिये सदैव प्रातः उठकर गोदर्शन करें।
२. स्वास्थलाभ हेतु प्रतिदिन गोतीर्थ, गोदुग्ध गोमूत्रपान करना चाहिये।
3. गौओं का नाम-कीर्तन किये बिना न सोवे और प्रातः उनका स्मरण करके ही उठे शास्त्रानुसार इससे मनुष्य को बल एवं पुष्टि प्राप्त होती हैं।
४. अपने इहलोक व परलोक उध्दार हेतु गार्यो को गोग्रास प्रदान करने के पश्चात ही भोजन करें।
५. अपने समस्त दोष पापों के शमन व मनःशांति हेतु गायों के शरीर को खुजलायें, सहलायें।
६. संभव हो तो घर में कम से कम एक गाय अवश्य पालें, स्थान की कमी परंतु आर्थिक शक्ति हो तो गोशाला की कम से कम १ गाय के पालन- पोषण का खर्च वहन कर गोसेवा करें।
७. गोलोकप्राप्ति हेतु गोदान अवश्य करें ।
८. प्रतिदिन गोदानापात्र में कम से कम एक रुपया डालकर गोसेवा का पूण्य प्राप्त करें।
९. दैनिक जीवन की आवश्यकताओं में पंचगव्य निर्मित स्वस्त व लाभप्रद मंजन, टिकिया (साबुन), शॅम्पू, उबटन, धूप, मच्छर निरोधक अगरबती जैसे उत्पादों का ही उपयोग कर गौसंवर्धन कार्य में योगदान दें।
१०. घर में देशी गाय का दूध, दही, तक्र, घृत का ही उपयोग करें।
११. बीमारीयों में ऍलोपॅथी औषधियों की तुलना में स्वस्त सुलभ व अपायरहित होने के कारण पंचगव्य औषधियों का ही उपयोग करें।
१२. किसी न किसी गोशाला से जुड़कर अपनी शैक्षणिक व शारीरिक योग्यता के अनुसार गौरक्षा, गोसंवर्धन के कार्यों में हाथ बँटायें।
१३. १५ दिन या महिने में एक बार मित्र परिवार सहित गोशाला में श्रमदान अवश्य करें।
१४. गोरक्षा, गोसंवर्धन हेतु समय-समय पर होनेवाले आन्दोलनो में सक्रिय सहयोग दें।
१५. सर्वदेवमयी गोमाता का चित्र घर में अवश्य लगाना चाहीये।
१६. दैनंदिन पूजा-पाठ, भोग, हवन में देसी गाय से प्राप्त पंचगव्यों व उनसेप्राप्त उत्पादों का ही उपयोग करें।
१७. व्यक्तिगत गोशाला या समाज में जनजागरण कर सार्वजनिक गोशाला बनवायें: शास्त्रानुसार इससे सात कुल का उध्दार होता है।
१८. लाखों गोवंश के मृत्यु का कारण बनी प्लास्टिक थैलियों के उपयोग का विरोध व इस विषय में जनजागरण करें।
१९. विपत्ति में पड़े व कत्लखानों में जा रहे गोवंश को छुड़ाने में सहयोग करें: इससे अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता हैं।
२०. चाँदी के वर्क लगी मिठाइयों का विरोध करें।
२१. पीडित व रुग्ण गोवंश का औषधोपचार करें: इससे निरोगी देह का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
२२. शास्त्रानुसार ब्रम्ह हत्या के पाप से बचने के लिये भूख प्यास से व्याकुल गोवंश को भोजन जल ग्रहण करते समये, मल-मूत्र परित्याग करते समय बाधा पहुँचाकर उन्हें उद्विग्न न करें।
२३. जूता या खड़ाऊँ पहन कर गायों के बीच न जायें।
२४. अज्ञानता व अनभिज्ञता के कारण हम गोवंश हत्या से प्रेरित हिसंक उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं। जैसे खाल व चमड़े से बने जूते, चप्पल, चांदी वर्क, कोट, पर्स, सूटकेस, बिस्तरबंद, बेल्ट, गलीचा, फर्नीचर कवर, ढोलक, वाद्ययंत्र क्रिकेट बॉल, फुटबॉल, कलात्मक मूर्तियाँ, टोपी, हाथपोस, बेबीसूट, गोमांस व चर्बी से बने नकली घी, बेकरी उत्पाद, आईस्क्रीम, चॉकलेट, टुथपेस्ट व पावडर, कुछ साबुन, सौंदर्य प्रसाधन जैसे कोल्ड क्रीम, वेनेशिंग क्रीम, लिपिस्टीक, परफ्युम, नेलपॉलीश, डाई, लोशन, शॅम्पू, सिंथेटिक दूध, खिलौने इत्यादी सैकड़ों वस्तुओं के उपयोग का व बिक्री का विरोध करें तथा समाज में इस विषय पर जनजागरण करें।
२५. औषधियों के साहित्य में बोवाईन (Bovine) लिखे होने का मतलब औषधि में गोवंश के माँस का उपयोग समझना चाहिये। उदाहरणार्थ गोवंश के पॅनक्रिआज से प्राप्त इंसुलिन गाय के रक्त से बनी डेक्सोरेंज सीरप, जिलेटीनवाली कॅपसुल हड्डी से बनी Heamaccel औषधि (Hoechst Marion Roussel Co.) व कई कॅलशियम पूरक औषधियाँ ऐसी औषधियों के उपयोग, बिक्री का विरोध व इस विषय पर जन जागरण करें।
२६. आजकल बछड़ों के पॅनक्रीआज से प्राप्त रेनेट का उपयोग पनीर बनाने मे होता हैं, ऐसे पनीर के उपयोग, बिक्री का विरोध व इस विषय पर जनजागरण करें।
२७. पंचगव्य आधारित जैविक कृषि से उत्पन्न खाद्यान्नों के उपयोग पर बल देना चाहिये।
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