वैज्ञानिक
वैज्ञानिक वर्तमान जीवन शैली के निर्माता है। आज विज्ञान ने मानव जीवन को सर्वाधिक प्रभावित किया है। वैज्ञानिक आधुनिक ऋषि है, जो मानव मात्र के कल्याण हेतु लगातार तपश्चर्या (अनुसंधानो) में लीन है। गोसेवा, गोसंवर्धन की अवधारणा पूर्णतः वैज्ञानिक अवधारणा है, अतः वैज्ञानिक गोमाता से सीधे सम्बंधित हैं। महान वैज्ञानिक आईंस्टीन का मत था कि कोई वैज्ञानिक नास्तिक हो सकता है यह कल्पना से परे है। गो माता इन ऋषियों की ओर अश्रुभरी आँखों से आशा लगाए देख रही है। वैज्ञानिक गो वंश एवं गो संवर्धन के अपने पुनीत कतों की पूर्ति निम्न अन्वेषण बिन्दुओं को ध्यान
में रखकर कर सकते है :-
१. गो वंश संवर्धन के विभिन्न आयामों पर सतत अनुसंधान किये जावें ।
२. भारतीय नस्ल की गो वंश को अधिक उन्नत बनाने सम्बंधित अनुसंधान किए जावें ।
३. ऋतु अनुसार गोवंश को दिए जाने वाले आहार की गुणवत्ता सुधार के अनुसंधान हों ।
४. जैविक कृषि - खाद, कीटनाशक, गोबर गैस जैसे विषयों पर अनुसंधान हों।
५. गोबर गैस निर्माण व वितरण सम्बंधी अनुसंधान हों ।
६.यांत्रिक कृषि उपकरणों की बजाय बैल चालित उपकरणों के अविष्कार व वर्तमान उपकरणों के परिष्कार का कार्य सतत चले । जैसे - बैल पम्प इत्यादि ।
७. पंचगव्य उत्पादों तथा औषधियों को अधिकाधिक कारगर बनाने की दृष्टि से अनुसंधान कार्य हों ।
८.किसानों को जैविक कृषि से लाभ व रासायनिक व यांत्रिक कृषि से हानि का पक्ष समझाने हेतु पूरे देश में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हो । कुशल वैज्ञानिक इन्हें संचालित करें ।
९. वैज्ञानिक अपने कार्य स्थल पर गौमाता का चित्र लगावें और अपने घर में गाय पालकर समाज के सामने गो सेवा का आदर्श प्रस्तुत करें ।
१०. विश्व में भारतीय नस्ल की गाय सर्वश्रेष्ठ है, यह अनुभव में आया है इसे सिद्ध करें। गो पर्वों, गो उत्सवों में भाग लेवें । गोशाला जावें ।
११. अग्निहोत्र पर अनुसंधान करें ।
१२. भारतीय उन्नत नस्ल के नंदी (सांड) का वीर्य संग्रहित करने व संरक्षित करने की प्रक्रिया को सरलीकृत व सर्वसुलभ बनायें।
१३. प्राचीन ग्रंथों में वर्णित पंचगव्य महिमा का अध्ययन कर वर्तमान में शोध द्वारा उसको प्रमाणित करें।
१४. पंचगव्य की चिकित्सकीय उपयोगिता पर शोध के साथ ही असाध्य रोगों के निदान में इसके उपयोग हेतु शोध करें ।
१५. गोबर के बहुआयामी उपयोग की दिशा में शोध करें, जैसे-अगरबत्ती, समिधा, मच्छर निरोध बत्ती, टाइल्स, फिनाईल आदि अन्य उपयोगी वस्तुओं का निर्माण।
१६. गौमांस का शरीर पर क्या हानिकारक प्रभाव होता है? इस पर शोध करें।
१७. भारत का पर्यावरण एवं जलवायु देशी गौवंश के लिए ही उपयुक्त है एवं विदेशी नस्ल यहाँ की पर्यावरणीय दृष्टि से अनुपयुक्त है, इस तथ्य पर शोध करें।
१८. भारत में ICAR द्वारा गौ विज्ञान एवं अनुसंधान केन्द्र की स्थापना करें, साथ ही राष्ट्रीय जीव विज्ञान संस्थानों में गौ अनुसंधान विभाग की स्थापना करें।
१९. गौमाता के लिए उपयुक्त आवास, आहार, चारा, जलवायु, पर्यावरण आदि की आदर्श स्थिति संबंधी मापदण्ड तय करें।
२०. गाय के रोगों एवं चिकित्सा की दिशा में अनुसंधान करें व सस्ती एवं सर्वसुलभ औषधियों का निर्माण करें।
२१. गौपालकों व गौशालाओं की आर्थिक, सामाजिक स्थिति का अध्ययन कर उसके सुधार की दिशा में कार्यक्रमों का अनुसंधान करें।
२२. शोध छात्रों को गौसंबंधी शोध हेतु मार्गदर्शन दें व प्रोत्साहित करें।
२३. गौ आधारित अनुसंधान परियोजनाओं को त्वरित स्वीकृत करें, साथ ही शोध छात्रों को विशेष छात्रवृत्ति प्रदान करें।
२४. राष्ट्रीय वैज्ञानिक शोध परिषदों जैसे ICAR, ICMR, CSIR, ICFR द्वारा गौ आधारित अनुसंधान पर प्रतिवर्ष अनुदान व राष्ट्रीय पुरुस्कार प्रारंभ करें।
२५. भारतीय नस्ल के संवर्धन हेतु परम्परागत प्रजनन को बढ़ावा तथा भ्रूण स्थानांतरण तकनीकी (Embryo Transfer Technique) जैसी खर्चीली तथा अव्यवहारिक शोधों को हतोत्साहित करें।
२६. अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों व संगोष्ठियों में गौ आधारित अनुसंधान के शोधपत्र पढ़कर, भारतीय नस्ल की गाय का महत्व प्रतिपादित करें।
२७. विश्व के विभिन्न देशों में गोमांस से मनुष्यों को होने वाली बीमारियों का अध्ययन करें व जानकारी को समाज में प्रसारित करें।
२८. गौ आधारित अनुसंधान का पेटेन्ट करवाकर वैज्ञानिक समुदाय की मान्यता प्राप्त करें।
२९. शासन द्वारा नीति निर्धारण के समय गोवंश आधारित अपने शोध अनुभव बताकर गौहित में नीति व योजनाएँ बनवायें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें