पशुचिकित्सक
बेजुबान व उपक्षितों की सेवा का सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ हैं। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने जिनकी सेवा की हैं। उनकी सेवा का सुअवसर आपको प्राप्त हुआ हैं। आइये देशी गोवंश के खिलाफ जा रहे विदेशी दुष्प्रचार, सुझावों एवम् तकनीकों का बहिष्कार कर राष्ट्र को गोधन से संपन्न करें।
१. सप्ताह में एक दिन अपनी चिकित्सा सेवाएँ किसी गोशाला में अवश्य देनी चाहिये।
२. रोग निवारण हेतु स्थानीय प्राकृतिक संसाधन, जड़ीबुटियाँ व पंचगव्य के उपयोग को प्राथमिकता देनी चाहिये। (देसी चिकित्सा पध्दती)
३. दुध बढाने के लिये बोवाईन ग्रोथ हारमोन (B.G.H.) के इंजेक्शन, विदेशों में होता है। चारे में युरिया के उपयोग जैसे सुझाव नहीं देने चाहिये, ऐसे उपयोंसे होनेवाले दुष्परिणामों के बारे में जनजागरण करना चाहिये।
४. अप्राकृतिक आहार (Artificial feed) जैसे मोलॅसीस, सुग्रांस के उपयोग का सुझाव नही देना चाहिये।
५. संभव हो तब तक अप्राकृतिक (Semen) वीर्य का उपयोग नहीं करना चाहिये।
६. गोवंश का विदेशी नस्लों के साथ संकरीकरण नहीं करना चाहिये।
७. मशीनों से दुध निकालने जैसे सुझाव नहीं देने चाहिये।
८. संक्रामक रोगों से ग्रस्त गोवंश को अलग रखने की सलाह देनी चाहिये।
९. गोवंश को ऋतु अनुसार आहार की जानकारी देनी चाहिये।
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