बुधवार, 19 नवंबर 2025

गौ-सम्मान आह्वान अभियान : भारत की सांस्कृतिक आत्मा को पुनर्जीवित करने का महाअभियान

गौ-सम्मान आह्वान अभियान : भारत की सांस्कृतिक आत्मा को पुनर्जीवित करने का महाअभियान

भारत की सांस्कृतिक परंपरा में गौमाता केवल एक पशु नहीं, बल्कि करुणा, पोषण, समृद्धि और धर्म का जीवंत स्वरूप मानी गई हैं। लंबे समय से देश में गो–संरक्षण की आवश्यकता महसूस की जाती रही है। इसी भाव को जन-जन तक पहुँचाने और सरकार का ध्यान आकर्षित करने हेतु यह विशाल “गौ-सम्मान आह्वान अभियान” शुरू किया गया है।

यह अभियान केवल एक आयोजन नहीं—
बल्कि गौ-सेवा, गौ-रक्षा और गौ-सम्मान को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का संकल्प है।


🌼 अभियान का मुख्य उद्देश्य

इस अभियान का प्रमुख लक्ष्य है—
केंद्र व सभी राज्य सरकारों द्वारा भारत की सांस्कृतिक धरोहर गौमाता को उचित सम्मान, संरक्षण और संवैधानिक सुरक्षा मिले।

मुख्य उद्देश्य हैं:

  • गौमाता को राष्ट्र-माता का सम्मान मिले।
  • गौ-रक्षा हेतु केंद्रीय कानून बनाया जाए।
  • भारत में गौ-वध पूर्णतः समाप्त हो।
  • गौ-सेवा को राष्ट्रीय संस्कृति में सर्वोच्च स्थान दिया जाए।

🐄 गौ-संबंधित कानूनी एवं सांस्कृतिक आग्रह (सरकार से मुख्य माँगें)

🔸 गौ-रक्षा संबंधित कानूनी बिंदु

  1. गौमाता को राष्ट्र-माता की उपाधि मिले।
  2. गौ-रक्षा के लिए कठोर केंद्रीय कानून बने।
  3. पूरे भारत में गौ-वध बंद हो।

🔸 गोगव्य (गोबर-गोमूत्र) संबंधित बिंदु

  1. देशभर में गोबर आधारित उद्योग और विश्वविद्यालय स्थापित हों।
  2. गोमूत्र आधारित आयुर्वेदिक औषधियों का प्रसार बढ़े।
  3. कृषि में रसायनिक खेती की जगह जैविक खेती को बढ़ावा मिले।
  4. गोबर से ऊर्जा उत्पादन, खाद और अन्य उपयोगों पर शोध बढ़े।
  5. सरकारी योजनाओं में गोगव्य उत्पादों को प्राथमिकता दी जाए।

🔸 गौशाला संबंधित सुझाव

  1. राष्ट्रीय स्तर पर लाखों गौशालाओं की स्थापना।
  2. गरीब एवं गौ-सेवकों को गौशाला-आधारित रोजगार।
  3. गौशालाओं को अनुदान, बिजली-पानी में राहत, और बड़ा आर्थिक सहयोग।

🔸 चारा एवं आहार संबंधी बिंदु

  1. चरागाह भूमि को पुनर्जीवित किया जाए।
  2. नदियों-तालाबों के किनारे प्राकृतिक चारा विकसित हों।
  3. सूखे क्षेत्रों में विशेष अनुदान और चारे की आपूर्ति।

🌟 अभियान का संगठन—कार्यकर्ता रचना

🔸 जिलास्तर पर

700 जिलों में प्रत्येक जिले पर तीन संत और तीन गौ-प्रेमी कार्यकर्ता नियुक्त होंगे।

🔸 तहसील स्तर पर

5000 तहसीलों में एक संत और एक गौ-प्रेमी कार्यकर्ता सेवा देंगे।

इन कार्यकर्ताओं का उद्देश्य—
गौशालाओं, संतों, भक्तों और जनसामान्य को इस अभियान से जोड़ना है।


💠 अत्यंत महत्वपूर्ण स्मरण बिंदु

  • यह अभियान किसी राजनैतिक दल, संस्था या व्यक्ति से नहीं जुड़ा—
    यह केवल ईश्वर, गौमाता और राष्ट्रभक्ति के भाव में समर्पित है।
  • किसी भी प्रकार का राजनीतिक भाषण, पोस्टर, बैनर, फंडिंग या विवादपूर्ण सामग्री इसमें नहीं होगी।
  • केवल गौ-सेवा, गौ-भक्ति, संत परंपरा और राष्ट्रीय संस्कृति इसका आधार हैं।

🌺 अभियान का विस्तृत कार्यक्रम (2026–2027)

📍 तीन माह (जनवरी–मार्च 2026)

– देशभर में प्रचार-प्रसार, संत-संगति, जनजागरण।
– 27 अप्रैल 2026 को जिलास्तर पर ज्ञापन का आयोजन।

