युवा शक्ति
'एक भारतीय आत्मा के नाम से विख्यात परमादरणीय माखनलाल चतुर्वेदी (दद्दा) ने अपनी एक ओजस्वी कविता में युवा शक्ति की अपने संकल्पों के प्रति दृढ़ रहने की प्रेरणा देते हुए कहा है :-
खून हो जाए न तेरा देख पानी।
मरण का त्यौहार जीवन की जवानी ।।
किसी भी राष्ट्र में किसी बड़े परिवर्तन की संकल्प शक्ति देश की युवा शक्ति में अन्तर्निहित होती है। युवा शक्ति की दृढ संकल्पना, प्रलयंकारी परिवर्तनों का द्योतक होती है। इसी परिप्रेक्ष्य में ऋषि भतृहरि का कथन है- "जिस प्रकार सूर्य अकेला ही अपनी किरणों से समस्त संसार को प्रकाशमान कर देता है, उसी प्रकार एक ही युवा "वीर" अपनी शूरता, पराक्रम और साहस से सारी पृथ्वी को अपने पैरों तले कर सकता है।" इस रूप में गोवंश व संवर्धन इस राष्ट्रीय कर्तव्य की पूर्णता युवा शक्ति के निम्न संकल्पों में अन्तर्निहित है :-
1. युवक गौ रक्षा के अभियान में सक्रिय भूमिका अदा करें। गो रक्षक समूह बनाकर गो हत्यारों के चंगुल से गोवंश को छुडाने हेतु अपनी अमित शक्ति का प्रयोग करें।
2. गो दुग्ध पान स्वयं करे एवं उसका सम्यक प्रचार करें।
3. पंच गव्य (गोदुग्ध, गोबर, गोमूत्र, गोघृत, गोदधि) का अधिकतर प्रयोग करें व अन्य को इसके प्रयोग की प्रेरणा दें।
4. भोजन के समय गो माता के निमित्त गो ग्रास निकालने की अपनी भारतीय परम्परा का पालन करें।
5. गो पर्व, गो उत्सव, गोपाष्टमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गोवत्स द्वादशी,बलराम जयंती (हलधर षष्ठी) इत्यादि का आयोजन उत्साहपूर्वक करने का दायित्व लेवें।
6. गाँवो व किसानों के मध्य जैविक कृषि का प्रचार प्रसार करें। गोवंश के महत्त्व का प्रचार करें।
7. गोशालाओं के लिए सहयोग एवं सहायता के प्रति समाज को जागृत करें।
8. शहरों में घनी आबादी के बीच गोमाता को प्रताड़ित कर भगाया जाता है। ऐसी स्थितियों में गो माना के प्रति श्रध्दा भाव निर्मित करें व उनकी उचित व्यवस्था करने की जिम्मेदारी लेवें।
9. गो हत्यारों को सामाजिक व कानूनी रूप से प्रताडित करें।
10. अधर्मी व विदेशी शक्तियों द्वारा गो सेवा व गो माता के प्रति किए जा रहे दुष्प्रचार का मुँह तोड़ जवाब देवें ।