बुधवार, 1 अक्टूबर 2014

गूंज उठी यह धरती सारी गौरक्षा के नारों से

॥श्रीसुरभ्यै नमः॥वन्दे धेनुमातरम्॥
गुंज उठी यह धरती सारी
गुंज उठी यह धरती सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो,गवों के हत्यारों से-2
कहाँ छूपे यदुवंशी सारे झट अपना मुख दिखलाओ।
वीर पाण्डवों की संतों फिर मैदानों आओ।
गोमाता के प्राण बचाओ, इन पापी गद्दारों से।
जुंज पङो ऐ भारत वालो, गवों के हत्यारों से-2
गुंज उठी यह धरती सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो.............2
कहाँ गई वो परशुराम के एकलोती संताने,
कहाँ गये वो हल्दी घाटी के महाराणा मस्ताना,
कहाँ गयी वो वीर रमणीया जो खेली अंगारों से।
जुंज पङो ऐ भारत वालो, गवों के हत्यारों से-2
गुंज उठी यह धरती सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो............2
जाग उठो हे वीर मराठों दुश्मन को अब ललकारो।
गोमाता का प्राण बचाओ हे पंजाबी सरदारों।
दिल्ली की गलियाँ गुंजा दो, अपनी तेज हुँकारों से।
जुंज पङो ऐ भारत वालो, गवों के हत्यारों से-2
गुंज उठी यह सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो.............।
जगतगुरू के सपने को अब सच्चा कर दिखलाओ,
इतिहासों के पन्नों पर तुम काला दाग न लगवाओ,
गोरक्षा की भीख मांगता भंवर हिन्द रखवालों से,
जुंज पङो ऐ भारत वालो, गवों के हत्यारों से-2
गुंज उठी यह धरती सारी गोरक्षा के नारो से-2
जुंज पङो ऐ भारत वालो...........॥
वन्दे धेनुमातरम्!

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