📍 अगले 2 माह (अप्रैल–जून 2026)

– राज्य व केंद्र सरकार से प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा।
– 27 जुलाई 2026 को अगला चरण—राज्य-मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय नेताओं को ज्ञापन।

📍 अगले 2 माह (अगस्त–सितंबर 2026)

– राष्ट्रव्यापी पहुँच, 5000 तहसीलों में कार्यक्रम।
– 27 नवंबर 2026 को अगला महाआह्वान।

📍 अंतिम चरण (फरवरी 2027 – अगस्त 2027)

– 800 जिलों में विशाल आयोजन।
– 15 अगस्त 2027 को अभियान का चरम उद्देश्य—गौ-सम्मान व सुरक्षा का राष्ट्रीय संकल्प


🕉 समापन—गौ-रक्षा है राष्ट्र-रक्षा

गौमाता भारत की आध्यात्मिक परंपरा, कृषि संस्कृति, आयुर्वेद और अध्यात्म की धुरी हैं।
यह अभियान हमें याद दिलाता है कि—

👉 गौ-सम्मान केवल आस्था नहीं, एक राष्ट्रीय कर्तव्य है।
👉 गौ-रक्षा केवल परंपरा नहीं, यह भारत की सांस्कृतिक रीढ़ है।

आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि
गौ-सेवा—हमारी संस्कृति।
गौ-रक्षा—हमारी जिम्मेदारी।
गौ-सम्मान—हमारा राष्ट्रधर्म।



शनिवार, 8 नवंबर 2025

पशुचिकित्सक कैसे गौसेवा कर सकते है

पशुचिकित्सक

बेजुबान व उपक्षितों की सेवा का सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ हैं। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने जिनकी सेवा की हैं। उनकी सेवा का सुअवसर आपको प्राप्त हुआ हैं। आइये देशी गोवंश के खिलाफ जा रहे विदेशी दुष्प्रचार, सुझावों एवम् तकनीकों का बहिष्कार कर राष्ट्र को गोधन से संपन्न करें।

१. सप्ताह में एक दिन अपनी चिकित्सा सेवाएँ किसी गोशाला में अवश्य देनी चाहिये।

२. रोग निवारण हेतु स्थानीय प्राकृतिक संसाधन, जड़ीबुटियाँ व पंचगव्य के उपयोग को प्राथमिकता देनी चाहिये। (देसी चिकित्सा पध्दती)

३. दुध बढाने के लिये बोवाईन ग्रोथ हारमोन (B.G.H.) के इंजेक्शन, विदेशों में होता है। चारे में युरिया के उपयोग जैसे सुझाव नहीं देने चाहिये, ऐसे उपयोंसे होनेवाले दुष्परिणामों के बारे में जनजागरण करना चाहिये।

४. अप्राकृतिक आहार (Artificial feed) जैसे मोलॅसीस, सुग्रांस के उपयोग का सुझाव नही देना चाहिये।

५. संभव हो तब तक अप्राकृतिक (Semen) वीर्य का उपयोग नहीं करना चाहिये।

६. गोवंश का विदेशी नस्लों के साथ संकरीकरण नहीं करना चाहिये।

७. मशीनों से दुध निकालने जैसे सुझाव नहीं देने चाहिये।

८. संक्रामक रोगों से ग्रस्त गोवंश को अलग रखने की सलाह देनी चाहिये।

९. गोवंश को ऋतु अनुसार आहार की जानकारी देनी चाहिये।

वैज्ञानिक कैसे गौसेवा कर सकते है

वैज्ञानिक

वैज्ञानिक वर्तमान जीवन शैली के निर्माता है। आज विज्ञान ने मानव जीवन को सर्वाधिक प्रभावित किया है। वैज्ञानिक आधुनिक ऋषि है, जो मानव मात्र के कल्याण हेतु लगातार तपश्चर्या (अनुसंधानो) में लीन है। गोसेवा, गोसंवर्धन की अवधारणा पूर्णतः वैज्ञानिक अवधारणा है, अतः वैज्ञानिक गोमाता से सीधे सम्बंधित हैं। महान वैज्ञानिक आईंस्टीन का मत था कि कोई वैज्ञानिक नास्तिक हो सकता है यह कल्पना से परे है। गो माता इन ऋषियों की ओर अश्रुभरी आँखों से आशा लगाए देख रही है। वैज्ञानिक गो वंश एवं गो संवर्धन के अपने पुनीत कतों की पूर्ति निम्न अन्वेषण बिन्दुओं को ध्यान
में रखकर कर सकते है :-

१. गो वंश संवर्धन के विभिन्न आयामों पर सतत अनुसंधान किये जावें ।

२. भारतीय नस्ल की गो वंश को अधिक उन्नत बनाने सम्बंधित अनुसंधान किए जावें ।

३. ऋतु अनुसार गोवंश को दिए जाने वाले आहार की गुणवत्ता सुधार के अनुसंधान हों ।

४. जैविक कृषि - खाद, कीटनाशक, गोबर गैस जैसे विषयों पर अनुसंधान हों।

५. गोबर गैस निर्माण व वितरण सम्बंधी अनुसंधान हों ।

६.यांत्रिक कृषि उपकरणों की बजाय बैल चालित उपकरणों के अविष्कार व वर्तमान उपकरणों के परिष्कार का कार्य सतत चले । जैसे - बैल पम्प इत्यादि ।

७. पंचगव्य उत्पादों तथा औषधियों को अधिकाधिक कारगर बनाने की दृष्टि से अनुसंधान कार्य हों ।

८.किसानों को जैविक कृषि से लाभ व रासायनिक व यांत्रिक कृषि से हानि का पक्ष समझाने हेतु पूरे देश में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हो । कुशल वैज्ञानिक इन्हें संचालित करें ।

९. वैज्ञानिक अपने कार्य स्थल पर गौमाता का चित्र लगावें और अपने घर में गाय पालकर समाज के सामने गो सेवा का आदर्श प्रस्तुत करें ।

१०. विश्व में भारतीय नस्ल की गाय सर्वश्रेष्ठ है, यह अनुभव में आया है इसे सिद्ध करें। गो पर्वों, गो उत्सवों में भाग लेवें । गोशाला जावें ।

११. अग्निहोत्र पर अनुसंधान करें ।

१२. भारतीय उन्नत नस्ल के नंदी (सांड) का वीर्य संग्रहित करने व संरक्षित करने की प्रक्रिया को सरलीकृत व सर्वसुलभ बनायें।

१३. प्राचीन ग्रंथों में वर्णित पंचगव्य महिमा का अध्ययन कर वर्तमान में शोध द्वारा उसको प्रमाणित करें।

१४. पंचगव्य की चिकित्सकीय उपयोगिता पर शोध के साथ ही असाध्य रोगों के निदान में इसके उपयोग हेतु शोध करें ।

१५. गोबर के बहुआयामी उपयोग की दिशा में शोध करें, जैसे-अगरबत्ती, समिधा, मच्छर निरोध बत्ती, टाइल्स, फिनाईल आदि अन्य उपयोगी वस्तुओं का निर्माण।

१६. गौमांस का शरीर पर क्या हानिकारक प्रभाव होता है? इस पर शोध करें।

१७. भारत का पर्यावरण एवं जलवायु देशी गौवंश के लिए ही उपयुक्त है एवं विदेशी नस्ल यहाँ की पर्यावरणीय दृष्टि से अनुपयुक्त है, इस तथ्य पर शोध करें।

१८. भारत में ICAR द्वारा गौ विज्ञान एवं अनुसंधान केन्द्र की स्थापना करें, साथ ही राष्ट्रीय जीव विज्ञान संस्थानों में गौ अनुसंधान विभाग की स्थापना करें।

१९. गौमाता के लिए उपयुक्त आवास, आहार, चारा, जलवायु, पर्यावरण आदि की आदर्श स्थिति संबंधी मापदण्ड तय करें।

२०. गाय के रोगों एवं चिकित्सा की दिशा में अनुसंधान करें व सस्ती एवं सर्वसुलभ औषधियों का निर्माण करें।

२१. गौपालकों व गौशालाओं की आर्थिक, सामाजिक स्थिति का अध्ययन कर उसके सुधार की दिशा में कार्यक्रमों का अनुसंधान करें।

२२. शोध छात्रों को गौसंबंधी शोध हेतु मार्गदर्शन दें व प्रोत्साहित करें।

२३. गौ आधारित अनुसंधान परियोजनाओं को त्वरित स्वीकृत करें, साथ ही शोध छात्रों को विशेष छात्रवृत्ति प्रदान करें।

२४. राष्ट्रीय वैज्ञानिक शोध परिषदों जैसे ICAR, ICMR, CSIR, ICFR द्वारा गौ आधारित अनुसंधान पर प्रतिवर्ष अनुदान व राष्ट्रीय पुरुस्कार प्रारंभ करें।

२५. भारतीय नस्ल के संवर्धन हेतु परम्परागत प्रजनन को बढ़ावा तथा भ्रूण स्थानांतरण तकनीकी (Embryo Transfer Technique) जैसी खर्चीली तथा अव्यवहारिक शोधों को हतोत्साहित करें।

२६. अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों व संगोष्ठियों में गौ आधारित अनुसंधान के शोधपत्र पढ़कर, भारतीय नस्ल की गाय का महत्व प्रतिपादित करें।

२७. विश्व के विभिन्न देशों में गोमांस से मनुष्यों को होने वाली बीमारियों का अध्ययन करें व जानकारी को समाज में प्रसारित करें।

२८. गौ आधारित अनुसंधान का पेटेन्ट करवाकर वैज्ञानिक समुदाय की मान्यता प्राप्त करें।

२९. शासन द्वारा नीति निर्धारण के समय गोवंश आधारित अपने शोध अनुभव बताकर गौहित में नीति व योजनाएँ बनवायें।